गोरखपुर में छठ पर्व के पावन अवसर पर इस बार एक अनोखा दृश्य देखने को मिला जब सरकारी कर्मचारियों ने अपनी धार्मिक आस्था को अपने अधिकारों की मांग से जोड़ा। राप्ती नदी के किनारे स्थित राजघाट पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और साथ ही पुरानी पेंशन बहाली की मनोकामना की। परिषद के अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्याम नारायण शुक्ल और मदन मुरारी शुक्ल सहित कई पदाधिकारी पारंपरिक वेशभूषा में घाट पर पहुंचे और छठी मईया से यह प्रार्थना की कि सरकार को सद्बुद्धि मिले ताकि देश के लाखों कर्मचारियों की यह मांग पूरी हो सके। इस दौरान घाट पर छठ गीतों की गूंज और दीपों की लौ के बीच श्रद्धा और संघर्ष दोनों का संगम देखने को मिला। कर्मचारियों ने कहा कि छठी मईया सबकी मनोकामना पूरी करती हैं और वे आशा करते हैं कि इस बार उनकी भी यह पुरानी और महत्वपूर्ण मांग जरूर पूरी होगी।
“पेंशन बुढ़ापे की संतान है”, भावनात्मक शब्दों में रखी मांग
परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्याम नारायण शुक्ल ने कहा कि पेंशन कर्मचारियों के जीवन में बुढ़ापे का सहारा होती है, जैसे पुत्र अपने माता-पिता का सहारा बनता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर कर्मचारियों से उनका भविष्य छीन लिया है। इसलिए छठी मईया से उन्होंने यह निवेदन किया है कि वह इस ‘पेंशन रूपी पुत्र’ को फिर से जीवनदान दें। परिषद के अन्य पदाधिकारियों जैसे राजेश कुमार मिश्र, अनूप कुमार, बंटी श्रीवास्तव और सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि छठ मइया कल्याणकारी हैं, वे सबका भला करती हैं। इसी विश्वास के साथ उन्होंने यह मनौती मांगी है कि आने वाले समय में पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू हो और कर्मचारियों को न्याय मिले। घाट पर मौजूद सभी लोगों ने इस पहल की सराहना की और कहा कि यह केवल कर्मचारियों की नहीं बल्कि आम जन की भी मांग है, क्योंकि स्थायी और सुरक्षित पेंशन प्रणाली हर परिवार की आर्थिक स्थिरता का आधार है।
पुरानी पेंशन को लेकर जारी संघर्ष और आंदोलन की नई राह
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष कर रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना (NPS) अस्थिर है और इसमें बुढ़ापे की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। कई वर्षों से वे धरना, प्रदर्शन और ज्ञापन के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचा चुके हैं, मगर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। परिषद के अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आंदोलन की रणनीति अब और मजबूत की जाएगी। धार्मिक विश्वास से प्रेरित इस प्रतीकात्मक आयोजन का उद्देश्य सरकार तक संदेश पहुंचाना है कि यह केवल वेतन या भत्तों का नहीं बल्कि आत्मसम्मान और भविष्य सुरक्षा का सवाल है। उन्होंने कहा कि अब कर्मचारी अपने हक के लिए सिर्फ आवाज नहीं उठा रहे, बल्कि आस्था और कर्म से भी अपनी मांग को सशक्त बना रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि छठी मईया की कृपा से सरकार कर्मचारियों की इस मनोकामना को जरूर सुनेगी और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करेगी। इस मौके पर परिषद के पदाधिकारियों के साथ सैकड़ों कर्मचारी भी मौजूद रहे जिन्होंने दीप जलाकर अपने भविष्य के उजाले की कामना की।




