दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डी.डी.यू.जी.यू.) ने एक बार फिर अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रमाण देते हुए प्रतिष्ठित ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग: साउथ एशिया 2026’ में 330वां स्थान प्राप्त किया है। वहीं एशिया स्तर पर विश्वविद्यालय 1001–1100 बैंड में शामिल हुआ है, जो उसकी बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा को दर्शाता है। क्यूएस द्वारा जारी इस रैंकिंग में विश्वविद्यालय का कुल स्कोर 10.0 से बढ़कर 15.5 हुआ है, जो 55 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि है। इस रैंकिंग में एशिया के 1,526 और भारत के 294 विश्वविद्यालय शामिल थे, जिनमें उत्तर प्रदेश के केवल आठ राज्य विश्वविद्यालयों को स्थान मिला। इस सूची में डी.डी.यू.जी.यू. का प्रदर्शन न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। विश्वविद्यालय ने पिछले वर्ष की तुलना में लगभग सभी प्रमुख संकेतकों में सुधार दर्ज किया है। पीएचडी धारक शिक्षकों का अनुपात 73.5 से बढ़कर 86.0 हो गया, जबकि फैकल्टी-स्टूडेंट अनुपात 26.9 से घटकर 24.1 हुआ, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता और व्यक्तिगत मार्गदर्शन में सुधार हुआ। शोध के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है-प्रति शिक्षक शोधपत्रों की संख्या 5.4 से बढ़कर 8.2 हो गई, वहीं साइटेशन प्रति पेपर 2.7 से बढ़कर 6.3 तक पहुंचा। पिछले पांच वर्षों में विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा 693 शोधपत्र प्रकाशित किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% की वृद्धि को दर्शाता है। साइटेशनों की संख्या भी 3,897 से बढ़कर 5,851 हो गई है, जिससे विश्वविद्यालय की वैश्विक शोध दृश्यता में स्पष्ट बढ़ोतरी हुई है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नवाचार की दिशा में अग्रसर
डी.डी.यू. गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। विश्वविद्यालय का ‘इंटरनेशनल रिसर्च नेटवर्क’ स्कोर 2.7 से बढ़कर 20.9 हुआ है, जो सात गुना वृद्धि है। यह सफलता एशिया और यूरोप के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ हुए एमओयू और संयुक्त शोध परियोजनाओं के माध्यम से संभव हुई है। विश्वविद्यालय ने अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई रणनीतिक पहलें शुरू कीं। इसमें विषयगत अनुसंधान केंद्रों की स्थापना, संकाय अनुसंधान अनुदान, उच्च गुणवत्ता वाले प्रकाशनों को प्रोत्साहन और अंतरविषयी शोध को बल देना शामिल है। विश्वविद्यालय ने उद्योग आधारित पाठ्यक्रमों और स्टार्टअप इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना के जरिए छात्रों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है। इससे एम्प्लॉयर रेप्यूटेशन में सुधार हुआ है, जो क्यूएस मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। साथ ही शिक्षक विकास कार्यक्रमों और अकादमिक प्रशिक्षण के माध्यम से पीएचडी धारक संकाय की संख्या बढ़ाई गई है। विश्वविद्यालय ने डिजिटल शिक्षा और सतत विकास की दिशा में भी ठोस कदम उठाए हैं-स्मार्ट क्लासरूम, डेटा आधारित प्रबंधन प्रणाली और हरित परिसर की अवधारणा को लागू करते हुए डी.डी.यू.जी.यू. ने खुद को आधुनिक शिक्षण संस्थान के रूप में स्थापित किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की भावना के अनुरूप नीति संवाद और अकादमिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से विश्वविद्यालय ने अपने शिक्षकों और विद्यार्थियों को नई शिक्षा प्रणाली से जोड़ा है।
कुलपति का संदेश और भविष्य की दिशा
विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सफलता संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के सामूहिक परिश्रम का परिणाम है। उन्होंने कहा कि समग्र स्कोर में 55 प्रतिशत की वृद्धि हमारे शोध, नवाचार और वैश्विक साझेदारी पर केंद्रित दृष्टिकोण की सफलता को दर्शाती है। प्रो. टंडन के अनुसार, यह उपलब्धि राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन और विश्वविद्यालय की टीम भावना का प्रमाण है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय अब पूर्वी उत्तर प्रदेश को शिक्षा और नवाचार का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि वह वैश्विक शिक्षा रैंकिंग में और ऊंचा स्थान प्राप्त करे तथा स्थानीय समुदायों के लिए अनुसंधान आधारित समाधान प्रदान करे। विश्वविद्यालय ने अपने ‘स्थानीय प्रतिबद्धता और वैश्विक उत्कृष्टता’ के सिद्धांत पर चलते हुए पूर्वी भारत में उच्च शिक्षा की नई परिभाषा तय की है। क्यूएस साउथ एशिया 2026 रैंकिंग में उत्तर प्रदेश के आठ विश्वविद्यालयों को स्थान मिला है, जो राज्य की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को दर्शाता है। इन विश्वविद्यालयों में डी.डी.यू. गोरखपुर विश्वविद्यालय का प्रदर्शन विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है। क्यूएस ने इस रैंकिंग में कुल 11 प्रमुख संकेतकों-एकेडमिक रेप्यूटेशन, एम्प्लॉयर रेप्यूटेशन, फैकल्टी-स्टूडेंट अनुपात, पीएचडी स्टाफ, साइटेशन प्रति पेपर और इंटरनेशनल रिसर्च नेटवर्क आदि-के आधार पर विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन किया है। 1.98 करोड़ शोधपत्रों और 20 करोड़ साइटेशनों के विश्लेषण पर आधारित यह मूल्यांकन अब तक का सबसे व्यापक आकलन माना जा रहा है। इस उपलब्धि ने यह सिद्ध कर दिया है कि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय अब न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मानचित्र पर भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है।




