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चीन से जुड़ा साइबर फ्रॉड नेटवर्क गोरखपुर में बेनकाब: NGO और क्रिप्टो के जरिये करोड़ों की ठगी का खुलासा

गोरखपुर पुलिस ने पकड़े पांच आरोपी, चीन के हैकर से संपर्क के जरिए चल रहा था अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी रैकेट, एनजीओ और करंट अकाउंट्स से होती थी मनी लॉन्ड्रिंग

Gorakhpur police arrest five in China-linked cyber fraud case | Gorakhpur News

गोरखपुर में एक बड़े साइबर फ्रॉड नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है जिसने पूरे देश में अपने जाल फैलाए हुए थे। पुलिस ने इस गिरोह के पांच सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है जो चीन से जुड़े हैकरों के संपर्क में रहकर करोड़ों रुपये की जालसाजी को अंजाम दे रहे थे। इस नेटवर्क का संचालन एनजीओ और करंट बैंक खातों के जरिए किया जा रहा था ताकि लेन-देन वैध दिख सके। जांच में सामने आया है कि यह गिरोह ठगी की रकम को विभिन्न म्यूल खातों के माध्यम से इकट्ठा करता था और फिर उसे नकद में बदलकर क्रिप्टोकरेंसी के जरिये विदेश भेज देता था। इस जालसाजी के मास्टरमाइंड के रूप में कैंट थाना क्षेत्र के शैलेश चौधरी का नाम सामने आया है, जो चीन के एक हैकर के सीधे संपर्क में था। चौधरी अपने स्थानीय संपर्कों को ऑनलाइन कमाई के लालच में फंसाकर उनके नाम पर म्यूल खाते खुलवाता था। ठगी से प्राप्त रकम इन खातों में ट्रांसफर की जाती और फिर विभिन्न डिजिटल चैनलों के माध्यम से ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म पर कन्वर्ट कर दी जाती। गोरखपुर के अलावा कुशीनगर और माया बाजार के कई खातों में संदिग्ध ट्रांजैक्शन पाए गए हैं जिनकी जांच जारी है।

एनजीओ और क्रिप्टो करेंसी के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग की नई चाल

जांच से यह भी खुलासा हुआ है कि आरोपी शैलेश चौधरी ने बीकॉम की पढ़ाई के बाद ‘विद्या पर सबका अधिकार’ (BPSA) नाम से एक एनजीओ बनाया था। उसने इसे एजुकेशनल कंसल्टेंसी के रूप में पंजीकृत कराया और जॉर्जिया में एमबीबीएस एडमिशन दिलाने का दावा कर छात्रों से संपर्क साधा। लेकिन यह एनजीओ वास्तव में ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बनाया गया था। एनजीओ के खातों में आने वाले पैसों पर टैक्स या पूछताछ नहीं होती थी, जिससे गिरोह को गैरकानूनी रकम छिपाने में आसानी होती थी। शैलेश ने अपने साथियों शुभम राय, विशाल गुप्ता, आदिल शफीक और अनुज साह के नाम पर भी इसी तरह के खाते खुलवाए थे। पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह का हर सदस्य एक तय जिम्मेदारी निभाता था। आदिल शफीक एनजीओ के नाम पर करंट अकाउंट खोलने में माहिर था जबकि अनुज साह ने अपने मछली व्यापार के नाम पर अकाउंट खोलकर ठगी की रकम को कैश में बदलने का काम किया। दूसरी ओर, शुभम राय और विशाल गुप्ता ठगी से प्राप्त नकद रकम को डिजिटल माध्यमों के जरिए क्रिप्टोकरेंसी में बदलवाते थे। गिरोह में सभी के बीच मजबूत समन्वय था, जिससे यह नेटवर्क लम्बे समय तक बिना शक के काम करता रहा। पुलिस के अनुसार अब तक इन खातों से 3 करोड़ रुपये से अधिक के ट्रांजैक्शन सामने आए हैं। एसपी सिटी अभिनव त्यागी के नेतृत्व में साइबर क्राइम थाना और एसओजी टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए गिरोह को बिस्मिल पार्क क्षेत्र से गिरफ्तार किया। मौके से 23,100 रुपये नकद, 6 मोबाइल, लैपटॉप, प्रिंटर और 235 पन्नों के दस्तावेज बरामद किए गए।

पुलिस जांच में विदेशी संपर्कों का खुलासा

पुलिस की प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि यह नेटवर्क केवल स्थानीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है। गोरखपुर पुलिस को बरामद मोबाइल फोन और डिजिटल डिवाइस से विदेशी व्हाट्सएप नंबर, डिजिटल वॉलेट एड्रेस और बैंक एंट्री से जुड़े साक्ष्य मिले हैं। टीम ने अब तक 70.54 लाख रुपये की संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों का पता लगाया है, जिनमें से 9.60 लाख रुपये फ्रीज किए जा चुके हैं। पुलिस को ऐसे चैट मिले हैं जिनमें डॉलर में हुए ट्रांजैक्शन दर्ज हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि रकम चीन स्थित नेटवर्क तक पहुंचाई जा रही थी। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि मुख्य आरोपी शैलेश चौधरी पहले से मुंबई में आईटी एक्ट के तहत दर्ज एक केस में नामजद है और अब तक करीब 3.10 करोड़ रुपये व तीन लाख यूएसडीटी के लेन-देन के प्रमाण मिले हैं। इस पूरी कार्रवाई से यह साफ है कि चीन के हैकर भारत के अंदर स्थानीय युवाओं के माध्यम से साइबर अपराधों का संचालन कर रहे हैं। ये नेटवर्क एनजीओ, यूपीआई और हवाला चैनलों के जरिये देशभर में ठगी की रकम को विदेश भेजने का काम कर रहे हैं। गोरखपुर पुलिस अब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद से इनकी डिजिटल ट्रेल को खंगाल रही है ताकि विदेशी मास्टरमाइंड तक पहुंचा जा सके। गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपियों को गुरुवार को जेल भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि यह ऑपरेशन साइबर अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान का हिस्सा है और आने वाले दिनों में कई और कड़ियां खुलने की संभावना है।

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