गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मंगलवार की देर रात मरीज माफिया से जुड़े संदेह पर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की। शिकायत थी कि मरीजों को बरगला कर निजी अस्पतालों में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस खड़ी की जाती हैं। इस पर एसपी सिटी अभिनव त्यागी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जांच में 5 संदिग्ध एंबुलेंस पकड़ी गईं, जिन पर किसी भी अस्पताल का नाम अंकित नहीं था। पूछताछ के दौरान चालक सही जवाब नहीं दे पाए और धीरे-धीरे मौके से खिसक गए। इसके बाद पांचों एंबुलेंस को सीज कर लिया गया।
बिना जीवनरक्षक उपकरण, नर्सिंग होम से कनेक्शन
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि किसी भी गाड़ी में आवश्यक जीवनरक्षक उपकरण मौजूद नहीं थे। कुछ में तो ऑक्सीजन सिलेंडर तक नहीं मिला। मौके पर मौजूद एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह ने स्वास्थ्य विभाग और आरटीओ को जांच के लिए बुलाया। आरटीओ की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई—पांच में से दो एंबुलेंस का कोई रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं था, जबकि दो गाड़ियां पास के नर्सिंग होम के नाम पर पंजीकृत निकलीं। एक एंबुलेंस का रिकॉर्ड अब भी खंगाला जा रहा है। अब स्वास्थ्य विभाग को इन नर्सिंग होम की वैधता की भी जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज और आसपास के क्षेत्रों में लंबे समय से डग्गामार एंबुलेंस के संचालन की शिकायतें मिल रही थीं। इन्हीं शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए एसपी सिटी, एडीएम सिटी, सीओ गोरखनाथ और शाहपुर व गुलरिहा थाने की पुलिस टीम ने संयुक्त छापेमारी की।
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा कि शिकायतों के आधार पर मेडिकल कॉलेज परिसर में छापा मारा गया, जहां पांच संदिग्ध प्राइवेट एंबुलेंस पकड़ी गईं। इनमें जीवनरक्षक उपकरण तक मौजूद नहीं थे। सभी गाड़ियों को सीज कर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है और पूरे मामले की गहन जांच जारी है।