गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर जिले के हरपुर-बुदहट थाना क्षेत्र के डुमरैला गांव में पारिवारिक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, जिसके चलते अदालत के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई हुई है। स्थानीय निवासी मकसूदन सिंह ने अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल कर आरोप लगाया कि उनके पट्टीदार बेचन सिंह ने 23 जून 2024 को दोपहर करीब डेढ़ बजे उनके हिस्से के कमरे की ईंटें उखाड़नी शुरू कर दी थीं। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो मामला अचानक बिगड़ गया और बेचन सिंह ने न केवल गाली-गलौज किया बल्कि स्थिति और गंभीर हो गई। आरोप के मुताबिक बेचन सिंह, उनकी पत्नी सुशीला देवी और बेटे रितेश ने मिलकर मकसूदन सिंह पर लाठी-डंडों और लात-घूसों से हमला कर दिया। इस दौरान घर के भीतर घुसकर तोड़फोड़ भी की गई, जिससे घर के सामान को नुकसान पहुंचा और पीड़ित गंभीर रूप से घायल हो गए। पीड़ित पक्ष का कहना है कि घटना की जानकारी तुरंत पुलिस को दी गई थी, लेकिन समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप, पीड़ित ने उच्चाधिकारियों से की शिकायत
पीड़ित मकसूदन सिंह ने बताया कि घटना की सूचना तत्काल हरपुर-बुदहट थाना पुलिस को दी गई थी, लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली। जब प्राथमिक स्तर पर न्याय नहीं मिला तो उन्होंने 3 जुलाई 2024 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखित प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की। हालांकि, वहां से भी अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आया। इस देरी और निष्क्रियता ने पीड़ित को न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर किया। पीड़ित ने अदालत के समक्ष यह तर्क दिया कि उनके खिलाफ की गई हिंसा न केवल व्यक्तिगत क्षति का मामला है बल्कि इससे समाज में असुरक्षा की भावना भी बढ़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि समय रहते पुलिस कार्रवाई करती तो शायद मामले की गंभीरता को टाला जा सकता था। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली और आमजन की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अदालत के आदेश पर दर्ज हुआ केस, पुलिस ने शुरू की जांच
पीड़ित द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रथम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया। अदालत ने थानाध्यक्ष हरपुर-बुदहट को निर्देश दिया कि बेचन सिंह, उनकी पत्नी सुशीला देवी और बेटे रितेश के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 325 (गंभीर चोट पहुंचाना), 504 (गाली-गलौज), 506 (धमकी देना), 452 (घर में घुसकर हमला करना) और 427 (तोड़फोड़) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। आदेश मिलते ही पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और अब घटना की गहन जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की पूरी तहकीकात की जाएगी और साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब आमजन को तत्काल न्याय नहीं मिलता तो उन्हें अदालत की शरण लेनी पड़ती है। अब देखना यह होगा कि पुलिस की जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या पीड़ित को न्याय मिल पाता है। डुमरैला गांव में हुई इस घटना ने न केवल जमीनी विवादों की गंभीरता को उजागर किया है बल्कि यह भी दिखाया है कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई क्यों जरूरी है।