छात्रों के लिए बड़ी राहत, हजारों को मिलेगा अतिरिक्त अवसर
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) ने उन हजारों विद्यार्थियों को राहत दी है जिनका साल बैक पेपर की वजह से बर्बाद होने की आशंका थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने घोषणा की है कि सितंबर माह में विशेष बैक परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इस परीक्षा में 6,125 छात्र-छात्राएं शामिल होंगे। परीक्षा विभाग ने आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी हैं और सभी परीक्षाएं विश्वविद्यालय परिसर में ही कराई जाएंगी। यहां तक कि संबद्ध कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को भी डीडीयू कैंपस आकर ही परीक्षा देनी होगी। परीक्षा को व्यवस्थित रूप से पूरा करने के लिए प्रतिदिन चार पालियों में प्रश्नपत्र आयोजित होंगे। लक्ष्य रखा गया है कि सभी परीक्षाएं 10 से 12 दिनों के भीतर संपन्न करा दी जाएं, ताकि परिणाम भी समय पर जारी किए जा सकें।
विषयवार स्थिति और परीक्षा की रूपरेखा
इस बार सबसे अधिक विद्यार्थी थ्योरी विषयों की परीक्षा देंगे। आंकड़ों के अनुसार, 3,394 छात्रों ने थ्योरी विषयों में आवेदन किया है, 2,019 छात्रों ने माइनर विषयों में और 712 छात्रों ने प्रैक्टिकल विषयों में आवेदन किया है। कुल मिलाकर 233 विषयों की परीक्षाएं आयोजित होंगी, जिनमें 151 थ्योरी, 30 माइनर और 52 प्रैक्टिकल विषय शामिल हैं। परीक्षा विभाग ने प्रश्नपत्र तैयार करने और उनके मॉडरेशन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है ताकि समय पर और पारदर्शी ढंग से परीक्षा हो सके। परीक्षा विभाग का कहना है कि पूरे आयोजन को छात्रहित में रखा गया है ताकि जिन छात्रों की मेहनत बैक पेपर के कारण अधर में लटकी थी, उन्हें अपनी पढ़ाई और करियर को आगे बढ़ाने का अवसर मिल सके।
निर्णय के पीछे कारण और कुलपति का बयान
विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह निर्णय छात्रों की लगातार मांग और विरोध को देखते हुए लिया है। तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के पांचवें और छठे सेमेस्टर तथा चार वर्षीय पाठ्यक्रम के सातवें और आठवें सेमेस्टर में हजारों छात्रों का बैक पेपर लग गया था, जिससे उनके पूरे शैक्षणिक वर्ष पर संकट खड़ा हो गया था। छात्रों की परेशानी को समझते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि विद्यार्थियों का एक साल बर्बाद न हो, इसलिए विशेष परीक्षा का अवसर दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि यूनिवर्सिटी बैक पेपर प्रणाली में सुधार करने की दिशा में काम कर रही है ताकि इसे और अधिक पारदर्शी, छात्रहितैषी और परिणामोन्मुख बनाया जा सके। इस निर्णय से छात्रों में उत्साह और उम्मीद जगी है, क्योंकि अब उन्हें अपने शैक्षणिक भविष्य को बचाने का अवसर मिल रहा है।