अयोध्या के ऐतिहासिक राम मंदिर का निर्माण कार्य आखिरकार पूरा हो गया है। वर्षों की प्रतीक्षा और संघर्ष के बाद श्रीराम जन्मभूमि परिसर में वह क्षण आ गया है, जब मंदिर न केवल भव्य स्वरूप में खड़ा है, बल्कि पूरे परकोटे और उससे जुड़ी संरचनाओं ने इसकी शोभा को कई गुना बढ़ा दिया है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर परिसर के सभी प्रमुख निर्माण कार्य संपन्न हो चुके हैं। मुख्य मंदिर के चारों ओर बने परकोटे में छह देवी-देवताओं के मंदिर भी तैयार हैं-इनमें भगवान शिव, गणेश, हनुमान, सूर्यदेव, देवी भगवती, देवी अन्नपूर्णा और शेषावतार के मंदिर शामिल हैं। सभी मंदिरों पर कलश और ध्वजदंड स्थापित कर दिए गए हैं। इसके साथ ही सप्त ऋषियों के मंदिर-महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी और ऋषि पत्नी अहिल्या-का निर्माण भी पूरा कर लिया गया है। परिसर में जटायू और गिलहरी की मूर्तियां श्रद्धा और सेवा के प्रतीक के रूप में स्थापित की गई हैं। संत तुलसीदास को समर्पित मंदिर भी बनकर तैयार है। ट्रस्ट के अनुसार, अब केवल वे कार्य शेष हैं जो सीधे दर्शनार्थियों से जुड़े नहीं हैं, जैसे ट्रस्ट कार्यालय, अतिथि गृह और सभागार का निर्माण।
25 नवंबर को पीएम मोदी करेंगे ध्वजारोहण, प्राण प्रतिष्ठा जैसा होगा भव्य आयोजन
राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण समारोह को लेकर तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत इस ऐतिहासिक समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। ट्रस्ट महासचिव चंपत राय के मुताबिक, यह ध्वजारोहण न केवल धार्मिक दृष्टि से विशेष है, बल्कि यह राम मंदिर के निर्माण कार्य के पूर्ण होने का प्रतीक भी होगा। समारोह का निर्धारित मुहूर्त पूर्वाह्न 11 से 12 बजे के बीच रखा गया है, जबकि सुरक्षा कारणों से सभी आमंत्रित अतिथियों को सुबह 8 से 10 बजे के बीच पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। कार्यक्रम का स्वरूप 2024 में हुए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तरह ही भव्य और धार्मिक आभा से ओतप्रोत होगा। देश-विदेश के संत, धर्माचार्य और प्रमुख हस्तियां इसमें भाग लेंगी। आयोजन के दौरान शहर की यातायात व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है, ताकि अयोध्या वासियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि श्रद्धालु घर बैठे भी इस समारोह को लाइव देख सकेंगे।
परकोटे की कलाकृतियां, पत्थर की नक्काशी और श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़
मंदिर के चारों ओर 8 एकड़ में फैला परकोटा भव्यता का नया उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। इसकी चौड़ाई 14 फीट और लंबाई 732 मीटर है, जिसमें लगभग 9 लाख घनफुट गुलाबी बलुआ पत्थर लगाए गए हैं। परकोटे की दीवारों और छतों पर अद्भुत नक्काशी की गई है, जो रामायण के प्रसंगों को जीवंत रूप में दर्शाती है। इन दीवारों पर संस्कृत श्लोकों के साथ उनके हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद अंकित किए गए हैं। लोअर प्लिंथ में लगाए गए म्यूरल्स में भगवान राम के जीवन के विभिन्न अध्याय-वनवास, युद्ध और मर्यादा पुरुषोत्तम बनने की यात्रा-को बारीकी से दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त, ब्रॉन्ज मेटल प्लेट्स पर भारत माता की प्रतीकात्मक प्रतिमाएं अंकित हैं, जिनमें देवी को सिंह वाहन पर खड्ग, कमल और ध्वज के साथ दर्शाया गया है। परकोटे के सभी छह मंदिरों के शिखर एक समान हैं और स्वर्णमंडित किए गए हैं। जयपुर से लाई गई प्रतिमाएं इन मंदिरों की शोभा बढ़ा रही हैं, जबकि भगवान शिव का मंदिर दक्षिण भारत के ब्लैक स्टोन पर निर्मित है। इन मंदिरों के द्वारों का नामकरण अयोध्या के उन साधु-संतों के नाम पर किया गया है, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में योगदान दिया। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा के अनुसार, अब प्रतिदिन औसतन 70 हजार श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर रहे हैं, जो पहले 30-40 हजार हुआ करते थे। बढ़ती श्रद्धालु संख्या को देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इस प्रकार, अयोध्या का राम मंदिर अब न केवल आस्था का केंद्र बन चुका है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता और समर्पण का जीवंत प्रतीक भी बन गया है।




