कानपुर में बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के प्रदेश संयोजक और आरएसएस से जुड़े वरिष्ठ नेता रवि सतीजा ने यूपी एसटीएफ प्रमुख आईपीएस अमिताभ यश पर गंभीर आरोप लगाए। सतीजा ने दावा किया कि तत्कालीन डीजीपी प्रशांत कुमार ने खुद उनसे कहा था कि “अखिलेश दुबे की मदद एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमिताभ यश कर रहे हैं, आप जाकर उनसे बात कीजिए।” सतीजा के अनुसार, उन्होंने अमिताभ यश से मुलाकात की थी और अखिलेश दुबे द्वारा किए गए अपराधों की जानकारी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि अधिकारी जानबूझकर मामले को दबा रहे हैं। सतीजा ने कहा कि अखिलेश दुबे की बेटी आंचल दुबे खुलेआम कहती फिरती है कि “आईपीएस अमिताभ यश मेरे अंकल हैं, मेरे पापा का बाल भी बांका नहीं होगा।” इस कथन ने पूरे मामले को और संवेदनशील बना दिया है। भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें अब इस सिस्टम से कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। उन्होंने कहा कि जब अपराधियों को सत्ता संरक्षण मिले, तो एक आम नागरिक के लिए न्याय पाना असंभव हो जाता है।
दो महीने से रुकी कार्रवाई, पीड़ितों में भय और निराशा
प्रेस वार्ता में रवि सतीजा के साथ “अखिलेश दुबे मुक्ति मोर्चा” की सदस्य प्रज्ञा त्रिवेदी भी मौजूद रहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दो महीने से अखिलेश दुबे के खिलाफ जांच पूरी तरह ठप पड़ी है। प्रज्ञा ने कहा कि अखिलेश दुबे ने अपने प्रभाव और पैसों के बल पर कई लोगों का जीवन बर्बाद किया है। उन्होंने “शुद्ध प्लस” पान मसाला कंपनी के मालिक के बेटे को झूठे केस में फंसाकर दो साल तक जेल में सड़ने पर मजबूर किया था। प्रज्ञा ने कहा कि अखिलेश दुबे की बेटी सोशल मीडिया पर अभद्र संदेश वायरल कर रही है और धमकियां दे रही है कि “IPS अंकल मेरे पापा को कुछ नहीं होने देंगे।” उन्होंने भावुक होकर कहा कि अगर ऐसे लोगों को सजा नहीं मिलती, तो देश में महिला सुरक्षा और न्याय की बात करना व्यर्थ है। उन्होंने यहां तक कहा कि “अगर हमें न्याय नहीं मिला तो हमें मार दिया जाए, क्योंकि अब हममें उम्मीद नहीं बची।” रवि सतीजा ने जोड़ा कि अखिलेश दुबे के खिलाफ 52 मामलों की जांच एसआईटी कर रही है, लेकिन अब तक किसी भी केस में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। पुलिस कह रही है कि पहले जांच होगी, फिर रिपोर्ट बनेगी, जबकि कानून स्पष्ट कहता है कि पहले एफआईआर होती है, उसके बाद जांच होती है।
पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर सवाल, जनता में आक्रोश
भाजपा नेता मनोज सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कानपुर शहर में फुटपाथ और पार्क जनता की संपत्ति हैं, लेकिन इनमें से कई जगहों पर अखिलेश दुबे का कब्जा है और इसमें केडीए अधिकारियों की मिलीभगत है। उन्होंने व्यंग्य में कहा कि “अगर यही स्थिति रही तो एक दिन ग्रीन पार्क स्टेडियम पर भी अखिलेश दुबे का कब्जा हो जाएगा।” इस दौरान उन्होंने पुलिस प्रशासन पर भी लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि अधिकारी आम नागरिकों की सुरक्षा के बजाय प्रभावशाली अपराधियों की ढाल बनते जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, 7 अगस्त को पुलिस ने अखिलेश दुबे और उनके सहयोगी लवी मिश्रा को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा था, लेकिन इसके बाद से कार्रवाई की रफ्तार धीमी हो गई है। रवि सतीजा ने कहा कि अब उन्हें अपनी जान का खतरा है, क्योंकि वह लगातार इस नेटवर्क के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर आईपीएस अमिताभ यश उनसे मिलकर यह आश्वासन नहीं देते कि निष्पक्ष कार्रवाई होगी, तो यह मान लिया जाएगा कि अखिलेश दुबे की बेटी की बात सच है। गौरतलब है कि रवि सतीजा करीब 50 वर्षों से आरएसएस से जुड़े हैं और वर्तमान में यूपी भाजपा के प्रदेश संयोजक हैं। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के दौरान लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा में भी अहम भूमिका निभाई थी। उनके कई प्रमुख नेता जैसे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी से करीबी संबंध हैं। सतीजा का कहना है कि उन्होंने एक झूठे रेप केस में फंसाए जाने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और अब वह न्याय की अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन यदि सत्ता और कानून मिलकर अपराधियों को बचाने लगें, तो लोकतंत्र का असली अर्थ खत्म हो जाता है।




