गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने पॉम पैराडाइज(Pam Paradise, Gorakhpur) आवासीय योजना में असफल रहे आवेदकों को बड़ी राहत देने की तैयारी पूरी कर ली है। प्राधिकरण ने लगभग 47 करोड़ रुपये की राशि लौटाने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया है।
जानकारी के अनुसार आज, सोमवार से ही यह रकम संबंधित आवेदकों के बैंक खातों में भेजी जानी शुरू हो जाएगी। जीडीए के अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक आवेदक के पंजीकरण शुल्क में से 1000 रुपये की प्रशासनिक कटौती के बाद शेष राशि सीधे उसी खाते में भेजी जाएगी, जिससे भुगतान किया गया था।
इस योजना के तहत ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) और एलआईजी (निम्न आय वर्ग) फ्लैटों के लिए कुल 9333 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन केवल 120 आवेदकों को ही आवंटन मिल सका। इसका अर्थ है कि शेष 9213 आवेदकों की रकम अब लौटाई जाएगी।
एलआईजी श्रेणी में आवेदन शुल्क ₹1.08 लाख और ईडब्ल्यूएस श्रेणी में ₹54 हजार निर्धारित था। आवेदन जांच के दौरान 875 आवेदन विभिन्न कारणों से निरस्त कर दिए गए थे, जिनमें आय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र में त्रुटियाँ प्रमुख थीं। शेष 8458 सही आवेदनों को ई-लॉटरी प्रक्रिया में शामिल किया गया और पारदर्शी तरीके से परिणाम घोषित किए गए।
एससी, एसटी और वरिष्ठ नागरिकों को विशेष राहत
प्राधिकरण ने विशेष श्रेणी के आवेदकों जैसे एससी, एसटी और वरिष्ठ नागरिकों को नियमों के तहत अतिरिक्त राहत दी है। इन श्रेणियों के आवेदकों को पंजीकरण के समय कुल राशि का केवल आधा हिस्सा जमा करना था, क्योंकि उन्हें सरकारी प्रावधानों के अनुसार 5 प्रतिशत शुल्क छूट दी जाती है।
अब धनवापसी के दौरान जीडीए इन आवेदकों के खाते में भी वही अनुपातिक रकम वापस करेगा। अधिकारियों के अनुसार, इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए विशेष निगरानी टीम बनाई गई है। जिन आवेदकों ने बैंक विवरण में त्रुटि की थी, उनसे कहा गया है कि वे शीघ्र जीडीए कार्यालय में संपर्क कर अपने आईएफएससी कोड और खाता संख्या सही दर्ज कराएं ताकि भुगतान में किसी प्रकार की देरी न हो।
प्राधिकरण का कहना है कि जिन लोगों ने आवेदन करते समय गलत बैंक जानकारी दी थी, उनके लिए सुधार की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था से उन हजारों परिवारों को राहत मिलेगी जिन्होंने वर्षों पहले इस आवासीय योजना में अपने सपनों का घर पाने की उम्मीद से धन निवेश किया था।
जीडीए को हुई 1.39 करोड़ की अतिरिक्त आय, पारदर्शी प्रक्रिया पर जोर
गोरखपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, यह योजना निजी डेवलपर के साथ साझेदारी में चलाई गई थी। इसलिए फ्लैट बिक्री से होने वाली आय सीधे बिल्डरों को जाएगी, जबकि आवेदन शुल्क से जीडीए को 1.39 करोड़ रुपये से अधिक की आय प्राप्त होगी।
इस राशि को प्राधिकरण अपनी प्रशासनिक और प्रक्रिया लागत के लिए उपयोग करेगा। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि धनवापसी केवल उन्हीं आवेदकों को की जाएगी जिन्होंने आवेदन शुल्क वैध रूप से जमा किया था और जिनके खाते का विवरण सत्यापित किया जा चुका है। इसके साथ ही जीडीए ने सभी आवेदकों से अपील की है कि वे अपने बैंक खातों की स्थिति जांच लें और आवश्यक दस्तावेज समय पर उपलब्ध कराएं ताकि भुगतान प्रक्रिया में कोई बाधा न आए।
पॉम पैराडाइज योजना में कुल 120 फ्लैट उपलब्ध कराए गए थे जिनमें 70 एलआईजी और 50 ईडब्ल्यूएस श्रेणी के फ्लैट शामिल हैं। योजना के प्रति लोगों की भारी रुचि से यह स्पष्ट होता है कि गोरखपुर में सस्ते आवास की मांग तेजी से बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पारदर्शी प्रक्रियाएं न केवल आम नागरिकों के भरोसे को मजबूत करती हैं बल्कि प्राधिकरण की साख को भी बढ़ाती हैं। जीडीए ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी असफल आवेदकों को उनकी रकम शीघ्र वापस मिल सके और किसी को भी कार्यालय के चक्कर न लगाने पड़ें। इस कदम से गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने एक बार फिर नागरिकों के हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित की है।