गोरखपुर में साइबर ठगों ने एक व्यापारी को बैंक वेरिफिकेशन के नाम पर शिकार बना डाला। शाहपुर थाने में दर्ज हुई एफआईआर के मुताबिक, पिपराइच क्षेत्र के वार्ड नंबर 12 बुद्धनगर निवासी व्यापारी आदर्श कुमार गुप्ता से 1,27,401 रुपये की धोखाधड़ी की गई। व्यापारी ने हाल ही में शाहपुर के संगम चौराहे स्थित एक प्राइवेट बैंक से 2.60 लाख रुपये का लोन लिया था। बैंक कर्मचारियों अभिषेक यादव और सूरज गुप्ता ने उन्हें बताया कि लोन की राशि खाते में भेज दी गई है और वेरिफिकेशन के लिए जल्द ही एक वीडियो कॉल आएगी। 25 मई की शाम करीब 5:16 बजे व्यापारी के व्हाट्सएप पर एक अज्ञात नंबर से वीडियो कॉल आई। कॉल रिसीव करने पर करीब दो मिनट तक लोन से जुड़े सवाल पूछे गए और संतुष्ट होने पर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी गई। लेकिन महज दो मिनट बाद ही व्यापारी के खाते से दो बार में कुल 1.27 लाख रुपये कट गए।
बैंक कर्मचारियों पर शक, पुलिस की जांच तेज
पीड़ित व्यापारी ने जब तुरंत बैंक कर्मचारियों अभिषेक यादव और सूरज गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की तो दोनों के मोबाइल नंबर बंद मिले। इसके बाद उन्होंने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराई और शाहपुर थाने में तहरीर दी। पुलिस ने इस मामले में सूरज गुप्ता, अभिषेक यादव और अज्ञात कॉल करने वाले के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया है। सोमवार को इस मामले में बैंक के कुछ अन्य कर्मचारियों से भी पूछताछ की जानी है क्योंकि शुरुआती जांच में संलिप्तता के संकेत मिले हैं। अधिकारियों का कहना है कि साइबर अपराधियों ने बैंकिंग प्रक्रिया का हवाला देकर पीड़ित को भरोसे में लिया और तकनीकी तरीके से उसके खाते से रकम ट्रांसफर कर ली।
त्योहारों से पहले बढ़ा साइबर फ्रॉड का खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार त्योहारों के मौसम में साइबर ठग ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं और बैंक लोन, वेरिफिकेशन, केवाईसी अपडेट जैसी प्रक्रियाओं का बहाना बनाकर लोगों से ठगी करते हैं। पुलिस और साइबर सेल ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। अधिकारियों ने कहा कि किसी भी बैंक से आने वाली कॉल या वीडियो कॉल को बिना सत्यापन के स्वीकार न करें और किसी भी स्थिति में ओटीपी, खाता संख्या या व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। गोरखपुर पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
निष्कर्ष
गोरखपुर में व्यापारी के साथ हुई 1.27 लाख की साइबर ठगी यह साफ करती है कि डिजिटल लेन-देन के दौर में सतर्कता कितनी जरूरी है। बैंक कर्मचारियों के नाम का इस्तेमाल कर अपराधियों ने जिस तरह विश्वास तोड़ा, वह गंभीर चिंता का विषय है। यह मामला न केवल बैंकिंग प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है बल्कि लोगों को भी चेतावनी देता है कि वे किसी भी संदिग्ध कॉल, लिंक या वीडियो वेरिफिकेशन से सावधान रहें। पुलिस की जांच और बैंकिंग सिस्टम में सख्ती से ही ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।