भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए रविवार का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया जब आगरा की ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने विमेंस वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में ऐसा प्रदर्शन किया, जिसने पूरे देश को गर्व से भर दिया। मुंबई में खेले गए इस मुकाबले में भारत की बेटी ने बल्ले से अर्धशतक जड़ा और गेंदबाजी में पांच विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीका को घुटनों पर ला दिया। 53 गेंदों पर शानदार पचासा पूरा करने वाली दीप्ति ने न सिर्फ भारत की पारी को संभाला, बल्कि टीम को एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। इसके बाद जब गेंद थामी, तो उन्होंने 42वें ओवर में दो विकेट लेकर मैच का रुख पलट दिया। दीप्ति ने पहले लौरा वोल्वार्ट को कैच आउट कराया और फिर क्लो ट्रायोन को LBW कर दक्षिण अफ्रीका की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उनके हर विकेट पर स्टेडियम में ‘भारत माता की जय’ और ‘इंडिया-इंडिया’ के नारे गूंज उठे। आगरा के अवधपुरी इलाके में उनके घर पर इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के दौरान खुशी की लहर दौड़ गई। टीवी स्क्रीन के सामने बैठी उनकी मां सुशीला शर्मा ने हर रन और हर विकेट पर तालियां बजाईं। पिता भगवान शर्मा ने कहा कि यह पल सिर्फ उनके परिवार का नहीं, पूरे भारत का गर्व है। उन्होंने कहा, “दीप्ति ने एक बार फिर साबित किया कि बेटियां किसी से कम नहीं। आज वह अपने खेल से लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।”
उत्तर प्रदेश में जश्न का माहौल: अयोध्या से वाराणसी तक दिखा देशभक्ति का जोश
दीप्ति शर्मा के इस प्रदर्शन ने पूरे उत्तर प्रदेश को जश्न में डुबो दिया। आगरा में केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल खुद उनके घर पहुंचे और परिवार के साथ बैठकर मैच देखा। उन्होंने कहा, “जब 1983 में कपिल देव जी ने वर्ल्ड कप जीता था, तो देशभर में हर माता-पिता ने अपने बच्चों को बैट दिलाया था। अब जब दीप्ति और भारतीय बेटियों ने इतिहास रचा है, तो आने वाले कल से हर घर में बेटियों के हाथ में बल्ला और बॉल नजर आएगा।” मंत्री ने दीप्ति की तारीफ करते हुए कहा कि यह जीत भारत की महिलाओं की ताकत और नए युग का प्रतीक है। वहीं, यूपी के अलग-अलग जिलों में लोगों ने पूजा-पाठ, हवन और जुलूसों के जरिए टीम की जीत की कामना की। अयोध्या में संतों ने हवन-पूजन किया, प्रयागराज में महिलाओं और पुरुषों ने मां यमुना से जीत की प्रार्थना की और एक साथ डुबकी लगाई। वाराणसी की छात्राओं ने कॉलेज परिसर में ‘भारत माता की जय’ और ‘चैंपियन हमारी बेटियां’ जैसे नारों से माहौल गूंजा दिया। आर्य महिला डिग्री कॉलेज में छात्राओं ने भारतीय खिलाड़ियों के पोस्टर बनाए, गालों पर तिरंगे की पेंटिंग की और देशभक्ति गीत गाकर बेटियों का उत्साह बढ़ाया। अमरोहा में युवा चित्रकार जुहैब खान ने महिला क्रिकेट टीम की कोयले से एक शानदार कलाकृति बनाई, जिसमें उन्होंने लिखा – ‘भारतीय महिला टीम विजयी भव’। पूरे प्रदेश में इस जीत को ‘नए युग की शुरुआत’ बताया जा रहा है।
परिवार की दुआएं और दीप्ति की जिद: बचपन से था क्रिकेट का जुनून
दीप्ति शर्मा की यह सफलता किसी चमत्कार से कम नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत और अनुशासन का परिणाम है। बचपन से ही वह अपने भाई सुमित शर्मा को स्टेडियम में क्रिकेट खेलते देखती थीं और धीरे-धीरे खेल के प्रति उनका झुकाव बढ़ा। शुरू में उन्हें मैदान में खेलने का मौका नहीं मिलता था, पर वह किनारे बैठकर हर बॉल और हर शॉट का अभ्यास करती थीं। एक दिन जब उन्होंने 50 मीटर दूर से बॉल फेंककर सीधे स्टंप गिरा दिया, तो वहां मौजूद चयनकर्ता हेमलता काला ने उनके अंदर छिपी प्रतिभा को पहचान लिया। उसी पल से दीप्ति के क्रिकेट सफर की शुरुआत हुई। आज वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की रीढ़ बन चुकी हैं। इस वर्ल्ड कप में उनके नाम 22 विकेट और 215 रन दर्ज हुए, जिससे उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ का खिताब मिला। उनकी यह उपलब्धि किसी भी खिलाड़ी के लिए सपनों जैसी है। दो साल पहले उन्हें यूपी पुलिस में डीएसपी पद पर नियुक्त किया गया था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एशियन कप में उनके प्रदर्शन के लिए तीन करोड़ रुपये की धनराशि भी प्रदान की थी। मां सुशीला शर्मा का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी को न सिर्फ मजबूत बनाया बल्कि हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखना सिखाया। फाइनल से पहले घर में सुंदरकांड का पाठ और पूजा की गई थी, ताकि टीम इंडिया को विजयश्री मिले। आज जब भारत ने विश्व कप अपने नाम किया है, तो आगरा की हर गली में यही आवाज गूंज रही है-“देखो, हमारी दीप्ति ने इतिहास रच दिया।” यह जीत केवल भारतीय क्रिकेट की नहीं, बल्कि उन सभी बेटियों की जीत है जो सपने देखने और उन्हें सच करने का साहस रखती हैं।




