गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर गोरखपुर शहर पूरी तरह तैयार है। प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक तैयारियां की हैं, ताकि किसी को पूजा के दौरान किसी प्रकार की दिक्कत न हो। इस बार शहर के कुल 110 स्थलों पर छठ पूजा का आयोजन होगा, जिनमें 46 प्रमुख घाट शामिल हैं। इनमें राजघाट, गोरक्षघाट, रामघाट, तकिया घाट, डोमिनगढ़ घाट, सूरजकुंड मानसरोवर, हनुमान गढ़ी घाट, गोरखनाथ मंदिर परिसर, रामपुर नया गांव, राप्तिनगर और शाहपुर घाट मुख्य रूप से आकर्षण का केंद्र होंगे। इन सभी स्थानों पर बिजली, पानी, सफाई, सुरक्षा और सुविधा का इंतज़ाम 24 घंटे जारी रहेगा। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि सभी घाटों को हाईटेक बनाया गया है और वहां पर भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर जरूरी कदम उठाए गए हैं। नदी के किनारे बैरिकेडिंग लगाई गई है ताकि श्रद्धालु गहराई तक न जाएं। इसके अलावा घाटों पर छठ गीतों और भजन-कीर्तन की व्यवस्था की गई है ताकि माहौल धार्मिक और भावनात्मक रूप से संगीतमय बना रहे। हर घाट पर खोया-पाया केंद्र भी बनाया गया है ताकि भीड़ में कोई व्यक्ति या सामान गुम हो जाने पर तुरंत मदद मिल सके। प्रशासन का कहना है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए हर स्तर पर निगरानी की जाएगी।
हाईटेक मॉनिटरिंग और सफाई व्यवस्था पर फोकस, 20 हजार से ज्यादा लाइटें और 3200 कर्मी तैनात
गोरखपुर नगर निगम ने इस वर्ष छठ पर्व को देखते हुए तकनीकी और मानव संसाधन दोनों स्तरों पर विशेष तैयारियां की हैं। नगर आयुक्त ने बताया कि घाटों और आसपास के इलाकों में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इन सभी कैमरों की लाइव फीड एक डेडिकेटेड कंट्रोल रूम में मॉनिटर की जाएगी, जहां से सभी प्रमुख घाटों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाएगी। कंट्रोल रूम से मिलने वाली किसी भी आपात सूचना पर तुरंत संबंधित अधिकारी कार्रवाई करेंगे। सफाई व्यवस्था पर भी प्रशासन ने खास ध्यान दिया है। लगभग 3200 सफाईकर्मी शहरभर में तैनात किए गए हैं, जो घाटों से लेकर अप्रोच रोड तक लगातार सफाई में जुटे हैं। श्रद्धालुओं को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 110 पानी के टैंकर लगाए गए हैं। रात के समय रोशनी के लिए पूरे शहर में 20,000 से अधिक स्ट्रीट लाइटें और रोड लाइटें लगाई गई हैं, जिससे श्रद्धालुओं को अंधेरे में किसी प्रकार की परेशानी न हो। प्रशासन ने 180 से ज्यादा अप्रोच मार्गों और तालाबों की मरम्मत भी कराई है ताकि आवागमन सुगम रहे। इसके साथ ही पुलिस, एनडीआरएफ और स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी चौकसी में लगी हैं। हर घाट पर चिकित्सा बूथ और आपातकालीन सेवाएं मुहैया कराई गई हैं।
गुरु गोरक्षघाट पर ‘जीरो वेस्ट मॉडल’, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल
इस बार गोरखपुर के सबसे प्रमुख घाटों में से एक, गुरु गोरक्षघाट पर एक अनोखी पहल की जा रही है। यहां प्रशासन ने ‘जीरो वेस्ट मॉडल’ लागू करने का निर्णय लिया है। इस मॉडल के तहत पूजा के बाद बचा हुआ अर्पण, फूल, पत्तियां, दीपक और अन्य अपशिष्टों को सीधे नदी में बहाने के बजाय विशेष “अर्पण कलश” में एकत्र किया जाएगा। इसके बाद इन सभी वस्तुओं का वैज्ञानिक निस्तारण किया जाएगा ताकि गोर्रा नदी और आसपास के क्षेत्र प्रदूषणमुक्त रहें। नगर निगम का कहना है कि यह मॉडल अन्य घाटों के लिए भी प्रेरणा बनेगा। इस पूरे प्रोजेक्ट पर प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह राशि घाटों की मरम्मत, लाइटिंग, सुरक्षा, सफाई और तकनीकी उपकरणों की स्थापना में उपयोग की गई है। प्रशासन का उद्देश्य न केवल श्रद्धालुओं को सुरक्षित वातावरण देना है, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता देना है। अधिकारीयों ने बताया कि आने वाले वर्षों में गोरखपुर के सभी प्रमुख घाटों को ‘स्मार्ट छठ घाट’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इस बार के छठ पर्व में जब सूर्य को अर्घ्य देने हजारों श्रद्धालु घाटों पर पहुंचेंगे, तो उन्हें साफ, रोशनी से जगमग और सुरक्षित माहौल मिलेगा-जहां भक्ति और व्यवस्था दोनों एक साथ नजर आएंगी।




