गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में मीटर बदलने की प्रक्रिया से जुड़े एक बड़े घोटाले की जांच अब साइबर सेल ने अपने हाथ में ले ली है। गोरखपुर और बस्ती मंडल में एक ही रात में 3700 से अधिक रिजेक्टेड केस अप्रूव हो जाने से विभाग में हड़कंप मच गया है। इनमें से अकेले गोरखपुर जोन प्रथम के करीब 3000 केस शामिल हैं। दरअसल प्रदेश में पुराने और प्रीपेड मीटरों को बदलने का कार्य जीनस कंपनी कर रही है और इस प्रक्रिया के अंतिम चरण में क्वालिटी चेक (QC-3) के तहत मीटर की रीडिंग और अन्य पैरामीटर्स मिलाए जाते हैं। इसके बाद ही भुगतान की स्वीकृति मिलती है। इसी स्तर पर बड़ी अनियमितता सामने आई है। 17 सितंबर की शाम से लेकर 18 सितंबर की सुबह तक अचानक हजारों केस एक साथ अप्रूव हो गए। अधिकारियों के अनुसार यह कार्य अधिशासी अभियंताओं की आईडी से हुआ, जबकि अभियंताओं ने साफ इंकार करते हुए दावा किया कि उनकी आईडी हैक की गई है। इस विवाद के चलते कंपनी और अभियंताओं के बीच तनातनी बढ़ गई है।
अभियंताओं का निलंबन और विरोध, साइबर पुलिस जांच में जुटी
इस मामले में शुरुआत में एमडी ने गोरखपुर जोन के तीन अधिशासी अभियंताओं और दो सहायक अभियंताओं को निलंबित कर दिया था। हालांकि बाद की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सहायक अभियंताओं की आईडी से अप्रूवल नहीं हुआ था, जिसके बाद उनका निलंबन वापस ले लिया गया। बावजूद इसके अधिशासी अभियंता अब भी जांच के घेरे में हैं। अभियंताओं का आरोप है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और वास्तविक गड़बड़ी की जिम्मेदारी कंपनी पर डाली जानी चाहिए। अभियंता संघ ने भी विरोध दर्ज कराया है और कहा है कि प्रदेशभर में अप्रूवल की प्रक्रिया होती है, लेकिन कार्रवाई केवल गोरखपुर जोन तक सीमित रखी गई है। यह भी सामने आया है कि अन्य जिलों के अधिशासी अभियंता खुद अपनी आईडी से अप्रूवल स्वीकार कर चुके हैं, जबकि गोरखपुर के अभियंताओं ने इसका खंडन किया है। साइबर पुलिस अब इस बात की तहकीकात कर रही है कि क्या वाकई आईडी हैक हुई थी या फिर यह किसी आंतरिक मिलीभगत का नतीजा है।
ईमेल और पासवर्ड की जांच से खुलेगा राज, कंपनी बचाने के आरोप
इस पूरे मामले में सबसे अहम सवाल यह है कि हजारों रिजेक्टेड केस आखिरकार एक साथ अप्रूव कैसे हो गए। अभियंताओं का कहना है कि जब भी पासवर्ड बदला जाता है तो उसका अलर्ट ईमेल पर आता है, लेकिन उन्हें इस तरह का कोई मेल प्राप्त नहीं हुआ। ऐसे में साइबर सेल अब न केवल ईमेल लॉग की जांच कर रही है बल्कि आईपी एड्रेस ट्रैक कर असली दोषी तक पहुंचने की कोशिश भी कर रही है। वहीं, कंपनी को बचाने के आरोप भी तेजी से उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, शुरुआत में इस मामले पर एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई थी, जिससे अभियंताओं पर शक गहराया। हालांकि निलंबन के बाद पुलिस केस दर्ज कर अब साइबर जांच शुरू कर चुकी है। गोरखपुर-बस्ती मंडल की इस अनियमितता ने बिजली विभाग की कार्यप्रणाली और जीनस कंपनी की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह मामला साइबर फ्रॉड था या फिर विभागीय लापरवाही का परिणाम, लेकिन फिलहाल इसने उपभोक्ताओं के बीच भी अविश्वास का माहौल बना दिया है।