गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के झंगहा इलाके में शनिवार सुबह का वक्त था, जब करही घाट पर गोर्रा नदी की लहरें अचानक मातम में बदल गईं। आठ लोग एक सरकारी नाव में सवार होकर नदी पार कर रहे थे। नाव पर सवार लोग जोगिया, बसुही और राजधानी गांव के रहने वाले थे, जो काम से डीहघाट की ओर जा रहे थे। सबकुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन तभी नाविक ने अचानक इंजन चालू किया और नाव रेत के टीलों से टकरा गई। कुछ ही सेकंड में नाव का संतुलन बिगड़ गया और पानी अंदर भरने लगा। इससे पहले कि कोई संभल पाता, नाव पलट गई और सभी यात्री नदी में जा गिरे। करही घाट पर छठ की बेदी बना रहे लोगों ने चीख-पुकार सुनते ही मदद के लिए छलांग लगा दी। उन्होंने मिलकर सात लोगों को किसी तरह बाहर निकाला, लेकिन 15 वर्षीय कृष्ण चतुर्वेदी तेज धार में बह गया। जब नाव किनारे पहुंची, तो केवल टूटी नाव के पुर्जे और बिखरे सामान रह गए थे। उसी समय घाट पर मौजूद लोगों ने इस घटना का वीडियो बना लिया, जिसमें मदद के लिए चिल्लाते लोगों की आवाजें दर्ज हैं। यह वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
पिता के सामने डूबा क्रिकेटर बेटा, मां की गोद सूनी हुई
हादसे में सबसे दर्दनाक दृश्य तब सामने आया जब पिता मदनेश चतुर्वेदी ने अपने बेटे कृष्ण को डूबते देखा। मदनेश गुजरात के वडोदरा में एक निजी कंपनी में काम करते हैं और अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना देखते थे। कृष्ण वडोदरा में रहकर हायर सेकेंडरी की पढ़ाई के साथ क्रिकेट की ट्रेनिंग भी करता था। वह वडोदरा क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े टूर्नामेंटों में खेल चुका था और अक्सर कहा करता था कि एक दिन विराट कोहली और धोनी की तरह देश के लिए खेलेगा। दीपावली की छुट्टियों में वह अपने गांव आया हुआ था, लेकिन किसे पता था कि यह उसकी आखिरी छुट्टी होगी। हादसे के वक्त पिता ने बेटे का हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन अचानक झटके से पकड़ छूट गई और कृष्ण गहराई में समा गया। मदनेश बेसुध होकर बार-बार यही कहते रहे-“बेटे का हाथ पकड़ा था, लेकिन झटका लगा और हाथ छूट गया।” यह शब्द सुनकर घाट पर मौजूद हर आंख नम हो उठी। मां सुमन चतुर्वेदी, जो हर साल छठ माता का व्रत बेटे की लंबी उम्र के लिए रखती थीं, अब उसी दिन उसके लिए विलाप करती दिखीं। परिजनों ने बताया कि परिवार पहले ही एक बेटी को इंसेफेलाइटिस के कारण खो चुका था, और अब इकलौते बेटे की मौत ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया है। सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद कृष्ण का अंतिम संस्कार उसी करही घाट पर किया गया जहां उसने आखिरी सांस ली थी। सैकड़ों लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए और घाट पर शोक का माहौल छा गया।
जांच शुरू, नाव की हालत पर उठे सवाल
हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन और जिला अधिकारी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि यह नाव सरकारी थी और बरसों से खराब हालत में चल रही थी। पहले नदी पर पीपा पुल बनाया गया था, लेकिन पानी बढ़ने के कारण रास्ता बंद कर दिया गया था। लोगों की आवाजाही के लिए अस्थायी रूप से यही नाव चल रही थी। सीओ चौरीचौरा अनुराग सिंह ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नाविक हादसे के वक्त नशे में था, जिससे नाव का नियंत्रण खो गया। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं और करीब 28 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद कृष्ण का शव बरामद किया गया। जिलाधिकारी दीपक मीणा और एसएसपी राज करण नय्यर ने घाट का निरीक्षण किया और परिजनों से मिलकर संवेदना जताई। साथ ही यह आश्वासन भी दिया कि नदी पर स्थायी पुल निर्माण का प्रस्ताव भेजा जाएगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि अगर नाव की समय-समय पर जांच होती और नाविक पर निगरानी रखी जाती, तो शायद यह दर्दनाक हादसा टल सकता था। फिलहाल, कृष्ण की असमय मौत ने न केवल एक परिवार की खुशियां छीन लीं, बल्कि पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया है।




