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Gorakhpur News : दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में बनेगा आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, पर्यावरण संरक्षण और शोध का होगा नया केंद्र

Gorakhpur news in hindi : स्वच्छ जल, हरित परिसर और सतत विकास की दिशा में विश्वविद्यालय की बड़ी पहल

DDU Gorakhpur Sewage Treatment Plant construction plan | Gorakhpur News

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश –  दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में एक बड़ी पर्यावरणीय पहल के तहत 12 KLD क्षमता का अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना के लिए लगभग ₹6.11 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है और इसका निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट्स कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। यह प्लांट विवेकानंद छात्रावास के पीछे 36 × 50 मीटर क्षेत्रफल में विकसित होगा और अपशिष्ट जल के वैज्ञानिक प्रबंधन के साथ-साथ परिसर में स्वच्छता और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित करेगा। सरकार की इस पहल का उद्देश्य विश्वविद्यालय को हरित, स्वच्छ और सतत विकास का मॉडल बनाना है। STP के निर्माण से न केवल परिसर को प्रदूषण मुक्त करने में मदद मिलेगी बल्कि स्वच्छ जल के पुनः उपयोग से जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

परियोजना की आधुनिक संरचना और सतत विकास में योगदान

इस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में पंपिंग रूम, कलेक्शन टैंक, सक्रिय कीचड़ टैंक (Activated Sludge Tank), प्लांट बेड्स और ट्रीटेड वाटर टैंक जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी। इन व्यवस्थाओं के जरिए अपशिष्ट जल को वैज्ञानिक प्रक्रिया से शुद्ध कर पुनः उपयोग के योग्य बनाया जाएगा। परियोजना का लक्ष्य न केवल प्रदूषण को रोकना है बल्कि भूजल और मिट्टी के संरक्षण को भी सुनिश्चित करना है। STP के माध्यम से कार्बन फुटप्रिंट कम होगा, स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र सुरक्षित रहेगा और जैव विविधता की रक्षा में भी मदद मिलेगी। यह पहल संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप है और विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग को मजबूत करने में भी योगदान देगी।

शिक्षा, शोध और नवाचार के लिए “लाइव डेमो यूनिट”

DDU प्रशासन ने इस परियोजना को केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से नहीं बल्कि शिक्षा और शोध के नजरिए से भी महत्वपूर्ण बताया है। विश्वविद्यालय इसे “लाइव डेमो यूनिट” के रूप में स्थापित करेगा, जहां विद्यार्थी और शोधार्थी अपशिष्ट जल प्रबंधन और पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी की वास्तविक कार्यप्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से समझ पाएंगे। यह यूनिट शोध संस्थानों और औद्योगिक भागीदारों के सहयोग से नवाचार और ज्ञान-विकास का केंद्र बनेगी। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि यह प्लांट परिसर को स्वच्छ और हरित बनाएगा, छात्रों को व्यावहारिक अनुभव देगा और संस्थान की अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत करेगा। इस परियोजना से विश्वविद्यालय शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण दोनों क्षेत्रों में नई मिसाल कायम करेगा।

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