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Gorakhpur News: गोरखपुर में स्वास्थ्य सेवाओं के भविष्य पर मंथन, विशेषज्ञों ने विजन 2047 का ठोस रोडमैप तैयार किया

गोरखपुर में आयोजित स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सत्र में एआईआईएमएस, बीआरडी मेडिकल कॉलेज और निजी संस्थानों के विशेषज्ञों ने साझा किए सुझाव, इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण के बाद नई चुनौतियों के समाधान पर हुआ मंथन

Experts discussing Vision 2047 healthcare roadmap in Gorakhpur

गोरखपुर का नाम एक समय इंसेफेलाइटिस जैसी गंभीर बीमारी से जुड़ा हुआ था, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार हुए सुधार और सामूहिक प्रयासों के चलते अब इस क्षेत्र ने उस चुनौती से बड़ी राहत हासिल की है। ‘‘सशक्त-समृद्ध-आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’’ के शताब्दी संकल्प 2047 अभियान के अंतर्गत एनेक्सी भवन सभागार में आयोजित विशेष सत्र में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने माना कि बीते वर्षों में चिकित्सा क्षेत्र ने बड़ी प्रगति की है और अब समय आ गया है कि आने वाले 25 वर्षों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए एक मजबूत रोडमैप तैयार किया जाए। इस मौके पर एआईआईएमएस गोरखपुर, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला महिला चिकित्सालय, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और निजी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रतिनिधियों ने एक साथ बैठकर विचार-विमर्श किया। एआईआईएमएस के पूर्व निदेशक देश दीपक वर्मा ने कहा कि गोरखपुर ने इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण पाकर स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में नई उपलब्धि दर्ज की है, लेकिन बदलते समय के साथ कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां अब नई चुनौती बनकर सामने आ रही हैं। ऐसे में ‘‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’’ को जनता की भागीदारी से मजबूत बनाना बेहद जरूरी है, जिसके लिए क्यूआर कोड के माध्यम से सुझाव भी आमंत्रित किए जा रहे हैं।

संस्थानों का सहयोग और समुदाय तक पहुंचने की पहल

कार्यक्रम में शामिल एआईआईएमएस गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवा.) विभा दत्ता ने बताया कि संस्थान सिर्फ अस्पताल परिसर तक सीमित नहीं है, बल्कि गांवों और शहरी क्षेत्रों तक पहुंच बनाकर लोगों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य शिविरों और जन-जागरूकता अभियानों के जरिए लोगों को रोगों से बचाव और समय पर इलाज के महत्व से अवगत कराया जा रहा है। इसी क्रम में गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने कैंसर की रोकथाम पर विशेष जोर देते हुए कहा कि खानपान में बदलाव बेहद जरूरी है और लोगों को फाइबर युक्त भोजन अपनाना चाहिए। आईएमए के प्रतिनिधियों ने भी स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक बनाने, चिकित्सकों के प्रशिक्षण को और प्रभावी करने तथा नई तकनीक को तेजी से अपनाने पर बल दिया। इस सत्र में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रामकुमार जायसवाल, महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार, जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ बीके सुमन, आईएमए अध्यक्ष डॉ प्रतिभा गुप्ता सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक और संगठन से जुड़े लोग मौजूद रहे। सभी ने एकमत से कहा कि गोरखपुर के चिकित्सा संस्थानों को न केवल क्षेत्रीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उत्कृष्ट मॉडल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा जाना चाहिए।

स्थानीय स्तर पर इलाज और भविष्य की दिशा

चर्चा के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश झा ने कहा कि सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता यही है कि छोटी और मध्यम श्रेणी की बीमारियों का इलाज स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो, ताकि बड़े अस्पतालों पर अनावश्यक दबाव कम हो सके। उन्होंने बताया कि जिले में अर्बन सीएचसी की स्थापना की दिशा में कार्यवाही की जा रही है, जिससे शहर और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं नजदीक ही मिल सकेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि सरकारी अस्पतालों में सी-सेक्शन प्रसव की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे प्रसूता और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में मदद मिली है। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी शाश्वत त्रिपुरारी और जिला विकास अधिकारी राज मणि वर्मा ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि ‘‘विजन 2047’’ सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य की गारंटी है। कार्यक्रम में मौजूद प्रबुद्धजनों में विनय कृष्ण मिश्र, डॉ सुनील कुमार श्रीवास्तव, डॉ बीएन सिंह, रामकृष्ण यादव, डॉ उपेंद्र और डॉ अश्विनी चौरसिया शामिल थे, जिन्होंने अपनी विशेषज्ञता के आधार पर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। अंत में यह निष्कर्ष निकला कि गोरखपुर को स्वस्थ और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों और समाज की सक्रिय भागीदारी से ही ‘‘विजन 2047’’ को हकीकत में बदला जा सकता है।

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