गोरखपुर के गोरखनाथ थाना क्षेत्र में मंगलवार दोपहर आम आदमी पार्टी नेता कुंजबिहारी निषाद की मौत के बाद हालात बेकाबू हो गए। परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए मैरीगोल्ड हॉस्पिटल के बाहर हंगामा शुरू कर दिया। देखते ही देखते बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और स्थानीय लोग वहां इकट्ठा हो गए और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे जाने का विरोध करने लगे। आक्रोशित भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ की और सड़क पर बैठकर जाम लगा दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने समझाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ और भड़क उठी। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर ईंट-पत्थर बरसाना शुरू कर दिया, जिसमें गोरखनाथ थाना प्रभारी शशिभूषण राय गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
पथराव से बिगड़े हालात, PAC तैनात
भीड़ की उग्रता देखकर पुलिस को लाठियां चलानी पड़ीं। नाराज प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल परिसर और सड़कों पर ईंट-पत्थरों और नारियल के गोले फेंके, जिससे अफरातफरी मच गई। हालात काबू में करने के लिए PAC को बुलाना पड़ा। पुलिस ने बल प्रयोग कर भीड़ को खदेड़ा और मृतक का शव कब्जे में लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज भेजा। मौके पर पहुंचे वरिष्ठ अधिकारियों ने परिजनों को समझाने का प्रयास किया और माहौल शांत कराने की कोशिश की। आरोपियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर परिजन और कार्यकर्ता अड़े रहे और पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया।
बकाया विवाद से हत्या तक पहुंचा मामला
जानकारी के अनुसार, कुंजबिहारी निषाद रामपुर नयागांव के निवासी थे और बिल्डिंग मटेरियल का कारोबार करते थे। वे वार्ड नंबर 14 से आप पार्टी के टिकट पर पार्षद का चुनाव भी लड़ चुके थे। 23 अगस्त को वे अपने साले हेमंत निषाद के साथ मोहल्ले के ही अभिषेक पांडेय के घर 50 हजार रुपये बकाया मांगने गए थे। इसी दौरान अभिषेक और उसके साथियों ने उन पर सरिया और पटरे से हमला कर दिया, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। चार दिन से इलाज चल रहा था लेकिन मंगलवार सुबह डॉक्टरों ने कुंजबिहारी को मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया और दोषियों के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग की। पुलिस ने एक आरोपी को हिरासत में लेने की पुष्टि की है और अन्य की तलाश तेज कर दी गई है।
गोरखपुर की इस घटना ने एक बार फिर शहर की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों के आरोप, डॉक्टरों की भूमिका और प्रशासन की कार्यवाही सभी जांच के दायरे में हैं। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि पुलिस कितनी जल्दी आरोपियों को गिरफ्तार करती है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।