बागपत के श्मशान में लगातार हो रही अस्थियों की चोरी
बागपत के हिम्मतपुर सूजती गांव में पिछले आठ महीनों से श्मशान घाटों से अस्थियों के गायब होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पहले यह किसी जानवर की हरकत समझी जाती थी, लेकिन लगातार पूजा-सामग्री, दीपक, अगरबत्ती और नींबू मिलने से शक गहरा गया है। हाल ही में एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार हुआ, लेकिन तीसरे दिन जब परिवार ने अस्थियां लेने का प्रयास किया, तो चिता के पास दीपक जल रहे थे, उपले सुलग रहे थे और तंत्र-मंत्र से संबंधित सामान बिखरा मिला। प्रशासन ने कहा है कि मामले की जांच चल रही है और टीम घटनास्थल का निरीक्षण कर रही है।
ग्रामीणों का तंत्र-मंत्र और गिरोह की आशंका
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह कार्य किसी गिरोह द्वारा किया जा रहा है, जो तंत्र-मंत्र में मानव अवशेषों का इस्तेमाल करता है। पिछले कुछ महीनों में श्मशान में जलती चिता के आसपास अस्थियां गायब होने के मामले बार-बार सामने आए हैं। मेरठ और बिजनौर के उदाहरण भी इस तरह की घटनाओं को उजागर करते हैं। मेरठ के अजराड़ा गांव में 10 अक्टूबर, 2025 को तंत्र क्रिया करते तीन व्यक्ति पकड़े गए, जबकि बिजनौर में एक 85 वर्षीय कारी की कब्र खोदी गई और सिर गायब पाया गया। घटनाओं के पास तंत्र-संबंधी सामग्री जैसे केले के पत्ते और जानवरों के पंख पाए गए। ग्रामीणों की मान्यता है कि दिवाली और अन्य विशेष अवसरों पर तंत्र साधना के लिए अवशेषों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
अस्थि विसर्जन और तांत्रिक प्रथाओं पर विशेषज्ञ की राय
वाराणसी के ज्योतिषाचार्य और विशेषज्ञ श्रीधर पांडे के अनुसार, पारंपरिक पूजा में मृतक अवशेषों का प्रयोग नहीं किया जाता। लेकिन वाम मार्ग या अघोरी साधक अस्थि, खोपड़ी और राख का प्रयोग विशेष सिद्धियों, तंत्र साधना और शक्ति प्राप्ति के लिए करते हैं। अघोरियों की साधना में शव, श्मशान और शिव साधना शामिल हैं, जिसमें कभी-कभी मृत अवशेषों का धार्मिक या वैज्ञानिक उपयोग होता है। शास्त्रों के अनुसार मृतक की अस्थियों का दुरुपयोग पाप और काले कर्म की श्रेणी में आता है। परिवार द्वारा अंतिम संस्कार और विसर्जन के समय अस्थियों को शुद्ध करना आवश्यक है और इसका उद्देश्य केवल मृतक की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करना है। विशेषज्ञों के अनुसार, बागपत और अन्य जिलों में होने वाली ये घटनाएं पारंपरिक रीति-रिवाजों के विपरीत हैं और इसे रोकने के लिए प्रशासनिक सतर्कता और निगरानी बढ़ाना जरूरी है।