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Gorakhpur News : गोरखपुर में 400 किलो केमिकल युक्त केला नष्ट, खाद्य सुरक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई, सरसों का तेल जब्त

Gorakhpur news in hindi : त्योहारी सीजन में मिलावटखोरों पर शिकंजा, खाद्य सुरक्षा विभाग ने तीन टीमों के साथ चलाया अभियान, 6 नमूने लैब भेजे गए

Food safety team destroying 400 kg chemically ripened bananas in Gorakhpur | Gorakhpur News

गोरखपुरउत्तर प्रदेश –  गोरखपुर में दीपावली से पहले खाद्य सुरक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 400 किलो केमिकल से पकाए गए केले को नष्ट करा दिया। विभाग को सूचना मिली थी कि शहर में कुछ फल विक्रेता केले को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। शुक्रवार को सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. सुधीर कुमार सिंह के निर्देश पर गठित तीन टीमों ने पूरे जिले में छापेमारी की। जांच के दौरान मद्धेशिया फ्रूट कंपनी पर जब टीम पहुंची, तो वहां बड़ी मात्रा में केला रखा हुआ मिला जिसे रासायनिक प्रक्रिया के जरिए पीला किया गया था। पूछताछ में दुकानदार के पास उचित जवाब नहीं था और टीम को केमिकल की बोतलें भी बरामद हुईं। विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 400 किलो केले को सार्वजनिक रूप से नष्ट कराया। अधिकारियों के अनुसार यह केला सेवन योग्य नहीं था और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता था। अनुमान के अनुसार नष्ट किए गए केले की कीमत लगभग 6000 रुपये थी। यह अभियान त्योहारों के दौरान लोगों को सुरक्षित और शुद्ध खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

सरसों के तेल की जांच और लैब के लिए भेजे गए नमूने

इसी अभियान के तहत खाद्य सुरक्षा टीम ने दिलेजाकपुर स्थित मेसर्स गोविंद ऑयल एंड फ्लोर लिमिटेड में भी छापा मारा। यहां रखे गए 180 किलो सरसों के तेल की जांच के दौरान पाया गया कि यह तेल मानक के अनुरूप नहीं है। विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तेल को जब्त कर लिया और आगे की वैधानिक प्रक्रिया तक अपनी अभिरक्षा में रखा है। जब्त किए गए तेल का अनुमानित बाजार मूल्य ₹32,400 बताया गया है। टीम ने इसके अलावा शहर के अन्य हिस्सों से दाल, पनीर, उड़द की दाल और हल्दी के नमूने भी एकत्र किए हैं। कुल छह नमूने जांच के लिए राज्य खाद्य प्रयोगशाला भेजे गए हैं, जिनकी रिपोर्ट आने के बाद संबंधित दुकानदारों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे अभियान का उद्देश्य बाजार में मिलावटखोरी पर अंकुश लगाना और उपभोक्ताओं को शुद्ध उत्पाद सुनिश्चित कराना है। अधिकारियों का कहना है कि जो भी व्यक्ति खाद्य सामग्री में रासायनिक मिलावट करता पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोर कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

कैसे पकाया जा रहा था केला और क्या बोले अधिकारी

जांच में यह सामने आया कि कई विक्रेता नवरात्र और त्योहारों के समय कम समय में केला पकाने के लिए रासायनिक विधि का इस्तेमाल कर रहे हैं। सामान्य रूप से केले को सूखी जगह पर रखकर प्राकृतिक रूप से पकाया जाता है, जिसमें समय लगता है। लेकिन अब दुकानदार लिक्विड केमिकल को पानी में मिलाकर उसमें हरे केले को भिगो देते हैं, जिससे कुछ ही घंटों में केला पीला हो जाता है। यह तरीका भले ही तेजी से फल पकाने में मदद करता हो, लेकिन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। ऐसे केले का सेवन करने से पेट और लीवर संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि विभाग का यह विशेष अभियान 8 अक्टूबर से पूरे जिले में जारी है और आगामी दिनों में भी निगरानी और सैंपलिंग का कार्य चलता रहेगा। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि त्योहारों के दौरान खाद्य सामग्री खरीदते समय सावधानी बरतें और किसी भी संदिग्ध वस्तु की सूचना तुरंत खाद्य सुरक्षा विभाग को दें। डॉ. सिंह ने कहा कि “हमारा उद्देश्य उपभोक्ताओं को मिलावट मुक्त खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना है और मिलावटखोरों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।” विभाग की इस कार्रवाई से न केवल शहर में मिलावटखोरी पर रोक लगाने का संदेश गया है बल्कि आम जनता में भी जागरूकता बढ़ी है कि स्वस्थ समाज के लिए शुद्ध खाद्य पदार्थों का चयन कितना आवश्यक है।

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