गोरखपुर के पैडलेगंज गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यटन विकास कार्यों और गुरुद्वारा परिसर विस्तार योजनाओं का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नाथ और सिख परंपरा एक ही साझा सांस्कृतिक धारा की दो मजबूत कड़ियां हैं, जिनकी नींव राष्ट्रभक्ति और बलिदान पर आधारित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वही परंपरा है जिसने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने नन्हे साहिबजादों तक का बलिदान दिया, लेकिन दशकों तक उपेक्षित रही। सत्ता संभालने के बाद उनकी सरकार ने इस परंपरा को नया जीवन दिया और गौरव के साथ समाज के बीच स्थापित किया।
योगी सरकार की योजनाएं और ऐतिहासिक पहल
सीएम योगी ने बताया कि गोरखपुर के प्रमुख तीनों गुरुद्वारों—जटाशंकर, मोहद्दीपुर और पैडलेगंज—को नया स्वरूप दिया गया है। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना की 421वीं वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए कहा कि सिख गुरुओं का हर क्षण राष्ट्र, धर्म और मानवता को समर्पित रहा। सिख समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि योगी सरकार ने सिख गौरव को पुनर्जीवित किया है। पाठ्यक्रमों में सिख गुरुओं का इतिहास शामिल करना, आलमबाग में ‘खालसा चौक’ की स्थापना और सरकारी स्तर पर ‘साहिबजादा दिवस’ मनाने की शुरुआत, ऐसे कदम हैं जो नई पीढ़ी को बलिदान और धर्म रक्षा की प्रेरणा देंगे। इसी क्रम में सरकार ने “पंच तख्त यात्रा योजना” शुरू की है, जिसके तहत श्रद्धालु आनंदपुर, अकाल तख्त, दमदमा साहिब, हजूर साहिब और पटना साहिब की यात्रा कर सकेंगे। इस योजना के तहत आर्थिक सहयोग भी उपलब्ध कराया जाएगा।
गोरखपुर में सिख योगदान की सराहना
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पिछली सरकारों ने सिखों को सनातन से अलग करने की राजनीति की, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि सनातन और सिख परंपरा एक ही साझा सांस्कृतिक धारा हैं। उन्होंने गोरखपुर में सिख समुदाय के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि यहां के गुरुद्वारे लंबे समय से आस्था के केंद्र रहे हैं और अब उन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर को पूर्वांचल के सिख समाज को एकजुट करने और आने वाली पीढ़ियों तक गौरवशाली परंपरा को पहुंचाने का अवसर बताया।
यह कार्यक्रम सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं बल्कि सिख और नाथ परंपरा के साझा मूल्यों को सम्मान देने का प्रतीक है। इससे प्रदेश में धार्मिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता को मजबूती मिली है। साथ ही यह पहल सिख समाज की आने वाली पीढ़ियों को बलिदान, धर्म रक्षा और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी।