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Uttar Pradesh News : पीएचडी छात्रा ने लगाया प्रोफेसर पर शोषण का आरोप, शादी का झांसा, भावनात्मक छल और दो शहरों में रेप के गंभीर दावे

UP news in hindi : आगरा की डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी की पीएचडी छात्रा ने अपने प्रोफेसर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्रा का दावा है कि प्रोफेसर ने शादी का झांसा देकर दो साल तक उसका मानसिक और शारीरिक शोषण किया।


Agra PhD student accuses professor of exploitation | UP News

आगरा के डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी की एक पीएचडी रिसर्च स्कॉलर ने अपने प्रोफेसर पर दो साल तक शादी का झांसा देकर मानसिक और शारीरिक शोषण करने का गंभीर आरोप लगाया है। छात्रा ने बताया कि 2022 में जब वह एग्रीकल्चर विभाग में शोध कार्य कर रही थी, तभी उसकी मुलाकात को-गाइड प्रोफेसर गौतम जैसवार से हुई। शुरुआत में उनका रिश्ता गुरु-शिष्य का रहा, लेकिन धीरे-धीरे बातचीत का स्वरूप बदल गया। छात्रा ने बताया कि कोर्स वर्क के दौरान जब उसने टॉप किया, तब प्रोफेसर ने उसकी तारीफें शुरू कर दीं और निजी बातें करने लगे। इसी दौरान उसकी बड़ी बहन की बीमारी से मौत हो गई, जिससे वह भावनात्मक रूप से टूट गई थी। उस कमजोर दौर में प्रोफेसर ने उसका सहारा बनकर उसे अपने जाल में फंसा लिया। छात्रा का कहना है कि प्रोफेसर लगातार यह कहते रहे कि उनका विवाह जबरदस्ती हुआ है, पत्नी से कोई रिश्ता नहीं है और वे तलाक लेकर छात्रा से शादी करेंगे। धीरे-धीरे प्रोफेसर ने अपने निजी दुख साझा करते हुए उसका भरोसा जीत लिया और इमोशनली अटैचमेंट बना ली। एक साल के भीतर संबंध इस हद तक बढ़ गए कि छात्रा को यह विश्वास हो गया कि प्रोफेसर सच में उससे विवाह करेंगे। उसने दावा किया कि प्रोफेसर ने उसे यह कहकर भरोसा दिलाया कि वे जल्द वाइस चांसलर बनेंगे और उसे यूनिवर्सिटी में नौकरी देंगे। इस मानसिक भ्रम और प्रेमजाल में फंसकर छात्रा ने प्रोफेसर के साथ निजी संबंध बना लिए।

मथुरा और खजुराहो में हुआ शोषण: वादों के बीच टूटा भरोसा

छात्रा के अनुसार, 2023 में जब प्रोफेसर ने अपनी वैवाहिक जिंदगी की शिकायतें बढ़ा दीं, तब उन्होंने छात्रा को बाहर घूमने का प्रस्ताव दिया। प्रोफेसर उसे खजुराहो ले गए, जहां दोनों तीन दिन तक साथ रहे। इसके बाद मथुरा में भी उन्होंने एक होटल में रात बिताई। छात्रा का कहना है कि इन दोनों स्थानों पर प्रोफेसर ने उससे जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए और हर बार यही कहा कि “पीएचडी पूरी हो जाने के बाद शादी करेंगे, वरना तुम्हारे करियर को नुकसान होगा।” छात्रा ने बताया कि वह प्रोफेसर की बातों पर विश्वास करती रही क्योंकि वे उसे हर बार यह भरोसा दिलाते थे कि विवाह के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा। समय बीतता गया और 2024 के बाद से प्रोफेसर का रवैया बदलने लगा। अब वे दूरी बनाने लगे, कॉल्स का जवाब नहीं देते और मिलने से बचते। छात्रा के अनुसार, जुलाई-अगस्त 2025 के बाद उन्होंने पूरी तरह संपर्क तोड़ दिया। जब छात्रा ने 25 अक्टूबर को विश्वविद्यालय परिसर में जाकर सवाल किया कि शादी कब करेंगे, तब प्रोफेसर ने न केवल इंकार किया बल्कि कथित रूप से उसके साथ मारपीट भी की। छात्रा के अनुसार, प्रोफेसर ने उसके मोबाइल से चैट और फोटो डिलीट कर दिए, रिकॉर्डिंग मिटा दी और उसे थप्पड़ मारा जिससे उसके होंठ फट गए और खून निकल आया। इसी दौरान छात्रा का भाई परिसर पहुंच गया, जिसने बहन की हालत देखकर 112 पर पुलिस को सूचना दी। मौके पर प्रोफेसर की पत्नी भी पहुंची और पति का बचाव करते हुए कहा कि आरोप झूठे हैं और सफलता से ईर्ष्या के कारण लगाए गए हैं।

जांच में जुटी पुलिस, सस्पेंड हुआ आरोपी प्रोफेसर

घटना के बाद छात्रा ने थाना न्यू आगरा में प्रोफेसर के खिलाफ शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण की तहरीर दी, जिस पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने बताया कि प्रोफेसर फिलहाल फरार हैं और उनकी तलाश में टीमों का गठन किया गया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी गंभीरता दिखाते हुए आरोपी प्रोफेसर गौतम जैसवार को निलंबित कर दिया है और आंतरिक जांच समिति गठित कर दी गई है। विश्वविद्यालय के सूत्रों ने बताया कि प्रोफेसर को इस साल अगस्त में बेस्ट टीचर अवॉर्ड मिला था और वे रसायन विज्ञान विभाग में लंबे समय से कार्यरत हैं। नैनो साइंस विषय पर उनके कई रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। वहीं छात्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अब उस पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है और कुछ लोग 15 से 20 लाख रुपये का समझौता प्रस्ताव दे रहे हैं, लेकिन वह किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेगी। छात्रा का कहना है कि उसे पैसे नहीं, बल्कि न्याय चाहिए। उसने यह भी आरोप लगाया कि मेडिकल जांच में पुलिस ने लापरवाही की और रिपोर्ट से वह असंतुष्ट है। छात्रा के पास बातचीत की रिकॉर्डिंग, फोटो और अन्य सबूत मौजूद हैं, जिन्हें वह जांच एजेंसियों को सौंप चुकी है। फिलहाल पुलिस ने बयान दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह मामला न केवल शैक्षणिक संस्थानों में गुरु-शिष्य संबंधों की गरिमा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सत्ता और प्रभाव के बल पर कैसे एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने छात्रा की भावनाओं का दुरुपयोग किया। अब यह देखना होगा कि जांच कितनी निष्पक्ष होती है और पीड़िता को कब तक न्याय मिलता है।

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