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Gorakhpur news in hindi : गोरखपुर में ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण को लेकर हंगामा, डिस्कॉम एसोसिएशन पर हस्तक्षेप के आरोप

Gorakhpur news in hindi : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने केंद्रीय स्तर पर उठाया मामला, 27 लाख कर्मचारियों के आंदोलन की दी चेतावनी

Power sector employees protesting in Gorakhpur against privatization | Gorakhpur News

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा क्षेत्र में गुप्त रूप से चल रही निजीकरण की योजना का खुलासा करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। समिति ने दावा किया कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन, केंद्रीय विद्युत मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की शह पर संपूर्ण बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने की रणनीति बना रहा है। इस संबंध में समिति ने एसोसिएशन के सचिवालय द्वारा की गई पत्राचार को सार्वजनिक किया। आरोप है कि 09 सितंबर को एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल आलोक कुमार ने देशभर के ऊर्जा निगमों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकों को पत्र भेजकर सीधे उनके कार्यों में दखल देना शुरू कर दिया। समिति ने इसे सरकारी कामकाज में अभूतपूर्व हस्तक्षेप बताते हुए कहा कि यह ऊर्जा निगमों की स्वायत्तता को खत्म करने की साजिश का हिस्सा है।

मीटिंग में मांगे गए आंकड़े और निजीकरण की रणनीति

संघर्ष समिति ने जानकारी दी कि 08 सितंबर को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की बैठक में ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन को शामिल किया गया था। इस बैठक में ऊर्जा निगमों से लागत कम करने के सुझाव और उससे जुड़े आंकड़े प्रस्तुत करने को कहा गया। समिति का आरोप है कि इस आधार पर एसोसिएशन ने विभिन्न राज्यों के निगमों से विस्तृत जानकारी मांग ली, जो स्पष्ट रूप से निजीकरण की दिशा में कदम है। समिति का मानना है कि एसोसिएशन अचानक बनी कोई संस्था नहीं है, बल्कि इसे विशेष रणनीति के तहत खड़ा किया गया है ताकि बिजली क्षेत्र को धीरे-धीरे निजी हाथों में सौंपा जा सके। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगमों के अध्यक्षों का एसोसिएशन के शीर्ष पदों पर होना हितों के टकराव का सीधा उदाहरण बताया जा रहा है। समिति का कहना है कि इस तरीके से निर्णय लेने से कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के हितों को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।

आंदोलन की चेतावनी और केंद्रीय स्तर पर पहल

संघर्ष समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि ऊर्जा निगमों में एसोसिएशन की दखलंदाजी तुरंत बंद नहीं की गई और इससे जुड़े उच्च पदाधिकारियों को पद से नहीं हटाया गया तो देशभर के 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। समिति ने चेतावनी दी है कि यह आंदोलन केवल गोरखपुर या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होगा। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि इस मुद्दे को फेडरेशन और नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स मिलकर केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर के सामने रखेंगे। उनका कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र देश की रीढ़ है और इसे निजीकरण के हवाले करना न तो उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगा और न ही कर्मचारियों के हित में। संघर्ष समिति का दावा है कि आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी गई है और जरूरत पड़ी तो देशभर में बिजली आपूर्ति प्रभावित कर सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।

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