गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के पिपराइच थाना क्षेत्र में 15 सितंबर की रात हुई NEET छात्र की हत्या ने पूरे पुलिस विभाग को कठघरे में खड़ा कर दिया है। आरोप है कि पशु तस्करों ने तस्करी के दौरान बाधा बनने पर छात्र को गाड़ी में खींचकर उसकी हत्या कर दी और शव को सड़क किनारे फेंक दिया। घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फूट पड़ा और गोरखपुर-पिपराइच मार्ग को करीब पांच घंटे तक जाम कर दिया गया। मामला इतना गंभीर हुआ कि सरकार ने इसे कानून व्यवस्था और पशु तस्करी दोनों से जोड़कर देखा। मुख्यमंत्री कार्यालय से लगातार निर्देश दिए जा रहे थे कि तस्करी पर अंकुश लगाया जाए, लेकिन कार्रवाई में ढिलाई के चलते यह घटना सामने आई। नतीजतन, एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश को मौके पर भेजा गया, जिन्होंने करीब 18 घंटे तक गोरखपुर में रहकर घटनाक्रम की बारीकी से समीक्षा की। उनकी रिपोर्ट पर तत्काल प्रभाव से कठोर कदम उठाए गए और कुशीनगर व देवरिया के एसपी को हटा दिया गया।
समीक्षा बैठक और कठोर सवाल
16 सितंबर की शाम एडीजी कानून व्यवस्था गोरखपुर पहुंचे और घटनास्थल का मुआयना करने के बाद देर रात तक वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकों का दौर चला। रात करीब साढ़े आठ बजे एडीजी एनेक्सी भवन पहुंचे, जहां एसपी कुशीनगर संतोष कुमार मिश्र, एसपी देवरिया विक्रांत वीर और एसपी संतकबीरनगर संदीप कुमार मीना की गाड़ियां भी पहुंचीं। एक-एक कर हुई बैठकों में एडीजी ने स्पष्ट सवाल किया कि आखिर तस्करों की गाड़ियां कहां गायब हो जाती हैं और उन्हें पकड़ने में हमेशा नाकामी क्यों मिलती है। सूत्रों के अनुसार इस सवाल का संतोषजनक जवाब किसी भी कप्तान के पास नहीं था। अब तक की जांचों में यह सामने आया है कि तस्कर नियमित रूप से कुशीनगर और देवरिया के रास्ते से पशु लेकर बिहार भागते हैं। एडीजी की नाराजगी साफ झलक रही थी और उन्होंने जिम्मेदारी तय करते हुए स्पष्ट संकेत दिए कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके बाद एडीजी गोरखपुर जोन मुथा अशोक जैन, डीआईजी रेंज एस चनप्पा और एसएसपी गोरखपुर राजकरन नैय्यर के साथ आधी रात तक विस्तृत समीक्षा चली। उसी रिपोर्ट के आधार पर अगले ही दिन दोनों एसपी पर कार्रवाई हुई।
कार्रवाई का असर और आगे की संभावनाएं
कुशीनगर के एसपी संतोष कुमार मिश्र 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जिनकी तैनाती जुलाई 2024 में हुई थी और 13 माह के कार्यकाल के बाद ही उन्हें हटा दिया गया। इसी तरह देवरिया के एसपी विक्रांत वीर, जो 2014 बैच के अधिकारी हैं, को दिसंबर 2024 में जिम्मेदारी मिली थी लेकिन एक वर्ष भी पूरा नहीं कर पाए। दोनों अधिकारियों को जिलों से हटाकर मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। जानकारों का कहना है कि यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है और अभी सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है। दो पशु तस्कर अब भी फरार हैं, जिन पर भारी इनाम घोषित किया गया है। गोरखपुर पुलिस के साथ-साथ एसटीएफ की टीमें उनकी तलाश में जुटी हुई हैं। इसके अलावा गोरखपुर के कुछ पुलिसकर्मियों की भी आंतरिक जांच चल रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं तस्करों को भीतर से संरक्षण तो नहीं मिल रहा था। सरकार ने साफ कर दिया है कि पशु तस्करी को लेकर किसी भी स्तर की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले ने पुलिस महकमे में स्पष्ट संदेश दे दिया है कि कानून व्यवस्था और संवेदनशील मामलों में ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है।




