गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार की शाम उस समय तनाव का माहौल बन गया जब इमरजेंसी विभाग में आए परिजनों को भर्ती से मना कर दिया गया। देवरिया जिले के लार थाना क्षेत्र के कौशर सरैया गांव की 90 वर्षीय राजकली देवी को अचानक ब्रेन स्ट्रोक आने के बाद परिजन गंभीर स्थिति में लेकर गोरखपुर पहुंचे थे। परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्होंने तुरंत मरीज को बीआरडी मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहुंचाया, लेकिन वहां मौजूद स्टाफ ने न केवल भर्ती से मना कर दिया बल्कि अभद्र व्यवहार भी किया। परिजनों के मुताबिक उन्हें कहा गया कि मरीज की हालत बेहद गंभीर है और यहां इलाज संभव नहीं है, इसलिए कहीं और ले जाएं। परिवार का आरोप है कि जब उन्होंने सिर्फ नाक में नली लगाकर आहार देने का अनुरोध किया तो उसे भी ठुकरा दिया गया। इससे नाराज परिजनों ने आरोप लगाया कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज का उद्देश्य मरीजों को इलाज उपलब्ध कराना है लेकिन अक्सर यहां से गंभीर मरीजों को लौटा दिया जाता है, जिससे मजबूर लोग निजी अस्पतालों के चक्कर काटते हैं और कई बार ठगी का शिकार हो जाते हैं।
सड़क पर प्रदर्शन और जाम से बिगड़ी स्थिति
परिजनों का गुस्सा इस कदर भड़क गया कि उन्होंने बुजुर्ग महिला को गाड़ी से उतारकर गोरखपुर-महराजगंज मुख्य मार्ग पर लिटा दिया और प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करने लगे। अचानक हुए इस घटनाक्रम से मेडिकल कॉलेज के बाहर अफरा-तफरी का माहौल बन गया और सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार करीब 20 मिनट तक ट्रैफिक पूरी तरह बाधित रहा और राहगीरों की भीड़ जमा हो गई। लोगों ने इस तरह की घटनाओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर सरकारी अस्पतालों में भर्ती से मना कर दिया जाएगा तो आम जनता कहां जाएगी। इस बीच सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो तेजी से वायरल होने लगा जिससे मामला और सुर्खियों में आ गया।
पुलिस हस्तक्षेप के बाद मरीज को पहुंचाया गया इमरजेंसी में
मामले की सूचना मिलते ही सीओ गोरखनाथ रवि कुमार सिंह, गुलरिहा थानाध्यक्ष विजय प्रताप सिंह और अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने सबसे पहले परिजनों को समझाने का प्रयास किया ताकि जाम हट सके और मरीज को समय पर इलाज मिल सके। काफी देर तक समझाने-बुझाने के बाद परिजन शांत हुए। इसके बाद एंबुलेंस मंगवाकर बुजुर्ग महिला को फिर से बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर इमरजेंसी में ले जाया गया। वहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार शुरू किया और मरीज की नाक में नली लगाई। फिलहाल महिला की हालत नाजुक बताई जा रही है और उनका इलाज जारी है। पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया कि घटना की जांच कराई जाएगी और अगर स्टाफ की लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई होगी। इस प्रकरण ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और इमरजेंसी सेवाओं की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से मरीजों और उनके परिजनों का भरोसा सरकारी चिकित्सा व्यवस्थाओं से उठने लगता है, जिसे सुधारने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने होंगे।