दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर शोध और नवाचार के क्षेत्र में अपनी मजबूत पहचान दर्ज कराई है। हाल ही में यूनिवर्सिटी को नेचर इंडेक्स रैंकिंग में स्थान मिला था और पिछले छह महीनों के भीतर 50 से अधिक पेटेंट हासिल कर यह संस्थान सुर्खियों में रहा। अब स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गई विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में डी.डी.यू. के तीन शिक्षक शामिल होकर संस्थान को गौरवान्वित कर रहे हैं। इस सूची में भौतिक विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव, रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. गुरमीत सिंह और जीव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. रवि कांत उपाध्याय का नाम शामिल है। यह रैंकिंग एल्सिवियर 2025 डेटाबेस पर आधारित है, जिसमें अगस्त 2024 तक के शोध प्रकाशन, उद्धरण और वैज्ञानिक प्रभाव जैसे मानकों को ध्यान में रखा गया है। चयन के लिए छह प्रमुख संकेतकों का उपयोग किया गया, जिनमें कुल उद्धरण, h-इंडेक्स, hm-इंडेक्स और विभिन्न भूमिकाओं में किए गए शोध कार्यों का प्रभाव शामिल रहा।
शोध कार्य और वैज्ञानिक योगदान
स्टैनफोर्ड की सूची में शामिल डी.डी.यू. के शिक्षकों ने अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय शोध कार्य किए हैं। डॉ. अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने अब तक 150 से अधिक एससीआई शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं और 7 अंतरराष्ट्रीय पुस्तकें भी लिखी हैं। उनका h-इंडेक्स 27 और i10-इंडेक्स 78 है। वे यूनिवर्सिटी की वेबसाइट संचालन की जिम्मेदारी भी संभालते हैं। जीव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. रवि कांत उपाध्याय ने 150 से ज्यादा शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं, उनका h-इंडेक्स 28 और i10-इंडेक्स 67 है। वहीं रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. गुरमीत सिंह ने 200 से अधिक शोध-पत्रों का प्रकाशन किया है और वर्तमान समय में भी वे सक्रिय रूप से शोध में योगदान दे रहे हैं। इन तीनों वैज्ञानिकों के नाम इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल होना न केवल यूनिवर्सिटी बल्कि पूरे पूर्वांचल क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।
कुलपति का संदेश और भविष्य की दिशा
डी.डी.यू. गोरखपुर यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस उपलब्धि पर शिक्षकों को बधाई दी और कहा कि यह विश्वविद्यालय की शोध उत्कृष्टता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि नेचर इंडेक्स में स्थान प्राप्त करना, कम समय में 50 से अधिक पेटेंट हासिल करना और अब स्टैनफोर्ड की वैश्विक सूची में प्रोफेसरों का नाम आना इस बात का संकेत है कि विश्वविद्यालय लगातार अंतरराष्ट्रीय मानकों पर अपनी पहचान बना रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य में और भी शोधकर्ता इस तरह की वैश्विक सूचियों में शामिल होंगे और विश्वविद्यालय का नाम नई ऊँचाइयों तक पहुंचेगा। कुलपति ने यह भी कहा कि यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के शोधार्थियों को प्रेरित करेगी और संस्थान की पहचान को विश्व पटल पर और मजबूत बनाएगी।