गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर पुस्तक महोत्सव के तहत रविवार की शाम डॉ. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) के परिसर में संगीत और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। सैकड़ों दर्शकों से भरे ऑडिटोरियम में स्वर फ्यूजन बैंड की प्रस्तुति ने ऐसा माहौल बनाया कि लोग देर तक अपनी सीटों से उठना नहीं चाहते थे। युवा कलाकारों की ऊर्जावान प्रस्तुति ने न केवल दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया बल्कि संगीत के हर स्वर ने वातावरण में नई ऊर्जा भर दी। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई, जिसकी मधुर प्रस्तुति ईश्वर आनंद पांडेय ने दी। इस भक्ति से सराबोर माहौल में जब दर्शक भी स्वर मिलाकर “जय गणेश देवा” गुनगुनाने लगे, तो पूरा कैंपस एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। इसके बाद राजन भारती ने भजन गायन की प्रस्तुति दी, जिसने श्रोताओं को भक्ति रस में डुबो दिया। हर पंक्ति पर तालियां गूंजती रहीं और दर्शकों के चेहरे पर सुकून झलकता दिखा। इस कार्यक्रम की खासियत थी कि इसमें संगीत, नृत्य और वाद्ययंत्रों का ऐसा फ्यूजन देखने को मिला, जिसने विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक परिदृश्य को नई दिशा दी।
बॉलीवुड और इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक का जादू, दर्शकों ने किया भरपूर आनंद
गणेश वंदना के बाद मंच पर जब स्वर टीम के सदस्यों ने प्रोफेसर ऊषा सिंह के निर्देशन में इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक और बॉलीवुड गीतों का फ्यूजन प्रस्तुत किया, तो माहौल पूरी तरह बदल गया। बैंड के सदस्यों ने ‘ले जाएं जाने कहां हवाएं’, ‘राब्ता’, ‘बचना ऐ हसीनों लो मैं आ गया’ जैसे लोकप्रिय गीतों पर ऐसा प्रदर्शन किया कि हर उम्र के लोग खुद को झूमने से नहीं रोक पाए। युवा दर्शक जहां तालियां बजाकर ताल मिला रहे थे, वहीं प्रोफेसर और वरिष्ठ अतिथि भी गीतों की धुनों में खो गए। मंच पर नृत्यांगनाओं की मनमोहक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को और जीवंत बना दिया। कई दर्शक इस क्षण को अपने मोबाइल कैमरे में कैद करते दिखे। चेहरे पर मुस्कान और दिलों में उत्साह झलक रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे संगीत ने हर तनाव, हर चिंता को मिटा दिया हो और सभी इस अनूठे अनुभव में डूब गए हों। फ्यूजन बैंड की यह प्रस्तुति केवल एक मनोरंजन कार्यक्रम नहीं बल्कि युवाओं की सृजनशीलता और कला के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गई।
कला का अनोखा प्रयोग: संगीत की हर विधा को एक मंच पर लाने की पहल
इस कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रोफेसरों ने मिलकर संगीत की हर विधा-गायन, वादन और नृत्य-को एक साथ मंच पर प्रस्तुत किया। डॉ. अमोद कुमार राय ने बताया कि “यह कार्यक्रम इसलिए खास है क्योंकि इसमें संगीत की सभी विधाओं को जोड़ने का प्रयास किया गया है। इसमें भक्ति की शक्ति, अनुभूति की तरंग और आध्यात्मिकता की महक एक साथ महसूस की जा सकती है।” कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन, प्रोफेसर अनुभूति दुबे और प्रोफेसर कीर्ति पांडे उपस्थित रहीं। उन्होंने विद्यार्थियों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल प्रतिभा को मंच प्रदान करते हैं बल्कि विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक विरासत को भी समृद्ध करते हैं। प्रमुख कलाकारों में प्रज्ञा, अंतरा, कृतिका, अनुष्का, रुचिका, शांतनु प्रताप, हर्ष मौर्य, उत्कर्ष, अमन, रंजन, शुभम, मोहम्मद अरमान, सुमंत और विशाल शामिल रहे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया। कार्यक्रम के संचालन और आयोजन में डॉ. प्रदीप साहनी, डॉ. प्रदीप राजौरिया, डॉ. गौरी शंकर चौहान, प्रो. दिव्या रानी सिंह, डॉ. अनुपमा कौशिक और डॉ. टीएन मिश्र सहित कई शिक्षकों का सहयोग रहा। कार्यक्रम के समापन पर जब सभी कलाकारों ने एक साथ मंच पर आकर दर्शकों का अभिवादन किया, तो पूरा सभागार तालियों की गूंज से भर गया। यह शाम न केवल संगीत और भक्ति के मिलन की गवाह बनी, बल्कि इसने यह संदेश भी दिया कि जब युवा दिल और रचनात्मकता एक मंच पर मिलते हैं, तो संस्कृति की नई धुन अपने आप बज उठती है।




