गोरखपुर बुक फेस्टिवल का पांचवां दिन डी डी यू परिसर में बाल मंडप के रंगारंग कार्यक्रमों के साथ शुरू हुआ, जहां 14 स्कूलों के लगभग 500 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। दिन की शुरुआत रंजीता सचदेवा द्वारा संचालित ‘कहानी के पंखों पर’ नामक इंटरएक्टिव स्टोरी सेशन से हुई, जिसमें बच्चों ने अपनी कल्पना की उड़ान भरते हुए जादुई दुनिया की सैर की। इस सत्र में बच्चों ने जैक द फूल और राजकुमारी जैसी कहानियों के माध्यम से चतुराई और त्वरित विवेक से समस्याओं का समाधान करने की कला सीखी। इसके बाद ‘फ्रॉम वेस्ट टू वॉउ’ सत्र में शुभम मिश्रा ने छात्रों को प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और रीसाइक्लिंग की महत्ता समझाई, जिससे बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना पैदा हुई।
लोक नृत्य और पुरस्कार वितरण के माध्यम से संस्कृति का जश्न
दिन के मध्य भाग में ‘बुक कवर डिज़ाइन वर्कशॉप’ के विजेताओं का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर 15 सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों को प्रमाण पत्र और पुस्तकों से सम्मानित किया गया। इसके पश्चात बच्चों की लोक नृत्य प्रस्तुतियों ने मंच पर जादू बिखेर दिया। सात स्कूलों के विद्यार्थियों ने विभिन्न राज्यों के पारंपरिक नृत्यों के माध्यम से उत्तर से दक्षिण तक भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया। इस कार्यक्रम ने दर्शकों को न केवल मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और लोक कला के महत्व को भी उजागर किया।
सांस्कृतिक संध्या में नाटक और कवि सम्मेलन का आकर्षण
पांचवें दिन की सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ सांस्कृतिक संगम द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘बाप बड़ा न भैय्या, सबसे बड़ा रूपइया’ से हुआ। विजय कुमार द्वारा रचित इस व्यंग्यात्मक और मार्मिक नाटक ने सामाजिक और आर्थिक पहलुओं पर दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर किया। मानवेंद्र त्रिपाठी द्वारा निर्देशित इस प्रस्तुति ने मंच पर अभिनय और भावनाओं का अद्भुत संगम दिखाया। इसके बाद कवि सम्मेलन में शंभू शिखर, पद्मिनी शर्मा, राजेश अग्रवाल, कमल अग्नियां और आशीष कवि गुरु ने अपनी कविताओं से दर्शकों का मनोरंजन किया। विभिन्न शैली और स्वरों में प्रस्तुत कविताओं ने लोगों को हंसी, आनंद और सोच के नए दृष्टिकोण प्रदान किए। इस प्रकार महोत्सव का पांचवां दिन बच्चों की रचनात्मकता और सांस्कृतिक प्रेमियों की सहभागिता से यादगार बन गया।




