कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में आस्था का महासैलाब उमड़ा। वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, अमरोहा, हापुड़, बदायूं और बरेली के घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भरे नजर आए। ब्रह्ममुहूर्त से ही लोग गंगा तटों की ओर रुख करने लगे। गंगा स्नान, दीपदान और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान शिव और कार्तिकेय की पूजा कर परिवार के कल्याण की कामना की। वाराणसी और प्रयागराज में सुबह आठ बजे तक करीब 10 लाख लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई जबकि अयोध्या की सरयू नदी पर पांच लाख से अधिक भक्तों ने पवित्र स्नान किया। हनुमानगढ़ी में हनुमानजी के दर्शन के लिए एक किलोमीटर लंबी कतार लग गई थी। श्रद्धालुओं की सेवा के लिए जगह-जगह सामाजिक संस्थाओं द्वारा भंडारे और सेवा शिविर लगाए गए। वहीं, बदायूं के भक्त पारंपरिक बैलगाड़ियों में बैठकर गंगा स्नान करने पहुंचे, जिससे लोकसंस्कृति की झलक दिखी। गोरखपुर, जौनपुर, देवरिया, बलिया और कुशीनगर में भी लाखों लोगों ने नदी तटों पर स्नान और दीपदान कर धार्मिक परंपरा को आगे बढ़ाया। हर-हर गंगे, हर-हर महादेव और जय श्रीराम के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। प्रशासनिक दृष्टि से सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहा और यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया गया।
काशी में दिव्यता का चरम, देव दीपावली पर जगमगाएंगे 25 लाख दीये
वाराणसी में देव दीपावली 2025 का आयोजन इस बार और भी भव्य रूप लेने जा रहा है। राजघाट से लेकर अस्सी घाट तक गंगा का किनारा मानो दिव्यता से आलोकित हो उठा है। लगभग पांच लाख श्रद्धालु सुबह से ही घाटों पर पहुंच गए थे, जबकि शाम तक यह संख्या कई गुना बढ़ने की संभावना है। काशी प्रशासन और सामाजिक संगठनों की ओर से घाटों पर कुल 25 लाख दीये जलाए जाने की तैयारी है। इनमें से 10 लाख दीये प्रशासन की ओर से, 11 लाख सामाजिक संगठनों और एनजीओ द्वारा तथा शेष 4 लाख दीये मंदिरों और मठों में जलाए जाएंगे। यह दीये पूर्वांचल के विभिन्न जिलों के कुम्हारों से मंगवाए गए हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा संबल मिला है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस आयोजन को ऑनलाइन देखेंगे, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गंगा क्रूज से महाआरती और लेजर शो का अवलोकन करेंगे। इस साल के विशेष आकर्षण में 25 मिनट का थ्रीडी लेजर शो शामिल है, जिसमें भगवान शिव-पार्वती विवाह, संत कबीर, तुलसीदास और महामना मदन मोहन मालवीय के योगदान को दर्शाया जाएगा। इसके अलावा ग्रीन आतिशबाजी और संगीत से सजी गंगा आरती पूरी काशी को आध्यात्मिक रोशनी में नहला देगी।
विदेशियों को लुभा रहा काशी का आस्था उत्सव, संस्कृति और पर्यटन का संगम
देव दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि काशी की सांस्कृतिक और पर्यटन पहचान का प्रतीक बन चुकी है। इस बार लगभग 40 देशों से विदेशी पर्यटक काशी पहुंचे हैं जो गंगा तटों पर जलते दीयों का मनमोहक नजारा देखने आए हैं। अनुमान है कि करीब 20 लाख देशी-विदेशी पर्यटक इस भव्य आयोजन के साक्षी बनेंगे। विदेशी मेहमानों के लिए विशेष घाटों पर बैठने की व्यवस्था की गई है ताकि वे सुरक्षित रूप से गंगा आरती और दीपोत्सव का आनंद ले सकें। टूरिज्म डिपार्टमेंट ने घाटों को झालरों और पोलों को स्पाइरल लाइट से सजाया है, जिससे शहर का हर कोना सुनहरी रोशनी से नहा गया है। नगर निगम की ओर से सफाई और जल व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया है। स्थानीय कलाकारों और संगीतज्ञों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों ने इस आयोजन को और भी आकर्षक बना दिया है। इस अवसर पर श्रद्धालु मानते हैं कि देव दीपावली पर गंगा स्नान और दीपदान से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी की देव दीपावली अब केवल धार्मिक पर्व नहीं रही, बल्कि यह अध्यात्म, संस्कृति और पर्यटन का अद्भुत संगम बन चुकी है जो हर वर्ष यह संदेश देती है कि प्रकाश और आस्था की शक्ति अंधकार पर हमेशा विजय प्राप्त करती है।




