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बांके बिहारी मंदिर में फिर विवाद गहराया, सेवायत बोले – VIP कल्चर खत्म करें, संत समाज ने तहखाने की जांच को लेकर उठाई CBI जांच की मांग

मंदिर के दर्शन समय में बदलाव, खजाने के खाली डिब्बों और करोड़ों की रकम को लेकर मचा घमासान, सेवायतों और हाई पावर्ड कमेटी में टकराव, संतों ने दी चेतावनी – जांच नहीं हुई तो अनशन करेंगे

Banke Bihari Temple priests and committee members clash over darshan timing and treasure audit | UP News

मथुरा-वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में एक बार फिर दर्शन समय को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। 3 नवंबर से ठाकुरजी के कपाट 45 मिनट पहले यानी सुबह 8 बजे खोले जाने का निर्णय हाई पावर्ड कमेटी ने लिया है, जबकि सेवायत समुदाय इस बदलाव का विरोध कर रहा है। सेवायतों का कहना है कि शीतकाल में ठाकुरजी को विश्राम देने की परंपरा रही है, ऐसे में सुबह जल्दी दर्शन करवाना परंपरा के खिलाफ है। उनका सुझाव है कि सुबह 8:45 से दोपहर 1 बजे तक और शाम 4:30 से रात 8:30 तक दर्शन का समय तय किया जाए, ताकि ठाकुरजी को पर्याप्त विश्राम मिल सके। इसके साथ ही सेवायतों ने ई-रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू करने का भी प्रस्ताव रखा है ताकि श्रद्धालु ऑनलाइन स्लॉट बुक कर सकें और निर्धारित समय पर दर्शन का लाभ उठा सकें। सेवायतों का कहना है कि इससे भीड़ पर नियंत्रण रहेगा और श्रद्धालु अन्य मंदिरों के दर्शन भी कर पाएंगे। वहीं, हाई पावर्ड कमेटी चाहती है कि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की आवाजाही व्यवस्थित तरीके से हो और VIP संस्कृति को खत्म किया जाए। इसके लिए गेट नंबर 2 और 3 से प्रवेश व निकास की नई व्यवस्था प्रस्तावित की गई है। सेवायतों के प्रतिनिधि रजत गोस्वामी का कहना है कि उन्होंने सुझाव दिए हैं और कमेटी से चर्चा सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है। हालांकि, सेवायतों ने इस पर जोर दिया है कि मंदिर में पीढ़ियों से जो परंपराएं चल रही हैं, उन्हें कायम रखा जाए और VIP लेन की व्यवस्था केवल विशेष परिस्थितियों में ही लागू हो।

खजाने पर बढ़ा विवाद, संत समाज ने उठाई CBI जांच की मांग

मंदिर के तहखाने से कुछ दिन पहले हुई जांच में कोई बड़ा खजाना नहीं मिला, जिससे विवाद और तेज हो गया है। समिति को तहखाने में केवल एक सोने की छड़ी, तीन चांदी की छड़ियां, दो तांबे के सिक्के और कुछ पुराने बर्तन मिले, जबकि कई संदूक खाली पाए गए। इस पर वृंदावन के संत समाज ने गंभीर सवाल उठाए हैं। संतों का कहना है कि तहखाने में रखे गए कीमती जवाहरात और भक्तों के दान के प्रतीक गायब होना धार्मिक आस्था के साथ धोखा है। उड़िया बाबा मंदिर में हुई संतों की बैठक में साध्वी इंदु लेखा, अनिल कृष्ण शास्त्री, महामंडलेश्वर रामदास महाराज और राजेश पाठक समेत कई संतों ने भाग लिया। संतों ने एक सुर में कहा कि यह मामला करोड़ों भक्तों की आस्था से जुड़ा है और यदि सरकार ने इसकी CBI जांच नहीं कराई तो वे आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। साध्वी इंदु लेखा ने कहा कि “जो संपत्ति भक्तों और राजाओं ने ठाकुरजी को अर्पित की, वह सनातन धर्म की धरोहर है, इसे लूटने वालों को सजा मिलनी चाहिए।” इसी बीच श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर आरोप लगाया कि मंदिर प्रबंधन के कुछ जिम्मेदार लोगों ने सील लगे बक्सों का फायदा उठाकर श्रद्धालुओं की दान संपत्ति को हड़प लिया है। उन्होंने दोषियों की निजी संपत्तियों की जांच की भी मांग की है। संत समाज के इस रुख के बाद अब मामला राजनीतिक और धार्मिक दोनों स्तरों पर तूल पकड़ने लगा है।

350 करोड़ के फंड, ऑडिट और मंदिर प्रबंधन की नई दिशा

बांके बिहारी मंदिर के 12 बैंकों में करीब 350 करोड़ रुपये जमा हैं, जिनमें सबसे अधिक राशि भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक में है। मंदिर की हाई पावर्ड कमेटी ने इन फंड्स की समीक्षा शुरू कर दी है और इन्हें मल्टी ऑप्शनल डिपॉजिट (MOD) से फिक्स डिपॉजिट (FD) में बदलने की तैयारी की जा रही है ताकि मंदिर को अधिक ब्याज लाभ मिल सके। अध्यक्ष और रिटायर्ड जज अशोक कुमार ने बताया कि बैंक अधिकारियों के साथ बैठक में सेविंग अकाउंट्स का भी ऑडिट कराने का निर्णय हुआ है। समिति अब हर दिन मंदिर में आने वाले दान और खर्च का पूरा रिकॉर्ड रखेगी और हर महीने की 30 तारीख को इसका ऑडिट किया जाएगा। इसके साथ ही मंदिर परिसर में रेलिंग लगाकर भक्तों की आवाजाही नियंत्रित करने, दर्शन की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने और ठाकुरजी के भोग के लिए योग्य हलवाई के चयन जैसी व्यवस्थाएं लागू की जा रही हैं। वहीं, कमेटी के अध्यक्ष अशोक कुमार ने बताया कि मंदिर परिसर के दो बंद कमरों को मेडिकल स्टाफ के उपयोग के लिए खोला जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को तत्काल चिकित्सा सुविधा दी जा सके। उन्होंने कहा कि सेवायतों की ओर से जो तीन प्रमुख सुझाव आए हैं-ई-रजिस्ट्रेशन, मंदिर गलियों की सफाई और ई-रिक्शा चालकों को नियंत्रित करने की व्यवस्था-उन्हें जल्द लागू किया जाएगा। उधर, सेवायत दिनेश गोस्वामी ने कमेटी को एक पत्र सौंपकर प्रसाद की शुद्धता बनाए रखने, परिक्रमा मार्ग का पुनर्निर्माण करने और राधाकुंड स्थित कुंज बिहारी मंदिर की मरम्मत कराने की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “भेंट चोरी नहीं होनी चाहिए, मंदिर की परंपराओं और ठाकुरजी के मान-मर्यादा की रक्षा सर्वोपरि है।” बांके बिहारी मंदिर का यह विवाद अब श्रद्धा, परंपरा, व्यवस्था और पारदर्शिता के बीच खिंचती एक ऐसी रेखा बन गया है, जो आने वाले दिनों में प्रशासन और समाज दोनों के लिए परीक्षा साबित हो सकती है।

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