गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने लंबित मानचित्रों को शीघ्र निस्तारित करने के लिए एक नई व्यवस्था शुरू की है। अब हर माह के पहले और तीसरे गुरुवार को ‘मानचित्र दिवस’ आयोजित होगा। इस विशेष दिन पर आवेदक और आर्किटेक्ट स्वयं उपस्थित होकर अपने आवेदन में आई कमियों को दूर कर पाएंगे और मानचित्र को स्वीकृति दिला सकेंगे। शुक्रवार को जीडीए और आर्किटेक्ट्स की संयुक्त बैठक में इस निर्णय की औपचारिक घोषणा की गई। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लंबित फाइलों का निपटारा करना है ताकि लोगों को समय पर सुविधा मिल सके और विकास कार्यों की गति बनी रहे। प्राधिकरण का कहना है कि इस दिन सभी संबंधित अधिकारी और स्टाफ मौजूद रहेंगे, जिससे आपत्तियों को उसी समय दूर किया जा सकेगा।
नए बाईलॉज और विनियमितीकरण क्षेत्र की SOP
बैठक में आर्किटेक्ट्स ने बताया कि नए बिल्डिंग बाईलॉज लागू होने के कारण कई मानचित्र निरस्त कर दिए गए थे। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि जिन फाइलों को नियमों की वजह से निरस्त किया गया, उन्हें नए बाईलॉज के अनुसार दोबारा प्रस्तुत किया जा सकता है। कई आर्किटेक्ट्स ने यह भी जानकारी दी कि उन्होंने पहले से निरस्त मानचित्रों को संशोधन के बाद पुनः स्वीकृत करा लिया है। प्राधिकरण ने आगे बढ़ते हुए यह भी घोषणा की कि विनियमितीकरण क्षेत्र के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) बनाई जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी मानचित्र एक समान प्रक्रिया से गुजरें और पारदर्शिता बनी रहे।
ऑनलाइन फॉर्मेट और कार्रवाई की चेतावनी
गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए ऑनलाइन मानचित्र का नया फॉर्मेट भी तैयार किया है। अधिकारियों का कहना है कि अब से मानचित्र दाखिल करते समय सभी आवश्यक अभिलेख जमा करना अनिवार्य होगा। जिन आर्किटेक्ट्स या आवेदकों ने बार-बार बताई गई कमियों को दूर किए बिना फाइल दोबारा सब्मिट की है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्य अभियंता किशन सिंह सहित अन्य अधिकारियों ने साफ कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए यह कदम जरूरी है। प्राधिकरण ने यह भी दोहराया कि ‘मानचित्र दिवस’ को एक ऐसा मंच बनाया जाएगा जहां किसी भी लंबित फाइल को बेवजह अटकाया न जाए और आवेदक को तुरंत समाधान मिले।