गोरखपुर के चर्चित डॉक्टर पति अपहरण कांड में नया खुलासा हुआ है। पुलिस रिमांड पर लिए गए मुख्य आरोपी कमालुद्दीन ने पूछताछ में बताया कि इस पूरे अपहरण की साजिश अशोक जायसवाल के पड़ोसी ज्वैलर्स प्रदीप सोनी ने रची थी। प्रदीप ने व्यापारिक घाटे की भरपाई और कर्ज से बचने के लिए अशोक का अपहरण कराने की योजना बनाई। इसके बाद शाहपुर पुलिस ने रविवार शाम प्रदीप सोनी, खोराबार निवासी तरुण त्रिपाठी और गोला क्षेत्र के मोनू त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया।
कमालुद्दीन ने बताया कि प्रदीप ने बिजनेस के नाम पर अशोक से 5 लाख रुपये उधार लिए थे और उनके हॉस्पिटल में ज्वैलरी शॉप भी खोली थी, जो बाद में हाईवे चौड़ीकरण के दौरान टूट गई। बकाया रकम चुकाने से बचने के लिए प्रदीप ने अपने सहयोगियों के साथ किडनैपिंग का प्लान बनाया।
फिरौती के लिए मांगी गई थी 5 करोड़ की रकम
घटना 25 जुलाई की सुबह की है, जब पादरी बाजार निवासी रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मी अशोक जायसवाल साइकिल से जॉगिंग और स्विमिंग के लिए जा रहे थे। कौवाबाग अंडरपास के पास कार सवार बदमाशों ने उनका अपहरण कर लिया। कुछ ही घंटों बाद उनकी पत्नी डॉ. सुषमा जायसवाल के पास वॉट्सऐप कॉल आई और बदमाशों ने पहले 5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी। बाद में रकम घटाकर 1 करोड़ और फिर 15 लाख रुपये की मांग की गई। पुलिस ने सूचना पर त्वरित कार्रवाई की और “ऑपरेशन अशोक” के तहत 12 घंटे में अशोक को सुरक्षित बरामद कर तीन आरोपियों को पकड़ लिया।
CCTV से करता था रेकी, रिमांड में उगले राज
पुलिस जांच में सामने आया कि प्रदीप को अशोक के घर और हॉस्पिटल के CCTV फुटेज तक पहुंच थी। यही वजह रही कि वह लगातार उनकी गतिविधियों पर नजर रखता था और अपहरण की साजिश रचने में आसानी हुई। इस काम में तरुण त्रिपाठी ने पूरा प्लान तैयार किया और मोनू त्रिपाठी, करुणेश दुबे और कमालुद्दीन को इसमें शामिल किया गया।
कमालुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए उस पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था। लेकिन उसने इनाम घोषित होने के अगले दिन ही रायबरेली कोर्ट में एक पुराने केस में सरेंडर कर दिया। इसके बाद गोरखपुर पुलिस ने कोर्ट से 28 घंटे की रिमांड पर उसे लेकर पूछताछ की। इसी पूछताछ में पूरे अपहरण कांड का मास्टरमाइंड सामने आया।
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने पुष्टि की कि अपहरण कांड की गुत्थी सुलझा ली गई है और इसमें पड़ोसी ज्वैलर्स प्रदीप सोनी की मुख्य भूमिका रही। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की गतिविधियों की भी जांच कर रही है। यह मामला गोरखपुर में आपराधिक और कारोबारी जगत के गठजोड़ का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।