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Gorakhpur News : गोरखपुर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मना छठ का खरना, मिट्टी के चूल्हे से उठी गुड़ की खीर की खुशबू, घाटों पर दिखी आस्था की झलक

Gorakhpur news in hindi : गोरखपुर में छठ महापर्व का दूसरा दिन भक्ति और परंपरा के रंगों में डूबा रहा। रविवार को खरना के अवसर पर शहरभर में छठी मइया की जयकारे गूंजते रहे और व्रती महिलाओं ने पूरे विधि-विधान से खरना का महाप्रसाद तैयार किया।

Devotees celebrating Kharna of Chhath Puja in Gorakhpur | Gorakhpur News

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में सूर्योपासना के महापर्व छठ की रौनक चारों ओर छाई रही। रविवार को खरना के अवसर पर व्रती महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर पूरे उत्साह और श्रद्धा से छठी मइया की आराधना की। दिनभर बिना जल ग्रहण किए रहीं महिलाएं शाम होते ही महाप्रसाद की तैयारियों में जुट गईं। स्नान कर नए वस्त्र धारण किए गए और घरों को पूरी तरह शुद्ध किया गया। मिट्टी के चूल्हों को गोबर और मिट्टी से लिपा गया, जिससे पवित्रता बनी रहे। इसके बाद व्रती महिलाओं ने छठ गीतों की मधुर धुनों के बीच गुड़, अरवा चावल और शुद्ध जल से खीर बनाई। केले के पत्ते पर रोटी और खीर रखकर छठी मइया को भोग लगाया गया। मूली, केला, नारियल और मौसमी फल रखकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की गई। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने मात्र से जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। परिवार के सभी सदस्य बारी-बारी से छठी मइया का आशीर्वाद लेते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। आस-पड़ोस के लोग भी इस प्रसाद की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि माना जाता है कि इसे खाने से छठ माता की कृपा प्राप्त होती है।

व्रतियों की साधना और आस्था का अद्भुत उदाहरण

खरना के दिन व्रती महिलाओं की श्रद्धा देखने लायक थी। व्रती रंजू मिश्रा ने बताया कि खरना का प्रसाद बनाना अपने आप में एक साधना है। मिट्टी के चूल्हे पर हाथों से बनाई गई खीर न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि मन को गहरी शांति भी देती है। उन्होंने कहा कि निर्जला उपवास के बावजूद उन्हें किसी प्रकार की थकान महसूस नहीं होती क्योंकि यह व्रत शक्ति और ऊर्जा देता है। वहीं व्रती संजू ने बताया कि इस अनुष्ठान से घर में सकारात्मकता बढ़ती है और परिवार में एकता का भाव आता है। इस दिन का प्रसाद बांटना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। कई घरों में जहां व्रत नहीं रखा जाता, वहां भी पड़ोसी बड़े स्नेह से प्रसाद पहुंचाते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस प्रसाद का इंतजार करते हैं। रितु नाम की एक महिला ने बताया कि उनके घर में कोई छठ व्रत नहीं रखता, लेकिन हर साल उन्हें पड़ोस से खरना का प्रसाद जरूर मिलता है। उनके अनुसार गुड़ की खीर का स्वाद भक्ति और आनंद का प्रतीक है। इसी से छठी मइया का आशीर्वाद सभी तक पहुंचता है।

घाटों पर दिखी छठी मइया की महिमा, प्रशासन ने की चाक-चौबंद व्यवस्था

शहर के घाटों पर संध्या अर्घ्य के लिए तैयारियां चरम पर थीं। शाम के समय जब डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की रस्म हुई, तो पूरा माहौल मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। महिलाएं सिर पर फल, ठेकुआ और पूजन सामग्री से भरे दउरा लेकर घाटों की ओर बढ़ीं। घंटों की उपासना के बाद जल और दूध से सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर परिवार की मंगलकामना की गई। पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, रविवार को सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 36 मिनट रहा। इस दौरान घाटों पर सुरक्षा और सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए थे। गोरखपुर के सांसद रवि किशन और महापौर मंगलेश श्रीवास्तव ने राप्ती नदी के घाटों का निरीक्षण किया। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि किसी व्रती को कोई असुविधा न हो। नगर निगम की ओर से घाटों की सफाई, रोशनी और सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह सुनिश्चित की गई थी। शाम ढलते ही पूरा शहर दीपों की रोशनी और छठ गीतों की गूंज से आलोकित हो उठा। श्रद्धा, अनुशासन और आस्था का ऐसा दृश्य हर वर्ष गोरखपुर को आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान करता है। छठ का खरना न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह परिवार, समाज और संस्कृति के बीच अटूट बंधन का प्रतीक बन चुका है।

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