गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर की चिल्लूपार विधानसभा, जो जिले की सबसे बड़ी मतदाता संख्या वाली सीट है, 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीतिक हलचल में है। लंबे समय से राजनीतिक सक्रियता दिखा रही चंद परिवार की बहू, अस्मिता चंद ने अपने चुनावी इरादों का ऐलान कर दिया है। उनके अभियान का नारा ‘चिल्लूपार दिखाएगा दम, 2027 लड़ेंगे हम’ क्षेत्र में नजर आने लगा है।
पूर्व मंत्री स्व. हरिशंकर तिवारी के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में अस्मिता के मैदान में आने से आगामी चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। पिछले दो दशकों से क्षेत्र में सक्रिय अस्मिता को महिला नेताओं में प्रभावशाली माना जाता है, और उनके समर्थक मानते हैं कि भाजपा के टिकट मिलने पर उनका मुकाबला सीधे तिवारी परिवार से होगा।
चंद परिवार का राजनीतिक प्रभाव और परिवार की तैयारी
अस्मिता चंद का परिवार चिल्लूपार विधानसभा में एक मजबूत वोट बैंक के रूप में देखा जाता है। पूर्व में भाजपा से उनके दावों को नजरअंदाज किया गया, लेकिन 2022 के चुनाव में उन्हें आश्वासन मिला कि भाजपा समर्थन करेगी। इस बार यदि उन्हें पार्टी से टिकट मिलता है, तो उनकी दावेदारी और भी मजबूत मानी जाएगी। हालांकि चिल्लूपार सीट पर तिवारी परिवार भी एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी पांच बार विधायक रह चुके हैं और उनके छोटे पुत्र विनय शंकर तिवारी भी विधायक रह चुके हैं। इस बार भी उनके प्रभाव का आंकलन किया जा रहा है।
समीकरण और आगामी चुनाव की रणनीति
चिल्लूपार में ब्राह्मण और क्षत्रिय मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अस्मिता चंद की सक्रियता, क्षेत्र में महिलाओं की समस्याओं को लेकर उनकी पहल और भाजपा का साथ उन्हें लाभ पहुंचा सकता है। यदि भाजपा टिकट नहीं देती है, तो वह किसी अन्य पार्टी या निर्दल के रूप में चुनावी मैदान में उतर सकती हैं, जिससे तीसरा समीकरण बन सकता है और बसपा को भी फायदा मिलने की संभावना है।
उनके परिवार और राजनीतिक नेटवर्क के कारण चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। पिछले चुनावों में उनके परिवार की ताकत विभाजित रही है, लेकिन इस बार पार्टी का समर्थन मिलने पर उनकी स्थिति और मजबूत दिखाई देगी।