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आजम खान बोले- बिहार में जंगलराज, मुसलमानों की ताकत एकता में, बोले- अकेले जाना खतरे से खाली नहीं

मुरादाबाद में बोले आजम खान -कमजोरों और अल्पसंख्यकों का वोट बटना नहीं चाहिए, लोकतंत्र की रक्षा के लिए इत्तेहाद जरूरी

Azam Khan speaking at Moradabad event on Bihar politics | UP News

मुरादाबाद में रविवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान ने एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए बिहार की स्थिति पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि बिहार में इस समय जंगलराज का माहौल है और वहां अकेले जाना खतरे से खाली नहीं। आजम खान ने कहा कि उन्हें जो Y-श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, उसके बारे में उन्होंने सरकार से लिखित रूप में पूछा था कि आखिर इसकी जरूरत क्यों समझी गई। उन्होंने कहा, “अगर सुरक्षा दी है तो पूरी तरह दीजिए, आधी-अधूरी सुरक्षा किसी काम की नहीं।” आजम खान ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें अपनी सुरक्षा से ज्यादा लोकतंत्र की चिंता है। उन्होंने कहा कि कमजोरों और अल्पसंख्यकों का वोट अगर बंटता है तो उसका सीधा नुकसान लोकतंत्र को होगा। इसलिए सभी को मिलकर एकजुटता के साथ मतदान करना चाहिए। आजम खान के मुताबिक, बिहार में अब भी हालात अस्थिर हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। उन्होंने विश्वास जताया कि जल्द ही बिहार में यह जंगलराज खत्म होगा और एक नए राजनीतिक संतुलन की शुरुआत होगी। आजम खान ने अपने संबोधन के दौरान बिहार के चुनावी माहौल, सुरक्षा व्यवस्था, और अपने राजनीतिक अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सच्ची राजनीति वही है जो इंसाफ और एकता को प्राथमिकता दे, न कि जात-पात और धर्म के नाम पर बंटवारे को।

मुसलमानों से एकता की अपील, कहा- फायदे की जड़ इत्तेहाद में है, बंटने में नहीं

कार्यक्रम के दौरान आजम खान ने देशभर के मुसलमानों से एकजुट रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि आज के समय में मुसलमानों को सबसे ज्यादा जरूरत अपनी एकता को बनाए रखने की है, क्योंकि बंटवारा हमेशा कमजोरी की निशानी होता है। उन्होंने कहा, “अगर हमारे जिस्म के टुकड़े करना चाहते हो और फिर कभी जुड़ना न चाहो, तो तुम भी बंट जाना। लेकिन अगर लोकतंत्र को बचाना है तो साथ रहो, क्योंकि ताकत बंटने में नहीं, इत्तेहाद में है।” आजम खान ने कहा कि देश में मुसलमानों की संख्या भले ही बड़ी हो, लेकिन नेतृत्व के स्तर पर उन्हें अब भी नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में कई मुसलमान राष्ट्रपति बने, लेकिन वो केवल नाम के रहे। इस बयान के जरिए आजम खान ने मुस्लिम राजनीति के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि समुदाय अपने हक और पहचान को लेकर गंभीर हो और भावनाओं के बजाय हकीकत की राजनीति को समझे। उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे किसी भी तरह के जज्बाती नारों में न आएं और न ही किसी झूठे वादे के बहकावे में पड़ें। आजम खान ने कहा कि इस समय मुल्क को अमन, भाईचारे और एकता की जरूरत है, और यही असली सियासत की पहचान है।

सुरक्षा, राजनीति और पीडीए पर प्रतिक्रिया, कहा- मैं सिर्फ एकता चाहता हूं, पद या ओहदा नहीं

बिहार विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की भूमिका पर पूछे गए सवाल के जवाब में आजम खान ने कहा कि उन्हें पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया है और लिस्ट में उनका नाम तीसरे नंबर पर है। इसके बावजूद वे बिहार नहीं गए क्योंकि सुरक्षा की पूरी व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि “मुझे आधी सुरक्षा नहीं चाहिए, या तो पूरी दीजिए या मत दीजिए।” आजम खान ने 23 महीने जेल में बिताने के बाद अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए सच्चे इरादों की जरूरत होती है, दिखावे की नहीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने Y श्रेणी की सुरक्षा लेने से मना कर दिया था क्योंकि उन्हें खुद पर भरोसा है और वे किसी भी प्रकार के राजनीतिक सौदे का हिस्सा नहीं बनना चाहते। पीडीए (PDA) में एम की भूमिका पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि वे किसी भी गठबंधन के नाम या प्रतीक से ज्यादा उसके उद्देश्य को महत्व देते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता सिर्फ एकता और इंसाफ है। आजम खान ने कहा, “मैं सिर्फ इत्तेहाद चाहता हूं। पद, ओहदा या पहचान से मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं चाहता हूं कि देश का हर तबका अपने अधिकार और कर्तव्यों को समझे।” उन्होंने मुसलमानों और अल्पसंख्यकों से अपील की कि वे अपनी सियासी ताकत को पहचानें और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट रहें। उनके मुताबिक, आज के दौर में देश को सबसे ज्यादा जरूरत इंसाफ और भरोसे की है, न कि डर और नफरत की राजनीति की। आजम खान के भाषण ने मुरादाबाद में मौजूद भीड़ को न सिर्फ जोड़ा बल्कि राजनीतिक एकता की नई बहस को भी जन्म दिया।

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