फिरोजाबाद में नया विवाद, ASP अनुज चौधरी और यूट्यूबर मश्कूर रजा के बीच फिर गरमा गया मामला
फिरोजाबाद जिले में एक बार फिर पुलिस अधिकारी और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट के बीच विवाद सुर्खियों में है। ASP अनुज चौधरी और यूट्यूबर मश्कूर रजा के बीच हुई बातचीत का एक नया ऑडियो सामने आया है, जिसमें मश्कूर रजा ने अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने कहा कि “आपने मेरा करियर खत्म कर दिया, हाथ-पैर बेकार कर दिए, बेहतर होता कि आप गोली मार देते।” यह ऑडियो तेजी से सोशल मीडिया पर फैल गया है और पुलिस विभाग इस पर जांच में जुट गया है। बताया जा रहा है कि यह वही मश्कूर रजा है, जिसे संभल में 2024 में हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार किया गया था। उस समय अनुज चौधरी वहां के सर्किल ऑफिसर (CO) थे। यूट्यूबर ने उनसे इंटरव्यू के लिए संपर्क किया था, लेकिन अधिकारी ने इनकार कर दिया था। इस बात से नाराज होकर मश्कूर ने फोन पर बहस की और मुख्यमंत्री से लेकर DGP तक का नाम लेकर धमकाने लगा था। उसी प्रकरण में दिसंबर 2024 में उसे जेल भेजा गया था। अब, उसकी जमानत पर रिहाई के बाद यह नया ऑडियो सामने आया है, जिसने फिर से मामले को तूल दे दिया है।
पुराने विवाद की जड़ से लेकर नए ऑडियो तक, जानिए पूरा घटनाक्रम और पुलिस की कार्रवाई
मुरादाबाद जिले के मैनाठेर थाना क्षेत्र के गांव ताहरपुर निवासी मश्कूर रजा खुद को यूट्यूबर और पत्रकार बताता है। उसने 24 नवंबर 2024 को संभल में हुई हिंसा के बाद CO अनुज चौधरी से बातचीत की कोशिश की थी। जब उन्होंने इंटरव्यू से इनकार किया, तो मश्कूर ने आपा खो दिया और कथित रूप से धमकियां दीं। बातचीत का ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह कहता सुना गया था – “अगर कहो तो मुख्यमंत्री या डीजीपी से बात करा दूं।” इसके बाद पुलिस ने साक्ष्यों के आधार पर उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था। अब जेल से जमानत पर छूटने के बाद वह फिर संपर्क में आया और इस बार उसने अधिकारी को भावनात्मक और आरोपात्मक अंदाज में बात की। ताजा ऑडियो में मश्कूर रजा खुद को पीड़ित बताते हुए कह रहा है कि उसके साथ अन्याय हुआ है और उसने केस दर्ज करा दिया है। वहीं, ASP अनुज चौधरी पूरे मामले में शांत स्वर में जवाब देते सुने जा रहे हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह ऑडियो हाल का है या पुराना, लेकिन इसकी फॉरेंसिक जांच की जा रही है।
यूट्यूबर का आरोप और प्रशासन की प्रतिक्रिया, सोशल मीडिया पर बहस तेज
इस प्रकरण ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है। कई यूजर्स यूट्यूबर के दावों पर सवाल उठा रहे हैं तो कुछ लोग प्रशासन की कार्यशैली पर निशाना साध रहे हैं। मश्कूर रजा का कहना है कि उसे सिर्फ एक फोन कॉल के लिए 13 दिन जेल में रहना पड़ा, जबकि उसने किसी तरह की हिंसा नहीं की थी। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसका यूट्यूब चैनल बंद करवाया गया और उसकी पत्रकारिता पर प्रहार हुआ। दूसरी ओर, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कानून के अनुसार कार्रवाई की गई थी। अधिकारी ने कहा कि किसी भी सरकारी पदाधिकारी को धमकाना या उच्च अधिकारियों के नाम लेकर दबाव बनाना गंभीर अपराध है। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए निष्पक्ष जांच आवश्यक है। सूत्रों के अनुसार, विभागीय स्तर पर बातचीत की जांच साइबर सेल को सौंपी जा सकती है ताकि ऑडियो की प्रामाणिकता सुनिश्चित की जा सके। घटना के बाद से ही दोनों पक्षों में तनाव की स्थिति बनी हुई है, जबकि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सोशल मीडिया और पत्रकारिता के नाम पर व्यक्तिगत विवादों को कितना बढ़ाया जा सकता है, और क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में किसी अधिकारी को धमकाने का अधिकार किसी को हो सकता है।




