वाराणसी की देव दिवाली का दृश्य इस वर्ष भी भक्ति, आस्था और सौंदर्य का अद्भुत संगम लेकर आया। बुधवार की शाम जैसे-जैसे सूरज ढलता गया, वैसे-वैसे काशी की पवित्र धरती पर दीपों की रोशनी फैलती गई। 84 घाटों पर करीब 25 लाख दीप जलाए गए, जिनकी जगमगाहट ने गंगा तट को एक स्वर्गिक रूप दे दिया। हर ओर ‘हर हर महादेव’ और ‘गंगा मईया की जय’ के जयकारों की गूंज थी। गंगा की लहरों पर तैरते दीप ऐसे लग रहे थे मानो आकाश के सितारे धरती पर उतर आए हों। श्रद्धालुओं ने घाटों पर पहुंचकर दीपदान किया और आरती में हिस्सा लिया। महाआरती के दौरान गंगा तट पर हजारों लोग मौजूद थे, जिन्होंने इस दिव्य दृश्य को अपने कैमरे में कैद किया। पूरा वाराणसी शहर भक्ति में डूबा नजर आया, वहीं विदेशी सैलानी भी इस दिव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध हो उठे।
ड्रोन कैमरे से दिखी काशी की दिव्य आभा
भास्कर के ड्रोन कैमरे से ली गई वीडियो फुटेज में काशी का जो दृश्य नजर आया, वह किसी स्वर्ग से कम नहीं था। लगभग 400 फीट की ऊंचाई से कैद की गई इस झलक में घाटों पर सजे दीपों की कतारें, गंगा की लहरों पर तैरते दीप और आसमान में रंग-बिरंगी आतिशबाजी का सम्मिश्रण एक अलौकिक अनुभूति दे रहा था। शहर के अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक हर ओर प्रकाश की लहरें फैली हुई थीं। गंगा आरती के दौरान जलते दीपों से बनी आकृतियों ने न केवल घाटों को रोशन किया बल्कि लोगों के दिलों को भी छू लिया। आसमान में छोड़ी गई आतिशबाजी से पूरा वातावरण सतरंगी हो उठा। इस बार सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस और प्रशासन की टीमों ने विशेष इंतजाम किए थे ताकि भीड़ में कोई अव्यवस्था न हो। शाम से ही घाटों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था और ड्रोन कैमरे की नजर से पूरी काशी का यह भव्य नजारा देशभर में प्रसारित हुआ।
श्रद्धा, संस्कृति और पर्यटन का संगम बनी देव दिवाली
देव दिवाली केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि काशी की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बन चुका है। इस अवसर पर पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। मंदिरों और गलियों में रंग-बिरंगी लाइटें, फूलों की सजावट और संगीत की धुनें वातावरण को आध्यात्मिक बना रही थीं। गंगा तट पर साधु-संतों, भक्तों और पर्यटकों की भीड़ उमड़ी हुई थी। स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश-विदेश से आए पर्यटक भी इस दृश्य का हिस्सा बने। इस अवसर पर प्रशासन ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिसमें बनारस घराने के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का मन मोह लिया। देव दिवाली का यह पर्व भगवान शिव की नगरी में देवताओं के स्वागत का प्रतीक माना जाता है, जब कहा जाता है कि स्वयं देवता गंगा में स्नान करने के लिए धरती पर उतरते हैं। गंगा तट पर दीपदान का यह अनूठा दृश्य न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि वाराणसी की गौरवशाली परंपरा और आध्यात्मिकता का भी प्रमाण है। काशी की यह जगमगाती शाम हर वर्ष की तरह इस बार भी भक्तों के दिलों में अमिट छाप छोड़ गई, और ड्रोन से दिखा यह स्वर्गिक नजारा आने वाले समय में भी देव दिवाली की भव्यता का प्रतीक बना रहेगा।




