गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जिलाधिकारी ने कठोर कदम उठाए हैं। हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में यह सामने आया कि बड़ी संख्या में नाबालिग ई-रिक्शा चला रहे हैं, जो न केवल यातायात नियमों का उल्लंघन है बल्कि सड़क सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। इन नाबालिगों को न तो सड़क पर सुरक्षित ढंग से वाहन चलाने का अनुभव है और न ही यातायात नियमों की समुचित जानकारी। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा है कि अब से शहर में ई-रिक्शा केवल निर्धारित जोन के भीतर ही चलेंगे और यदि कोई चालक इन सीमाओं से बाहर पाया गया तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। सबसे अहम बात यह है कि यदि नाबालिग को ई-रिक्शा चलाते हुए पकड़ा गया तो जिम्मेदारी वाहन मालिक की होगी और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का यह कदम न केवल दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि शहर की सड़कों पर सुरक्षित और अनुशासित यातायात बना रहे। इस फैसले से आम जनता को भी राहत मिलने की उम्मीद है क्योंकि लगातार बढ़ते ई-रिक्शा ट्रैफिक और नाबालिग चालकों के कारण कई बार गंभीर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
पार्किंग व्यवस्था और व्यावसायिक भवनों पर निगरानी
यातायात की अव्यवस्था का दूसरा बड़ा कारण सड़क किनारे खड़ी गाड़ियां और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर अवैध पार्किंग है। जिलाधिकारी ने गोरखपुर विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि किसी भी व्यावसायिक भवन के बाहर गाड़ी खड़ी नहीं होनी चाहिए। यदि पार्किंग स्थल उपलब्ध है तो उसका उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा और यदि किसी भवन में पार्किंग की सुविधा नहीं है तो उसे चिन्हित किया जाएगा। इस संबंध में जल्द ही एक अभियान चलाया जाएगा ताकि नियमों का पालन हो सके। नगर निगम और यातायात पुलिस को भी निर्देश दिए गए हैं कि सड़क किनारे गाड़ियों को कतई न खड़ा होने दिया जाए। यदि कोई वाहन सड़क के किनारे पाया गया तो उस पर चालान किया जाएगा और नगर निगम की टीम उसे जब्त कर पार्किंग स्थल पर खड़ा करेगी, साथ ही जुर्माना भी वसूला जाएगा। यह कदम खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सड़क किनारे गाड़ियां खड़ी होने से अक्सर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है और एंबुलेंस या जरूरी वाहनों के आवागमन में भी बाधा आती है। इस नई व्यवस्था के लागू होने से शहर की सड़कों पर अनुशासन कायम होगा और आम नागरिकों को सुगम यातायात मिलेगा।
रोडवेज बसों की व्यवस्था और शहर के यातायात पर असर
समीक्षा बैठक में एक और गंभीर समस्या पर चर्चा की गई और वह है रोडवेज बसों की अव्यवस्थित पार्किंग। रेलवे स्टेशन और प्रमुख मार्गों पर बसों के बाहर खड़े रहने से न केवल जाम की समस्या उत्पन्न होती है बल्कि यात्रियों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। जिलाधिकारी ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए निर्देश दिया है कि सभी रोडवेज बसों को अनिवार्य रूप से डिपो परिसर के भीतर ही खड़ा किया जाए। आरएम रोडवेज को स्पष्ट आदेश दिया गया है कि अब किसी भी बस को सड़कों पर अव्यवस्थित ढंग से खड़े होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि ऐसा पाया गया तो संबंधित अधिकारियों और चालकों पर कार्रवाई होगी। यह कदम रेलवे स्टेशन और आसपास के इलाकों में लगातार बढ़ती भीड़ और यातायात दबाव को देखते हुए उठाया गया है। प्रशासन को उम्मीद है कि इन निर्देशों के पालन से जाम की समस्या में कमी आएगी और लोगों को समय पर गंतव्य तक पहुंचने में सुविधा होगी। जिलाधिकारी की इस पहल को शहर के नागरिकों ने भी सकारात्मक रूप से लिया है क्योंकि यह व्यवस्था न केवल यातायात को नियंत्रित करेगी बल्कि सड़क पर सुरक्षा और अनुशासन को भी बढ़ावा देगी। कुल मिलाकर, गोरखपुर प्रशासन द्वारा उठाए गए ये कदम शहर की यातायात प्रणाली में बड़ा सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।