गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने राप्ती और रोहिन नदियों के डूब क्षेत्र में अवैध रूप से हो रही प्लाटिंग और निर्माण पर तीसरे दिन भी सख्ती दिखाई। प्राधिकरण की टीम उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन के निर्देश पर मंझरिया क्षेत्र में पहुंची और वहां फोरलेन के पास नदी किनारे की प्लाटिंग को ध्वस्त कर दिया। टीम ने अरविंद यादव द्वारा लगभग एक एकड़ में बनाई गई बाउंड्रीवाल को गिरा दिया, जबकि दो एकड़ क्षेत्रफल में की गई प्लाटिंग के चिह्नांकन को पूरी तरह नष्ट कर दिया। मुख्य अभियंता किशन सिंह ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कई डेवलपर्स बिना लेआउट पास कराए कॉलोनियां बसाने में जुटे हैं। इन पर रोक लगाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जो आगे भी जारी रहेगा।
सवालों के घेरे में प्राधिकरण की कार्रवाई
हालांकि इस कार्रवाई पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जीडीए की टीम केवल खुले में की जा रही प्लाटिंग और बाउंड्रीवाल को तोड़कर लौट जाती है, लेकिन जिन जगहों पर आवासीय या व्यावसायिक भवन पहले से बन चुके हैं या निर्माणाधीन हैं, वहां कार्रवाई नहीं की जाती। इस वजह से प्राधिकरण की नीयत और कार्यप्रणाली को लेकर संदेह जताया जा रहा है। कई लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने जमीन का बैनामा करा लिया था और सुरक्षा के लिए बाउंड्री बनाई थी, जिसे अचानक तोड़ दिया गया। ऐसे मामलों में बिना भेदभाव कार्रवाई होनी चाहिए ताकि बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण पर रोक लग सके।
नोटिस के बाद हुई ध्वस्तीकरण कार्रवाई
जीडीए अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई बिना पूर्व सूचना के नहीं की गई है। प्राधिकरण की ओर से डेवलपर्स और जमीन मालिकों को पहले ही नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। संतोषजनक जवाब न मिलने पर ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई। अधिकारियों का मानना है कि डूब क्षेत्र में अवैध कॉलोनियां न केवल पर्यावरण और नदी के प्रवाह के लिए खतरनाक हैं, बल्कि बाढ़ की स्थिति में हजारों लोगों की जान-माल को भी जोखिम में डाल सकती हैं। इसलिए इस तरह की गतिविधियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गोरखपुर विकास प्राधिकरण की ओर से डूब क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग पर लगातार कार्रवाई यह संकेत देती है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। हालांकि स्थानीय लोगों द्वारा निजी बाउंड्री और चयनात्मक कार्रवाई पर उठाए गए सवाल भी अहम हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि जीडीए इन आरोपों का कैसे जवाब देता है और क्या वाकई सभी अवैध निर्माणों पर समान रूप से सख्ती की जाती है या नहीं