दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) में इस साल प्रवेश के लिए अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। कुल 34 हजार से अधिक आवेदन विश्वविद्यालय को प्राप्त हुए, जिनमें से लगभग 29 हजार छात्रों ने प्रवेश परीक्षा दी। हालांकि, इसके बाद हुई दो चरणों की काउंसलिंग प्रक्रिया में केवल 80% सीटें भर सकीं। करीब 15 हजार छात्रों ने काउंसलिंग में हिस्सा लिया, लेकिन बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा दाखिला निरस्त कराए जाने के चलते लगभग 20% सीटें खाली रह गईं। अब विश्वविद्यालय ने इन रिक्तियों को भरने के लिए 30 अगस्त से 4 सितंबर तक विभागवार स्पॉट काउंसलिंग कराने की घोषणा की है।
स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों में रिक्तियां
यूजी स्तर पर 13 विषयों में सीटें खाली हैं। इनमें बीफार्मा/डीफार्मा, बीए जेएमसी, बीए एलएलबी, बीबीए, बीसीए, बीसीए (मशीन लर्निंग एंड डाटा साइंस), बीकॉम (बैंकिंग एंड इंश्योरेंस), बीकॉम, बीएससी जीव विज्ञान, बीएससी गणित, बीएससी कृषि और बीपीटी/एमएलटी शामिल हैं। अकेले बीए में ही करीब 900 सीटें रिक्त हैं। बीटेक पाठ्यक्रमों की रिक्त सीटों के लिए अलग से काउंसलिंग तिथियां घोषित की जाएंगी। वहीं, पीजी स्तर पर 25 विषयों में प्रवेश सीटें खाली हैं। इनमें एलएलबी, एलएलएम (दोनों श्रेणियां), एमएड, एमए (प्राचीन इतिहास, शिक्षाशास्त्र, अंग्रेजी, भूगोल, हिंदी, इतिहास, गृह विज्ञान, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र), एमबीए, एमसीए, एमकॉम और एमएससी कृषि जैसे विषय शामिल हैं। विज्ञान वर्ग में एमएससी बायोइनफॉर्मेटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, बॉटनी, रसायन विज्ञान, गणित, माइक्रोबायोलॉजी, भौतिकी और प्राणिविज्ञान की सीटें भी खाली पड़ी हैं।
स्पॉट काउंसलिंग से मिलेगी राहत
प्रवेश प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि 30 अगस्त से 4 सितंबर तक विभागवार स्पॉट काउंसलिंग आयोजित होगी। अभ्यर्थियों को तय तिथि पर अपने-अपने विभाग में उपस्थित होना होगा। केवल वही छात्र इस प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे, जिन्होंने प्रवेश परीक्षा दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि इस बार स्पॉट काउंसलिंग के माध्यम से शेष रिक्त सीटें भी भर जाएंगी।
DDU में प्रवेश प्रक्रिया की मौजूदा स्थिति यह बताती है कि आवेदन संख्या रिकॉर्ड स्तर पर होने के बावजूद दाखिले की अंतिम स्थिति कई कारकों से प्रभावित होती है। छात्र-छात्राओं के विकल्प बदलने और दाखिले निरस्त कराने से विश्वविद्यालयों में ऐसी रिक्तियां आमतौर पर रह जाती हैं। अब यह देखना होगा कि स्पॉट काउंसलिंग से कितनी सीटें भर पाती हैं और किन विषयों में छात्रों का ज्यादा रुझान दिखाई देता है।