गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में हर साल शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा अर्चना होती है और इस परंपरा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर, पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ निभाते हैं। इस वर्ष 1 अक्टूबर, बुधवार को भी सीएम योगी महानवमी पर सुबह-सुबह अपने आवास स्थित शक्तिपीठ में मां सिद्धिदात्री की आराधना करेंगे। पूजा के उपरांत कन्या पूजन का कार्यक्रम होगा, जिसमें नौ रूपों वाली देवियों का प्रतीक स्वरूप मानी जाने वाली अविवाहित बालिकाओं को आमंत्रित कर उनके पांव पखारे जाएंगे, उन्हें आदरपूर्वक भोजन कराया जाएगा और दक्षिणा व उपहार भी भेंट किए जाएंगे। इस अवसर पर परंपरा के अनुसार बटुक पूजन भी आयोजित होगा जिसमें छोटे बालकों को भी आमंत्रित कर विशेष सत्कार किया जाएगा। मंदिर परिसर में इस दिन बड़ी संख्या में बालिकाएं एकत्रित होती हैं और योगी आदित्यनाथ स्वयं उनके लिए भोजन परोसते हैं। नवरात्रि की नवमी का यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि समाज में मातृशक्ति और बालिकाओं के सम्मान का संदेश भी देता है।
विजयदशमी पर विशेष पूजन और शोभायात्रा का आयोजन
महानवमी के अगले दिन 2 अक्टूबर, गुरुवार को विजयदशमी के पावन पर्व पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर में परंपरागत रूप से गुरु गोरखनाथ का विशिष्ट पूजन करेंगे। इस दिन वे परंपरा अनुसार विशेष पोशाक धारण करेंगे और मंदिर परिसर में स्थापित सभी देव विग्रहों की पूजा करेंगे। इसके साथ ही विजयदशमी की शाम गोरखनाथ मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी जिसकी अगुवाई स्वयं मुख्यमंत्री करेंगे। शोभायात्रा नगर भ्रमण करते हुए मानसरोवर रामलीला मैदान तक पहुंचेगी जहां भगवान श्रीराम का पूजन और राज्याभिषेक संपन्न होगा। यह परंपरा सदियों पुरानी है और हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसमें भागीदारी करते हैं। नगर निगम की ओर से इस शोभायात्रा के मार्ग पर पांच भव्य तोरण द्वार बनाए जा रहे हैं और पूरे रास्ते को सजावट व रोशनी से आलोकित करने की तैयारी है। सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं ताकि इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन को भव्यता के साथ संपन्न कराया जा सके।
गोरक्षपीठ की परंपरा और विजयदशमी का महत्व
विजयदशमी के दिन गोरक्षपीठाधीश्वर विशेष धार्मिक और सामाजिक भूमिका निभाते हैं। शोभायात्रा संपन्न होने के बाद योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर में दंडाधिकारी की भूमिका निभाएंगे, जो नाथपंथ की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। इस भूमिका के अंतर्गत वे संत समाज के बीच उत्पन्न विवादों का निपटारा करते हैं और यह प्रक्रिया न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक न्याय और संतुलन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। विजयदशमी का पर्व जहां एक ओर अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक है, वहीं गोरक्षपीठ की परंपराओं के माध्यम से यह दिन संत समाज और जनता के बीच एकता, मर्यादा और धर्म-संस्कृति की रक्षा का संदेश भी देता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इन आयोजनों में सक्रिय रूप से शामिल होना न केवल एक धार्मिक उत्तरदायित्व है बल्कि प्रदेश के मुखिया के रूप में समाज को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का प्रयास भी है। इस वर्ष भी गोरखपुर में होने वाला यह आयोजन पूरे क्षेत्र में उत्सव और श्रद्धा का केंद्र बनेगा और हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस ऐतिहासिक परंपरा के साक्षी बनेंगे।