| Location | Gita Press, P.O. Gita Press, Gorakhpur, Uttar Pradesh. Pin 273005. |
| Timings | 09:00 AM – 05:00 PM |
| Entry Fee | निःशुल्क (₹0) |
| Approx. Time to Explore | 1-2 Hours |
| Best Time | Weekends(सप्ताहांत) |
| Ideal For | शोधकर्ता और विद्यार्थी, धार्मिक पाठक, सांस्कृतिक पर्यटक। |
| Distance | गोरखपुर जंक्शन से 3-4Km |
| Facilities | बुकशॉप, डिस्प्ले/गैलरी, पार्किंग, शौचालय। |
| Accessibility | ऑटो, टैक्सी, ओला, उबर जैसी स्थानीय परिवहन सेवाएँ आसानी से उपलब्ध हैं। बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक रैम्प और आसान रास्ते हैं। |
| Safety | पूरे परिसर में CCTV निगरानी, सुरक्षा, विशेष आयोजनों में अतिरिक्त व्यवस्था। |
| Contact | booksales@gitapress.org +91-9235400244 +91-9235400242 |
| Official Site | https://gitapress.org https://www.facebook.com/GeetaPressGorakhpur/ |
| Last Updated | 13/09/2025 |
Overview of Gita Press Gorakhpur – गीता प्रेस गोरखपुर का परिचय
Gita Press : अगर गोरखपुर को सांस्कृतिक पहचान देने वाले स्थलों की बात करें, तो गीता प्रेस का नाम सबसे पहले आता है। यह केवल एक प्रकाशन केंद्र नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है। गोरखपुर में स्थित गीता प्रेस ने बीते एक सदी से अधिक समय से हिंदू धर्मग्रंथों और साहित्य को सस्ती कीमतों पर करोड़ों लोगों तक पहुँचाया है। यहाँ न केवल किताबें मिलती हैं, बल्कि यह स्थान शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
History of Gita Press Gorakhpur – गीता प्रेस गोरखपुर का इतिहास
गीता प्रेस की स्थापना 29 अप्रैल 1923 को हुई। इसके संस्थापक जया दयाल गोयनका और हनुमानप्रसाद पोद्दार ने एक ऐसे समय में इस संस्थान की नींव रखी, जब समाज धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से दूर होता जा रहा था।
- जया दयाल गोयनका जी का मानना था कि धर्मग्रंथ केवल अमीरों के लिए नहीं होने चाहिए।
- हनुमानप्रसाद पोद्दार, जिन्हें लोग प्रेम से “भाईजी” कहते थे, ने गीता प्रेस को अपना जीवन समर्पित कर दिया।
दोनों ने मिलकर ठाना कि गीता, रामायण, पुराण और अन्य ग्रंथ प्रमाणिक भाषा और किफायती दामों में हर घर तक पहुँचाए जाएँ।
“कल्याण” पत्रिका और उसका सामाजिक प्रभाव
साल 1927 में गीता प्रेस ने मासिक पत्रिका “कल्याण” का प्रकाशन शुरू किया।
- स्वतंत्रता संग्राम के दौर में यह पत्रिका केवल धार्मिक लेखन का माध्यम नहीं रही, बल्कि इसने नैतिकता, त्याग और देशभक्ति की भावना को भी लोगों तक पहुँचाया।
- “कल्याण” ने करोड़ों पाठकों को धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मार्गदर्शन दिया।
- आज भी यह पत्रिका नियमित प्रकाशित होती है और इसे भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पढ़ा जाता है।
Publication of Gita Press Gorakhpur – गीता प्रेस का प्रकाशन साम्राज्य
पिछले 100 वर्षों में गीता प्रेस ने अद्भुत कार्य किया है। आँकड़े स्वयं इसकी गवाही देते हैं:
- कुल प्रकाशन: 45.45 करोड़ से अधिक प्रतियाँ।
- भगवद्गीता: 8.10 करोड़ प्रतियाँ।
- रामचरित मानस: 7.5 करोड़ प्रतियाँ।
- महिला और बाल साहित्य: 10.30 करोड़ प्रतियाँ।
ये आँकड़े दिखाते हैं कि गीता प्रेस ने न केवल धर्मग्रंथ, बल्कि समाज सुधार और शिक्षा में भी बड़ा योगदान दिया है।
Gita Press Gorakhpur Campus – Headquarters and Attractions – गीता प्रेस गोरखपुर परिसर – मुख्यालय और आकर्षण
गीता प्रेस का मुख्यालय गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यहाँ न केवल किताबें मिलती हैं, बल्कि आगंतुकों को आध्यात्मिकता और इतिहास का गहरा अनुभव भी होता है।
यहाँ देखने योग्य प्रमुख आकर्षण हैं:
- बुकशॉप: गीता, रामायण, पुराण और कल्याण पत्रिका जैसी पुस्तकें बेहद किफायती दामों पर उपलब्ध।
- डिस्प्ले गैलरी: पुराने प्रेस-मशीन, ऐतिहासिक दस्तावेज़ और संस्थापकों से जुड़ी सामग्री प्रदर्शित होती है।
- आध्यात्मिक माहौल: परिसर में शांति और सादगी का अनुभव हर आगंतुक के लिए खास बनाता है।
How to reach Gita Press Gorakhpur – गीता प्रेस गोरखपुर कैसे पहुँचें
गीता प्रेस, गोरखपुर शहर के हृदय में रघुवर नगर (रामगढ़ताल रोड के पास) स्थित है। यह रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और बस स्टैंड से आसानी से पहुँचा जा सकता है, इसलिए स्थानीय और बाहरी पर्यटकों के लिए यहाँ पहुँचना सुविधाजनक है।
- Railway Station से: गोरखपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से गीता प्रेस की दूरी लगभग 3 किमी है। स्टेशन से ऑटो, ई-रिक्शा या कैब द्वारा 10–15 मिनट में पहुँचा जा सकता है।
- Airport से: महायोगी गोरखनाथ एयरपोर्ट से गीता प्रेस की दूरी लगभग 9 किमी है। टैक्सी/कैब द्वारा यहाँ पहुँचने में 20–30 मिनट का समय लगता है।
- Bus Stand से: गोरखपुर का नया बस स्टैंड (नारायणपुर) गीता प्रेस से लगभग 5 किमी दूर है। यहाँ से ऑटो और रिक्शा आसानी से उपलब्ध रहते हैं।
Gita Press Gorakhpur From Nearby Cities (नज़दीकी शहरों से गीता प्रेस गोरखपुर)
- लखनऊ → गोरखपुर: लगभग 270 किमी, ट्रेन से 5–6 घंटे, बस/कार से 6–7 घंटे।
- वाराणसी → गोरखपुर: लगभग 200 किमी, ट्रेन से 4–5 घंटे, बस/कार से 5–6 घंटे।
- अयोध्या (फैज़ाबाद) → गोरखपुर: लगभग 160 किमी, ट्रेन से 3–4 घंटे।
- देवरिया → गोरखपुर: लगभग 50 किमी, ट्रेन/बस से 1–1.5 घंटे।
- सीवान (बिहार) → गोरखपुर: लगभग 65 किमी, ट्रेन से 1.5–2 घंटे।
गीता प्रेस गोरखपुर कब जाएँ? मौसम और बेस्ट टाइम (When to Visit Gita Press Gorakhpur)
गीता प्रेस परिसर धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है, इसलिए यहाँ सालभर जाया जा सकता है। फिर भी, अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान गोरखपुर का मौसम ठंडा और सुहावना होता है, जिससे पुस्तक खरीदारी, गैलरी भ्रमण और परिसर में समय बिताना अधिक आरामदायक हो जाता है। गर्मियों (अप्रैल–जून) में मौसम गर्म और उमस भरा हो सकता है, जबकि बरसात (जुलाई–सितंबर) में यात्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
यात्रा से पहले गोरखपुर का आज का मौसम अवश्य देखें और उसी अनुसार योजना बनाएँ – Gorakhpur Weather Today / aaj ka mausam gorakhpur
Best time of day:
गीता प्रेस की बुकशॉप और डिस्प्ले गैलरी आमतौर पर सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुली रहती हैं।
- सुबह का समय (10:00–12:00 बजे): परिसर अपेक्षाकृत शांत रहता है, धार्मिक पाठकों और शोधकर्ताओं के लिए आदर्श।
- दोपहर (12:00–3:00 बजे): बुकशॉप में सबसे ज़्यादा भीड़ रहती है, पुस्तक खरीदने वालों के लिए उपयुक्त।
- शाम (3:00–5:00 बजे): पर्यटकों और परिवारों के लिए अच्छा समय, क्योंकि इस दौरान माहौल जीवंत और सक्रिय रहता है।
GeetaPress Gorakhpur Images (गीता प्रेस गोरखपुर की तस्वीरें):





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हाँ, दर्शकों के लिए परिसर और बुकशॉप में प्रवेश निःशुल्क है।
हाँ, गीता प्रेस हिंदी के अलावा संस्कृत, अंग्रेज़ी, बंगाली, मराठी सहित कई भाषाओं में धार्मिक साहित्य प्रकाशित करता है।
गीता प्रेस गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। इसका पूरा पता है:
गीता प्रेस, रघुनाथ नगर (रामगढ़ताल रोड), गोरखपुर – 273005, उत्तर प्रदेश।
यह गोरखपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 3-4 किमी दूर स्थित है।
गीता प्रेस गोरखपुर की स्थापना 29 अप्रैल 1923 को जय दयाल गोयनका और हनुमान प्रसाद पोद्दार (जिन्हें भाईजी के नाम से भी जाना जाता था) ने की थी।
जय दयाल गोयनका जी का मानना था कि भगवद् गीता और रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ केवल अमीरों तक ही सीमित नहीं, बल्कि हर घर में सुलभ होने चाहिए।
हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ने अपना जीवन गीता प्रेस को समर्पित कर दिया, प्रसिद्ध आध्यात्मिक पत्रिका कल्याण पत्रिका का संपादन किया और प्रेस को धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जागरण का केंद्र बनाया।
तब से, गीता प्रेस गोरखपुर दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक प्रकाशन गृहों में से एक बन गया है, जो भगवद् गीता (हिंदी और अंग्रेजी संस्करण), रामचरितमानस और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों के प्रकाशन के लिए जाना जाता है। अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण, इसका उल्लेख गोरखपुर समाचार, गोरखपुर नवीनतम समाचार, गोरखपुर समाचार हिंदी और गोरखपुर समाचार में नियमित रूप से किया जाता है।
गीता प्रेस, गोरखपुर की स्थापना 1923 में जय दयाल गोयंदका और घनश्याम दास जालान ने भगवद् गीता और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों की शिक्षाओं को किफायती दामों पर प्रसारित करने के उद्देश्य से की थी। तब से, यह हिंदू धार्मिक पुस्तकों का दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाशक बन गया है और भारत और विदेशों में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करता आ रहा है।
गीता प्रेस, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह हिंदू धार्मिक ग्रंथों के प्रकाशन के लिए दुनिया के सबसे प्रसिद्ध प्रकाशन गृहों में से एक है। 1923 में स्थापित, गीता प्रेस ने भगवद् गीता, रामचरितमानस, पुराणों और अन्य धर्मग्रंथों की लाखों प्रतियाँ प्रकाशित की हैं। गोरखपुर शाखा इसका मुख्य केंद्र है, और देश-विदेश से लोग इसकी मुद्रण मशीनों, किताबों की दुकान और ऐतिहासिक महत्व को देखने के लिए गीता प्रेस आते हैं।
गीता प्रेस, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित, हिंदू धार्मिक ग्रंथों का विश्व का सबसे बड़ा प्रकाशक है। 1923 में जय दयाल गोयंदका और घनश्याम दास जालान द्वारा स्थापित, इसका उद्देश्य पवित्र ग्रंथों को न्यूनतम संभव मूल्य पर प्रकाशित करके सनातन धर्म की शिक्षाओं का प्रसार करना है। गीता प्रेस विशेष रूप से भगवद् गीता, रामचरितमानस, पुराण, उपनिषद और अन्य आध्यात्मिक पुस्तकों को हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और कई भारतीय भाषाओं में प्रकाशित करने के लिए जाना जाता है।




