गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर नगर निगम ने शहर में पर्यावरण-अनुकूल निर्माण को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राप्तीनगर में स्मार्ट सड़क के पास शहर का पहला ‘बंबू-काऊ डंग-मड हाउस’ तैयार किया जाएगा। इस भवन का इस्तेमाल वार्ड कार्यालय और सफाई कर्मचारियों के हाजिरी स्थल के रूप में होगा। यह भवन न केवल प्रशासनिक कामकाज का केंद्र बनेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक भी होगा।
पारंपरिक और आधुनिक तकनीक का संगम
गुजरात की मनीष बंबू वर्क फर्म के विशेषज्ञ ईश्वर भाई के मार्गदर्शन में बनने वाले इस भवन का ढांचा पूरी तरह बांस से तैयार होगा। दीवारों की लिपाई मिट्टी, गोबर, गोमूत्र, भूसा और चूने के मिश्रण से की जाएगी। यह तकनीक पारंपरिक होने के बावजूद आधुनिक जरूरतों के अनुरूप है। इससे भवन को प्राकृतिक थर्मल इंसुलेशन मिलेगा, यानी गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्मी का अहसास अधिक संतुलित रहेगा।
मजबूती और स्थिरता
विशेषज्ञों के अनुसार, बांस की संरचना पर मिट्टी-गोबर का विशेष लेप चढ़ाने से भवन की मजबूती बढ़ेगी और यह लंबे समय तक टिकाऊ रहेगा। भवन में सफाई उपकरणों के भंडारण, निरीक्षण और नागरिक शिकायत निवारण जैसी सुविधाएं भी होंगी।
नागरिक जागरूकता का केंद्र
यह भवन केवल एक वार्ड कार्यालय नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ निर्माण तकनीक के प्रति जागरूकता फैलाने का केंद्र भी बनेगा। नगर निगम का मानना है कि इस प्रकार के भवन आने वाली पीढ़ियों को पारंपरिक तकनीक और इको-फ्रेंडली निर्माण अपनाने की प्रेरणा देंगे।
भविष्य की योजना
नगर निगम का कहना है कि यदि यह मॉडल सफल रहा तो भविष्य में अन्य सार्वजनिक भवनों जैसे सामुदायिक केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र और पुस्तकालय भी इसी तकनीक से बनाए जाएंगे। इससे निर्माण लागत कम होगी और प्रदूषण में भी कमी आएगी।