भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए पहली बार विमेंस वनडे वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम कर लिया है। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए इस रोमांचक फाइनल मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से मात दी। 52 साल पुराने टूर्नामेंट में भारत की यह पहली ट्रॉफी है जिसने पूरे देश को गर्व से सराबोर कर दिया। इस जीत में आगरा की बेटी और टीम की स्टार ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा का योगदान निर्णायक रहा। पूरे टूर्नामेंट में दीप्ति ने बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में टीम को सहारा दिया और फाइनल में अंतिम विकेट लेकर भारत को विश्वविजेता बना दिया। जैसे ही दीप्ति की गेंद पर दक्षिण अफ्रीका का आखिरी विकेट गिरा, पूरा स्टेडियम ‘इंडिया-इंडिया’ के नारों से गूंज उठा और करोड़ों भारतीयों के सपने सच हो गए। जीत के बाद देशभर में जश्न का माहौल देखने को मिला। लखनऊ, मेरठ, प्रयागराज और आगरा की गलियों में लोगों ने तिरंगे के साथ जुलूस निकाले, आतिशबाजी की और भारत माता की जय के नारे लगाए। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी अपनी बेटियों की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस करते दिखे। आगरा में दीप्ति शर्मा के घर पर तो मानो दीवाली से पहले ही दीप जल उठे। उनके माता-पिता, भाई और बहन की आंखों में खुशी के आंसू थे, जो उनकी मेहनत, संघर्ष और समर्पण की गवाही दे रहे थे।
दीप्ति के घर जश्न का माहौल: मां बोलीं- “मेरी तपस्या पूरी हुई”
आगरा की अवधपुरी कॉलोनी में रविवार की रात का दृश्य किसी त्योहार से कम नहीं था। पूरे मोहल्ले में लोग टीवी के सामने बैठकर भारत की ऐतिहासिक जीत का साक्षी बन रहे थे। जैसे ही भारत विजेता बना, दीप्ति की मां सुशीला शर्मा की आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने भावुक होकर कहा, “टीम इंडिया की सभी बेटियों ने मेरा मान बढ़ाया है। भगवान ने मेरी तपस्या सफल कर दी। मेरी बेटी ने देश का सिर ऊंचा किया है।” पिता भगवान शर्मा भी गर्व से मुस्कुरा उठे और बोले, “दीप्ति ने सिर्फ हमारा ही नहीं, पूरे देश का सपना पूरा किया है। उसका संघर्ष, अनुशासन और मेहनत आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनेगा।” वहीं भाई प्रशांत और बहन प्रगति ने कहा कि अब भारतीय महिला क्रिकेट का नया युग शुरू हो गया है। उन्होंने कहा, “हमारी बहन ने यह साबित कर दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं। अब देश की हर गली से एक नई दीप्ति निकलेगी।” इस ऐतिहासिक जीत के जश्न में केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल भी शामिल हुए जिन्होंने दीप्ति के घर पर पूरा मैच देखा। उन्होंने कहा कि अब हर माता-पिता अपनी बेटियों को बैट और बॉल पकड़ाएंगे क्योंकि बेटियों ने दिखा दिया है कि मेहनत और विश्वास से असंभव भी संभव हो सकता है। मंत्री ने आगे कहा कि जब दीप्ति आगरा लौटेंगी तो उनका भव्य स्वागत किया जाएगा क्योंकि उन्होंने न केवल भारत को वर्ल्ड कप जिताया है बल्कि समाज की सोच को भी बदला है। आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने भी उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीप्ति की यह उपलब्धि महिला क्रिकेट के लिए प्रेरणा बनेगी।
मैदान पर दीप्ति का जलवा: बनीं वर्ल्ड कप की टॉप विकेट टेकर और ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’
दीप्ति शर्मा का प्रदर्शन इस वर्ल्ड कप में अभूतपूर्व रहा। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 22 विकेट चटकाकर ‘टॉप विकेट टेकर’ का खिताब जीता और साथ ही 215 रन भी बनाए। इस प्रदर्शन के लिए उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ चुना गया। दीप्ति अब दुनिया की पहली महिला क्रिकेटर बन गई हैं जिन्होंने किसी वर्ल्ड कप में 200 से अधिक रन बनाते हुए 20 से ज्यादा विकेट लिए हों। उन्होंने भारत के लिए एक सीजन में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड भी बनाया और 1981 में शशिकला कुलकर्णी द्वारा बनाए गए 20 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ा। भारतीय टीम का सफर इस टूर्नामेंट में आसान नहीं था। 9 मैचों में भारत को चार में जीत और चार में हार मिली, जबकि एक मैच बेनतीजा रहा। शुरुआती हारों के बाद टीम ने शानदार वापसी की और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराकर फाइनल में पहुंची। दीप्ति की हर गेंद में आत्मविश्वास, हर शॉट में समर्पण और हर विकेट में देशप्रेम झलकता रहा। क्रिकेट से उनका रिश्ता बचपन से जुड़ा है। उनके बड़े भाई सुमित शर्मा क्रिकेटर थे और दीप्ति अक्सर उन्हें प्रैक्टिस करते देखती थीं। शुरुआत में वह सिर्फ दर्शक बनकर स्टेडियम जाती थीं, लेकिन एक दिन उनकी गेंदबाजी ने सबका ध्यान खींच लिया जब उन्होंने 50 मीटर दूर से बॉल फेंककर सीधे स्टंप गिरा दिया। उस पल को देखकर चयनकर्ता हेमलता काला ने उनका नाम चयन के लिए सुझाया और वहीं से दीप्ति के क्रिकेट सफर की शुरुआत हुई। आज वही लड़की भारत की नायिका बन चुकी है। दीप्ति को यूपी पुलिस में डीएसपी पद से सम्मानित किया गया है और योगी सरकार ने एशियन कप में उनकी सफलता पर तीन करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि भी दी थी। उन्होंने एशियन गेम्स में गोल्ड और कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर पहले ही यह साबित कर दिया था कि भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य उनके कंधों पर सुरक्षित है। इस वर्ल्ड कप ने सिर्फ भारत को नया खिताब नहीं दिलाया, बल्कि यह दिखा दिया कि मेहनत, संघर्ष और विश्वास से कोई भी बेटी विश्व विजेता बन सकती है। दीप्ति शर्मा आज सिर्फ आगरा की नहीं, पूरे भारत की शान बन चुकी हैं।




