वाराणसी, उत्तर प्रदेश। वाराणसी की अदालत से भोजपुरी सिनेमा के चर्चित स्टार पवन सिंह के खिलाफ बड़ा आदेश आया है। कोर्ट ने फिल्म ‘बॉस’ के मुनाफे में हिस्सेदारी न देने और करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोपों पर संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने थाना कैंट पुलिस को मामले की विवेचना करने के निर्देश भी जारी किए हैं। इस आदेश के बाद भोजपुरी इंडस्ट्री में हलचल मच गई है।
व्यापारी विशाल सिंह ने लगाए गंभीर आरोप
मामला तब सामने आया जब वाराणसी के कारोबारी विशाल सिंह ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। विशाल सिंह होटल और टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय करते हैं। उन्होंने बताया कि मुंबई में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात प्रेमशंकर राय और उनकी पत्नी सीमा राय से हुई थी। यह दंपती फिल्म निर्माण से जुड़ा हुआ था।
विशाल के मुताबिक, 2017 से ही उन्हें फिल्म में निवेश कर मुनाफा कमाने का प्रस्ताव दिया गया। कहा गया कि यदि वे पैसा लगाएंगे तो फिल्म रिलीज के बाद उन्हें अच्छा मुनाफा मिलेगा और इसमें भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह भी शामिल होंगे।
38 लाख रुपये का निवेश, लेकिन नहीं मिला मुनाफा
विशाल सिंह ने कोर्ट में पेश अर्जी में दावा किया कि जून 2018 में विपक्षियों ने उनसे बार-बार पैसों की मांग की। इसके बाद उन्होंने अपनी और अपने भाई की पार्टनरशिप फर्म रिद्धिका इंटरप्राइजेज के जरिए श्रेयस फिल्म प्राइवेट लिमिटेड के खाते में अलग-अलग तारीखों पर कुल 38 लाख रुपये ट्रांसफर किए।
नवंबर 2018 में फिल्म ‘बॉस’ की शूटिंग शुरू हुई। शूटिंग के दौरान कई दृश्य वाराणसी में विशाल सिंह के होटल में भी फिल्माए गए। लेकिन फिल्म रिलीज होने के बाद उन्हें न तो मुनाफे का हिस्सा मिला और न ही कोई हिसाब-किताब दिया गया।
कोर्ट तक पहुंचा मामला
जब बार-बार पैसे की मांग और शिकायतों का कोई समाधान नहीं मिला तो विशाल सिंह ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। हालांकि, वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया।
कोर्ट ने सभी साक्ष्यों और दलीलों को सुनने के बाद यह पाया कि मामले में प्रथम दृष्टया गंभीर आरोप बनते हैं। इस आधार पर अदालत ने पवन सिंह सहित चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। साथ ही कैंट थाने को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
पवन सिंह और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री पर असर
पवन सिंह भोजपुरी फिल्मों के सबसे बड़े और चर्चित नामों में गिने जाते हैं। उनकी फिल्मों और गानों का करोड़ों दर्शकों पर प्रभाव है। लेकिन इस मुकदमे के आदेश के बाद उनकी छवि पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
भोजपुरी इंडस्ट्री पहले से ही विवादों और आर्थिक पारदर्शिता को लेकर अक्सर सुर्खियों में रही है। अब इस मामले ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि फिल्म निर्माण में निवेश करने वाले व्यापारी और प्रोड्यूसर कितने सुरक्षित हैं।
क्या कहता है कानून?
धारा 406 (आपराधिक न्यासभंग), धारा 420 (धोखाधड़ी) जैसे प्रावधान इस मामले में लागू हो सकते हैं। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो यह केस पवन सिंह और उनके सहयोगियों के लिए बड़ी कानूनी मुश्किल बन सकता है।
व्यापारियों में बढ़ी चिंता
विशाल सिंह का मामला उन सैकड़ों निवेशकों के लिए एक चेतावनी की तरह है जो फिल्मों में मुनाफे के लालच में बड़ी रकम लगाते हैं। अक्सर देखा गया है कि फिल्म रिलीज होने के बाद मुनाफे का बंटवारा विवाद का कारण बन जाता है। यह मामला भी निवेशकों की सुरक्षा और फिल्म इंडस्ट्री की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
आगे क्या?
अब सारा दारोमदार पुलिस विवेचना और कोर्ट की सुनवाई पर है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो पवन सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है। वहीं, अगर आरोप गलत साबित होते हैं तो यह पवन सिंह की छवि को दोबारा मजबूती भी दे सकता है।