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Uttar Pradesh News : 37% शादियां कुंडली न मिलाने से टूट रहीं, BHU की रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे

UP news in hindi : वाराणसी में BHU के तीन प्रोफेसरों ने की छह महीने की स्टडी, पाया – ग्रह दोष और कुंडली मिलान की अनदेखी से बढ़ रहे तलाक और हिंसक विवाह विवाद

BHU astrology professors presenting research on marriage and horoscope matching | UP News

कुंडली मिलान की अनदेखी से टूट रहे रिश्ते, BHU की स्टडी में बड़ा खुलासा

वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के ज्योतिष विभाग की हालिया रिसर्च ने वैवाहिक जीवन से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे हैं। बीएचयू के तीन प्रोफेसर और दो शोधार्थियों ने छह महीने की रिसर्च में पाया कि देशभर में 37 प्रतिशत शादियां केवल इसलिए टूट रही हैं क्योंकि शादी से पहले वर-वधु की कुंडली का सही तरीके से मिलान नहीं किया गया। अध्ययन में बताया गया कि ज्यादातर आधुनिक जोड़े कुंडली और ग्रह दोषों की अनदेखी कर केवल औपचारिकता के तौर पर विवाह कर लेते हैं, जिसका असर उनके रिश्तों पर पड़ रहा है। रिसर्च के अनुसार, ऐसे कई जोड़े शादी के बाद न केवल अलग हो रहे हैं, बल्कि हिंसक झगड़ों और यहां तक कि हत्याओं जैसे चरम मामलों तक पहुंच रहे हैं। सोमवार को आयोजित एक सेमिनार में भारत के 15 राज्यों, नेपाल, सिंगापुर और दुबई से आए शोधार्थियों ने इसमें हिस्सा लिया। बीएचयू के प्रोफेसर विनय पांडे ने बताया कि कई विवाह सिर्फ 1-2 साल में टूट गए क्योंकि वर-वधु की कुंडली सही से नहीं देखी गई और ग्रहों का मिलान नहीं किया गया।

शोध की प्रक्रिया और आंकड़े: 250 जोड़ों के केस में दिखा पैटर्न

इस रिसर्च में बीएचयू के ज्योतिष विभाग ने पूरे देश से डेटा एकत्र किया। इसके लिए 12 जिलों में शोधार्थियों को भेजा गया, जहां ऐसे 250 जोड़े चुने गए जिनकी शादी तीन साल के भीतर टूट गई थी। इन परिवारों से सवाल पूछे गए कि क्या शादी से पहले कुंडली मिलाई गई थी, कितने गुण मिले और क्या किसी ग्रह दोष का पता चला। नतीजों में सामने आया कि 37% शादियों में कुंडली का मिलान या ग्रह दोषों का विश्लेषण नहीं किया गया था। वहीं 63% जोड़ों ने शादी के दौरान सनातन परंपराओं और शुभ मुहूर्तों की अनदेखी की। प्रोफेसर विनय पांडे के अनुसार, आज के समय में लोग ज्योतिषीय परंपराओं को अंधविश्वास मानकर छोड़ रहे हैं। वे शादी में फोटोशूट, थीम डेकोरेशन और होटल बुकिंग पर ध्यान देते हैं लेकिन वैदिक मंत्रोच्चारण और ग्रह मिलान की प्रक्रिया को महत्व नहीं देते। परिणामस्वरूप रिश्तों में मतभेद, घरेलू हिंसा और तलाक की दरें बढ़ रही हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि विवाह के समय शुभ मुहूर्त की उपेक्षा करना और केवल सुविधानुसार तिथि चुनना भी अशुभ परिणाम देता है।

ज्योतिषाचार्यों की राय: ग्रह मिलान और मुहूर्त का ध्यान अनिवार्य

BHU के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर शत्रुघ्न त्रिपाठी ने कहा कि विवाह केवल सामाजिक अनुबंध नहीं बल्कि एक वैदिक संस्कार है, जिसमें गुण-दोष, ग्रह योग और नक्षत्रों का मेल जरूरी है। उन्होंने बताया कि कुंडली मिलान में 36 गुण होते हैं और इनमें कम से कम 18 गुणों का मेल होना अनिवार्य है, परंतु आजकल लोग इसे नजरअंदाज करते हैं। कुंडली मिलान दो स्तरों पर होता है- अष्टकोणीय गुण मिलान और ग्रह मिलान। यदि ग्रहों का मेल नहीं होता, तो विवाह के बाद वैचारिक और मानसिक असंतुलन पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मांगलिक दोष, नाड़ी दोष या गण दोष को हल्के में लेना आगे चलकर वैवाहिक असंतोष का कारण बनता है। प्रोफेसर आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि शुभ लग्न और पंचांग के आधार पर मुहूर्त तय करना बेहद जरूरी है, क्योंकि ग्रह स्थिति और नक्षत्र विवाह की सफलता में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। रिसर्च में यह भी सामने आया कि आजकल लोग होटल की बुकिंग या छुट्टियों की उपलब्धता देखकर विवाह की तारीख तय करते हैं, जिससे वैदिक दृष्टि से संतुलन बिगड़ जाता है। शोध दल ने सुझाव दिया कि विवाह से पूर्व योग्य पंडित की सलाह लेकर ही कुंडली और ग्रह मिलान कराना चाहिए। इस रिसर्च टीम में प्रोफेसर विनय पांडे, प्रोफेसर आशुतोष त्रिपाठी, प्रोफेसर अमित कुमार मिश्रा, शोधार्थी गणेश प्रसाद और नेपाल की पीएचडी छात्रा रोडना घिनरे शामिल रहे। टीम का मानना है कि पारंपरिक ज्योतिषीय रीति-रिवाज केवल मान्यताओं पर आधारित नहीं हैं बल्कि मनोवैज्ञानिक और खगोलीय संतुलन का प्रतीक हैं, जिन्हें अनदेखा करना विवाह की स्थिरता पर गंभीर असर डालता है।

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