गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – भाजपा विधायक महेंद्र पाल सिंह के भाई भोलेंद्र पाल सिंह को अदालत से जमानत मिल गई है। वे वर्तमान में जेल में बंद हैं और एक-दो दिन में औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद उनकी रिहाई संभव है। भोलेंद्र ने 28 अगस्त की रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मुख्यमंत्री और उनके ओएसडी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इस मामले में उन पर रागढ़ताल, चिलुआताल और पिपराइच थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। कुल सात मामले सामने आए, जिनमें एक आबकारी एक्ट के तहत भी दर्ज किया गया था। आरोप है कि आबकारी टीम को उनके ईंट भट्ठे से कच्ची शराब मिली थी। गिरफ्तारी के बाद भोलेंद्र ने जेल से पत्र लिखकर अपनी गलती स्वीकार की और मुख्यमंत्री पर भरोसा जताते हुए राजनीतिक समाधान से इनकार कर दिया।
विवाद से लेकर जेल तक की कहानी
अभद्र टिप्पणी का विवाद उस समय और गहरा गया जब यह स्व. केदार सिंह की प्रतिमा और उससे जुड़ी जमीन के मामले से जोड़ा गया। सैंथवार समाज के बीच यह मुद्दा संवेदनशील बन गया था। भोलेंद्र की पोस्ट ने समुदाय में हलचल मचा दी और राजनीतिक माहौल भी गर्म हो गया। 36 घंटे के भीतर सात मामले दर्ज होने से यह साफ हो गया कि प्रशासन इसे गंभीरता से ले रहा है। इस बीच, पूर्व विधायक जीएम सिंह ने भोलेंद्र की जेल से लिखी चिट्ठी को सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उन्होंने राजनीतिक दलों से दूरी बनाने और मामले का समाधान कानूनी तौर पर निकालने की इच्छा जताई। समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने के लिए जेल आने वाला था, जिसमें नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय और दो सांसद शामिल होने वाले थे, लेकिन भोलेंद्र ने जेल प्रशासन और डीएम को पत्र लिखकर किसी भी राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने से मना कर दिया।
परिवार और समाज की प्रतिक्रिया
भोलेंद्र पाल सिंह का अपने विधायक भाई महेंद्र पाल सिंह से किसी प्रकार का संबंध नहीं है और न ही उन्होंने जेल से मिलने के लिए उनका नाम सूची में दिया था। उनके छोटे भाई रामशंकर सिंह ने पुष्टि की है कि अदालत से जमानत मिलने के बाद अब केवल औपचारिकताएं पूरी करनी हैं, जिसके बाद रिहाई संभव हो जाएगी। सैंथवार समाज में इस घटना के बाद नाराजगी बढ़ी थी, लेकिन प्रतिमा को अन्य स्थान पर स्थापित करने और अब भोलेंद्र को जमानत मिल जाने से समाज का गुस्सा कुछ हद तक शांत हो गया है। माना जा रहा है कि उनकी रिहाई के बाद स्थानीय स्तर पर स्थिति और सामान्य हो जाएगी। हालांकि राजनीतिक गलियारों में इस पूरे प्रकरण को लेकर चर्चा जारी है और इसे आने वाले दिनों में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश कर सकते हैं।