गोरखपुर में साइबर ठगी और शेयर मार्केट निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाला मास्टरमाइंड विश्वजीत श्रीवास्तव लंबे समय से सक्रिय था। उसने 2016 में चरगांवा स्थित राणा हॉस्पिटल के पास पहला दफ्तर खोला। शुरुआत में खुद को ट्रेडिंग एक्सपर्ट बताकर निवेशकों को विश्वास में लिया और शुरुआती चरण में कुछ लोगों को मुनाफा भी लौटाया। इससे उसके जाल में लोगों का भरोसा तेजी से बढ़ा और उसने शहर के साथ-साथ आसपास के जिलों में भी अपना नेटवर्क फैला लिया। असुरन और पादरी बाजार में उसने कार्यालय खोले, आलीशान मकान बनाए और जमीनें खरीदीं ताकि लोगों को लगे कि उसका कारोबार दिन-ब-दिन फल-फूल रहा है।
चेन मार्केटिंग और सोने की दुकान से बढ़ाया जाल
विश्वजीत ने ठगी के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए चेन मार्केटिंग का सहारा लिया। उसने योजना बनाई कि जो लोग नए निवेशक लाएंगे, उन्हें कंपनी की ओर से नकद इनाम और उपहार मिलेगा। इस लालच में लोग दूसरों को जोड़ते चले गए और निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ती गई। अपनी छवि मजबूत करने के लिए उसने गोरखपुर में एक सोने की दुकान भी खोली और समय-समय पर बड़े होटलों में भव्य कार्यक्रम आयोजित कर प्रचार किया। इन आयोजनों में उसने निवेशकों को यह सपना दिखाया कि उसकी कंपनी का विस्तार बिहार और झारखंड तक हो चुका है।
500 से अधिक लोग बने शिकार, 50 करोड़ हड़पे
धीरे-धीरे विश्वजीत श्रीवास्तव का यह “सपनों का साम्राज्य” धोखाधड़ी की हकीकत बन गया। उसके झांसे में आकर 500 से अधिक लोग निवेश कर बैठे और देखते ही देखते 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम उसके पास पहुंच गई। शुरुआत में मिलने वाले मुनाफे से निवेशकों का भरोसा पक्का हो गया था, लेकिन जब रकम का दायरा बढ़ा तो लोगों की मेहनत की कमाई लौटाई ही नहीं गई। अब खुलासे के बाद सामने आया है कि उसका पूरा कारोबार निवेशकों को लुभाकर ठगी करने पर आधारित था।
यह मामला बताता है कि किस तरह सुनहरे सपनों और जल्दी मुनाफे के लालच में लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के जिलों में सैकड़ों परिवार अपनी गाढ़ी कमाई गंवा चुके हैं। अब पुलिस की जांच और कार्रवाई पर सबकी निगाहें हैं कि आखिर इतने बड़े साइबर फ्रॉड में कितनों की जिम्मेदारी तय होगी।