गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में इस वर्ष छठ महापर्व 25 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। इस दिन व्रती महिलाएं सात्विक भोजन कर उपवास की शुरुआत करेंगी। नहाय-खाय के दिन की परंपरा के अनुसार घर और घाटों की साफ-सफाई करके व्रती अपने चार दिवसीय अनुष्ठान का आरंभ करती हैं। इस दिन का उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना और व्रती को आध्यात्मिक रूप से तैयार करना है। पर्व के पहले दिन की यह विधि पूरे महापर्व के लिए एक सकारात्मक और शुभ प्रारंभ मानी जाती है।
खरना और शाम का अर्घ्य
26 अक्टूबर को छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन व्रती निर्जला व्रत रखकर शाम को खीर, फल और अन्य मीठा भोग तैयार करती हैं। यह प्रसाद घर-परिवार और पास-पड़ोस में बांटना भी परंपरा का हिस्सा है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार खरना का प्रसाद ग्रहण करने से जीवन के दुख दूर होते हैं और व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। महापर्व का तीसरा दिन 27 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए समर्पित है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हुए शाम को छठ घाट पहुंचकर डाली और भोग लेकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं। 27 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 5:36 बजे होगा, जो अर्घ्य देने का शुभ समय माना गया है।
पारण और महापर्व का समापन
महापर्व का अंतिम दिन 28 अक्टूबर को सुबह सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। इस दिन सुबह 6:25 बजे सूर्योदय का समय है। व्रती सुबह के अर्घ्य के बाद पारण कर उपवास समाप्त करेंगे। गोरखपुर के घाटों और बाजारों में इस समय छठ पर्व की रौनक दिखाई दे रही है। लोग छठ के पूजन सामग्री खरीदने में व्यस्त हैं, घाटों की साफ-सफाई की जा रही है और व्रती तैयारियों में जुटे हैं। इस प्रकार 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक का चार दिवसीय महापर्व घर-परिवार और सामाजिक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।
- 25 अक्टूबर: नहाय-खाय
- 26 अक्टूबर: खरना
- 27 अक्टूबर: डूबते सूर्य को शाम का अर्घ्य, सूर्यास्त 5:36 बजे
- 28 अक्टूबर: उगते सूर्य को सुबह का अर्घ्य, सूर्योदय 6:25 बजे, पारण और समाप्ति




