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Gorakhpur News : गोरखपुर में विद्युत कर्मियों ने बिजली बचाने का लिया संकल्प

Gorakhpur news in hindi : निजीकरण व उत्पीड़न के खिलाफ निर्णायक संघर्ष की घोषणा, गरीबों को सस्ती बिजली देने का वादा

Electricity workers protest against privatization in Gorakhpur | Gorakhpur News

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर में आयोजित विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ऑनलाइन बैठक में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बिजली को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाए रखने का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर समिति के पदाधिकारियों ने साफ कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों से अर्जित संपत्तियों को निजी घरानों को सस्ते दाम पर सौंपना क्रांतिकारियों के सपनों से विश्वासघात है। समिति ने दोहराया कि बिजली किसी व्यापारिक वस्तु नहीं बल्कि सेवा है और इसका उद्देश्य आमजन, विशेषकर गरीब परिवारों तक सस्ती दरों पर बिजली पहुंचाना है। बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि कर्मचारी निजीकरण और उत्पीड़न के खिलाफ निर्णायक संघर्ष की राह पर चलने के लिए तैयार हैं और इसके लिए पूरे प्रदेश में जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा ताकि जनता को भी इस आंदोलन से जोड़ा जा सके।

गरीब जनपदों पर असर और बढ़ती बिजली दरों की आशंका

बैठक में संयोजक इंजीनियर पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि यदि विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण हुआ तो गरीब जिलों पर इसका गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने चेताया कि निजी हाथों में जाने पर बिजली की कीमतें कई गुना बढ़ सकती हैं और गरीब तबकों को इसका सीधा बोझ झेलना होगा। कार्यवाहक संयोजक इंजीनियर जीवेश नंदन ने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अधीन आने वाले 42 गरीब जिलों में विकास कार्य प्रभावित होंगे। सहसंयोजक संदीप श्रीवास्तव ने अनुमान जताया कि निजीकरण के बाद घरेलू बिजली की दरें बढ़कर 13 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच सकती हैं, जो सामान्य परिवारों के लिए भारी आर्थिक संकट साबित होगा। समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि बिजली व्यवस्था को पूंजीपतियों के हाथ सौंपा गया तो न केवल उपभोक्ता महंगी बिजली के जाल में फंसेंगे बल्कि छोटे उद्योग, किसान और व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित होंगे, जिससे पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

वित्तीय नुकसान और व्यापक संघर्ष की तैयारी

बैठक में सहसंयोजक प्रभुनाथ प्रसाद और कोषाध्यक्ष संगमलाल मौर्य ने बताया कि सरकार लगभग एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों को महज 6,500 करोड़ रुपये में निजी कंपनियों को सौंपने की योजना बना रही है। इसके अलावा 42 जिलों की भूमि को मात्र एक रुपये की लीज पर निजी घरानों को देने का प्रस्ताव रखा गया है, जिससे प्रदेश को दीर्घकालिक वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है। पदाधिकारियों ने कहा कि यह सौदा केवल आम जनता के साथ अन्याय ही नहीं बल्कि प्रदेश की विकास योजनाओं को भी बाधित करेगा। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सभी विद्युत कर्मचारी शहीद भगत सिंह के विचारों से प्रेरणा लेकर निजीकरण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष करेंगे और व्यापक जनसंपर्क अभियान के माध्यम से लोगों को इस आंदोलन से जोड़ेंगे। कर्मचारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भी परिस्थिति में सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में नहीं जाने देंगे और यदि जरूरत पड़ी तो आंदोलन को राज्यव्यापी और राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जाएगा।

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