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कंबल में छिपाकर जेल में मोबाइल ले जाने की कोशिश नाकाम, आजमगढ़ जेल में सीसीटीवी ने खोली मुलाकाती की पोल

पहला गेट पार कर चुका था आरोपी, दूसरे गेट पर शक होने पर पकड़ा गया, डीआईजी ने 8 घंटे तक की जांच, जेल प्रशासन को मिली सख्त चेतावनी

CCTV footage captures visitor trying to smuggle mobile phone inside Azamgarh jail | UP News

आजमगढ़ मंडलीय कारागार में शनिवार को एक ऐसी घटना सामने आई जिसने जेल सुरक्षा व्यवस्था पर फिर सवाल खड़े कर दिए। दरअसल, एक मुलाकाती बंद कैदी के लिए मोबाइल फोन छिपाकर जेल के अंदर ले जाने की कोशिश कर रहा था। बताया जा रहा है कि उसने बड़ी चालाकी से मोबाइल को कंबल के अंदर छिपा रखा था ताकि जांच में किसी को शक न हो, लेकिन जेल प्रशासन की सतर्कता के चलते यह कोशिश असफल हो गई। वह व्यक्ति पहला गेट पार कर चुका था, लेकिन दूसरे गेट पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों की नजर सीसीटीवी फुटेज पर पड़ी, जिसमें उसके हाव-भाव संदिग्ध लगे। तत्काल उसकी दोबारा तलाशी ली गई तो कंबल के अंदर मोबाइल फोन छिपा हुआ मिला। मौके पर तैनात कर्मचारियों ने तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी और व्यक्ति को पूछताछ के लिए रोक लिया गया। यह घटना इसलिए गंभीर मानी जा रही है क्योंकि जेलों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कई बार आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा पाया गया है।

पहले भी मिल चुके हैं फोन, कई अफसर हुए निलंबित

आजमगढ़ जेल में यह पहला मामला नहीं है जब किसी बंदी तक मोबाइल पहुंचाने की कोशिश हुई हो। इससे पहले भी कई बार कैदियों के पास फोन बरामद किए जा चुके हैं। इन घटनाओं के कारण कई जेल अधिकारियों पर कार्रवाई भी की जा चुकी है। हाल ही में इसी जेल से जुड़े एक 52.85 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले का खुलासा हुआ था, जिसमें जेल से छूटे दो कैदियों के साथ दो जेलकर्मियों की संलिप्तता सामने आई थी। जांच में दोषी पाए जाने के बाद उन चारों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। इस मामले के बाद तत्कालीन जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया था, जबकि जेलर आर.एन. गौतम को जांच पूरी होने तक मुख्यालय से अटैच कर दिया गया। यह घटनाक्रम बताता है कि जेल में सुरक्षा व्यवस्था कितनी चुनौतीपूर्ण हो चुकी है। बाहरी संपर्क और कैदियों तक अवैध वस्तुएं पहुंचाने की कोशिशें लगातार हो रही हैं, जिससे प्रशासन को लगातार सख्ती बरतनी पड़ रही है।

आठ घंटे चली जांच, डीआईजी ने दिए सख्त निर्देश

इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए डीआईजी जेल शैलेन्द्र कुमार मैत्रेय स्वयं आजमगढ़ पहुंचे और करीब आठ घंटे तक जेल परिसर में जांच की। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज देखी और सुरक्षाकर्मियों से विस्तृत जानकारी ली। डीआईजी ने जेल प्रशासन को निर्देश दिए कि आगे से किसी भी स्थिति में सुरक्षा में लापरवाही न हो और प्रत्येक मुलाकाती की सघन तलाशी ली जाए। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन अंदर नहीं जा सका, लेकिन यदि सतर्कता न बरती जाती तो यह बड़ा उल्लंघन साबित हो सकता था। इसलिए आने वाले समय में गेटों पर सुरक्षा जांच को और कड़ा किया जाएगा तथा सभी सुरक्षा कर्मियों को आधुनिक स्कैनिंग तकनीक के उपयोग के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। वहीं, जेल अधीक्षक आशीष रंजन झा ने बताया कि मोबाइल फोन जेल के अंदर नहीं पहुंच सका और इसी कारण किसी पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सतर्कता की वजह से यह प्रयास विफल हुआ और इससे जेल सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती का भी संकेत मिलता है। डीआईजी मैत्रेय ने भी माना कि समय पर उठाए गए कदमों से एक बड़ी चूक टल गई। उन्होंने जेल अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि किसी भी मुलाकाती की जांच में लापरवाही न बरती जाए और निगरानी व्यवस्था को 24 घंटे सक्रिय रखा जाए। यह घटना भले ही फिलहाल किसी बड़ी अनहोनी में नहीं बदली, लेकिन इसने जेल सुरक्षा प्रणाली में सुधार और निगरानी के लिए एक नया चेतावनी संकेत अवश्य दे दिया है।

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